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President Kashmir Visit: अब कश्मीर शांति-खुशहाली के एक दौर की तरफ बढ़ रहा है: राष्ट्रपति कोविंद

शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर श्रीनगर में कश्मीर विश्वविद्यालय के 19 वे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बताया गया कि तीन लाख के करीब विद्यार्थी डिग्रियां हासिल कर रहे हें जिसमें से ढाई लाख ग्रेजुएशन की डिग्रियां हासिल कर रहे हें।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 01:30 PM (IST)
President Kashmir Visit: अब कश्मीर शांति-खुशहाली के एक दौर की तरफ बढ़ रहा है: राष्ट्रपति कोविंद
कश्मीर के सहयोग के बिना भारतीय विचारधारा का इतिहास लिखना संभव नहीं है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि जैसे-जैसे कश्मीर शांति औेर खुशहाली के एक नए दौर की तरफ अग्रसर हो रहा है, वैसे ही यहां कई नयी रोमांचकारी और सुखद संभावनाएं नजर आने लगी हैं। पूरा भारतवर्ष आप लोगों को गर्व और प्रशंसा की भावना के साथ देख रहा है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सिविल सर्विस हो या खेल या फिर उद्यमशीलता कश्मीरी युवा नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं।

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बीते साल सितंबर के दौरान नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान मैने अपने सपनों का जिक्र किया था। मैं कश्मीर को इस धरती पर स्वर्ग के रुप में ही देखना चाहता हूं। मैं अपने इस सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह जम्मू कश्मीर की युवा पीढ़ी पर विश्वास रखे हूं और मुझे यकीन है कि वह मेरे इस सपने का जल्द सच करेगी।

शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर श्रीनगर में कश्मीर विश्वविद्यालय के 19 वे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बताया गया कि तीन लाख के करीब विद्यार्थी डिग्रियां हासिल कर रहे हें जिसमें से ढाई लाख ग्रेजुएशन की डिग्रियां हासिल कर रहे हें। पिछले आठ साल के दौरान एक हजार पीएचडी पास हुए हैं।

मुझे विश्वास है कि कश्मीर विश्वविद्यालय के दो सेंटर आफ एक्सीलेंस और लैब कश्मीर की मदद करेंगे और जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च के लिए विश्व को रास्ता दिखाएंगे। कश्मीर विश्वविद्यालय ने ग्लेशियालोजी और हिमालयन जैव विविधता के सेंटर स्थापित किए हें। कश्मीर के सहयोग के बिना भारतीय विचारधारा का इतिहास लिखना संभव नहीं है।

ऋग्वेद की प्राचीन पांडूलिपियां कश्मीर में लिखी गई थी। कश्मीर विभिन्न सांस्कृतियों का मिलन केंद्र रहा है। उन्होंने कश्मीर की सुवा पीढ़ी से कहा कि वह स्मृद्ध विरासत से सीखें। कश्मीर देश के लिए हमेशा से ही उम्मीद की किरण रहा है। इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव देश पर असर डालता है।

यह दुर्भाग्य की बात है कि शांति की परंपरा को तोड़ा गया। हिंसा कभी भी कश्मीरियत का हिस्सा नहीं रही। मैं विश्वास करता हूं कि लोकतंत्र से सभी मुद्दों को समाधान हो सकता है। लोकतंत्र में विश्वास रखकर अपना भविष्य बनाएं तथा शांति और खुशहाल भविष्य के लिए काम करें। 


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