जम्मू-कश्मीर: मानव अंग प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू करने की तैयारी, पर लागू होंगे यह नियम!
रजिस्टर्ड डॉक्टर जिसके पास आइसीयू की सुविधा होगी वह ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर के साथ चर्चा करने के बाद ब्रेन स्टेम डेथ का प्रमाणपत्र लेने के बाद उसके परिजनों से इजाजत लेगा।
जम्मू, रोहित जंडियाल। राज्य में मानव अंग प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू करने के लिए तैयारियां चल रही हैं। वहीं, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अंग प्रत्यारोपण के लिए नए नियम भी जारी कर दिए हैं। इसके तहत डॉक्टरों व अंगदान करने के लिए विशेष दिशानिर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के तहत कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में चिकित्सीय मामलों के लिए अपना कोई भी अंग दान कर सकता है। इसके लिए रजिस्टर्ड डॉक्टर को उसे अंग दान से उसके शरीर पर पडऩे वाले असर के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। अगर डॉक्टर को लगता है कि वह स्वस्थ नहीं है तो उसे मनोरोग विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए। ब्रेन स्टेम डेथ का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल बनेगा। रजिस्टर्ड डॉक्टर जिसके पास आइसीयू की सुविधा होगी, वह ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर के साथ चर्चा करने के बाद ब्रेन स्टेम डेथ का प्रमाणपत्र लेने के बाद उसके परिजनों से इजाजत लेगा।
लावारिस व्यक्ति के लिए अलग होंगे नियम : लावारिस व्यक्ति के लिए अलग से नियम बनाए गए हैं। अगर अंग दान करने वाला या फिर अंग लेने वाला विदेशी है तो अधिकृत कमेटी की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। नाबालिग को अंग दान करने की इजाजत नहीं होगी। अगर बहुत ही जरूरी और विपरीत हालात होंगे तो उसके लिए पहले कुछ विशेष मेडिकल ग्राउंड बतानी होगी। अगर कोई पंजीकृत डॉक्टर आइसीयू में मृतक के अंग को हटाना चाहता है तो यह भी सिर्फ ब्रेन स्टेम डेथ का प्रमाणपत्र लेने के अलावा उसे तीन लोगों की गवाही लेनी होगी। इनमें एक मृतक का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी होगा। अगर मृतक ने पहले अंग दान के लिए अपनी स्वीकृति दी हो और बाद में इसे वापस ले लिया हो तो करीबी रिश्तेदार ने भी अगर मंजूरी दी हो तो भी अंग नहीं निकाल सकते।
ताकि धंधा न बने अंग प्रत्यारोपण : नियमों में इस बात का भी पूरा ध्यान रखा गया है कि अंग प्रत्यारोपण धंधा न बन जाए। ऐसे में यह साफ किया गया है कि अगर अंग देने वाला और लेने वाला करीबी रिश्तेदार नहीं है तो अधिकृत कमेटी पहले यह जांच करे कि क्या दोनों इसके लिए पैसों का लेने देन तो नहीं कर रहे हैं। क्या दोनों के बीच कोई बिचौलिया तो नहीं है। दोनों के बीच के लिंक का भी पता लगाया जाए। अंग देने वाले और लेने वाले के पुराने फोटो देख कर भी अनुमान लगाया जा सकता है। यह भी कारण पूछे जाएं कि आखिर वह अपना अंग क्यों दान कर रहा है। दोनों की वित्तीय स्थिति का भी आकलन किया जाए। यह भी सुनिश्चित बनाया जाए कि अंग देने वाला नशेड़ी तो नहीं है। अगर अंग दान करने वाला जिंदा है तो उसे और अंग लेने वाले दोनों को संयुक्त रूप से अधिकृत कमेटी को प्रार्थनापत्र देना होगा। इसमें अंग देने और ट्रांसप्लांट करने दोनों की मंजूरी साथ ही लेनी होगी। अधिकृत कमेटी इसके बाद इस पर अपना फैसला लेगी।
एमएलसी में यह नियम : मेडिकल लीगल मामलों में अगर ब्रेन स्टेम डेथ के मरीज का अंग लेना है तो पंजीकृत डॉक्टर को एसएचओ, एसपी या फिर क्षेत्र के डीआइजी से इजाजत लेनी होगी। इसकी एक कॉपी पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को भी भेजनी होगी। इसमें यह भी सुनिश्चित बनाना होगा कि अंग निकालते समय मौत के कारणों का पता लगाने में समस्या न हो। अंग निकालने वाले डॉक्टर को मेडिकल रिपोर्ट बनानी होगी और इसका जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी होना चाहिए। इसमें एक नियम यह भी बनाया गया है कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को आफिस टाइम के बाद भी अंग निकालते समय बुलाया जा सकता है। नियमों के अधिकृत कमेटी में उस डॉक्टर को सदस्य नहीं बनाया जा सकेगा जो अंग प्रत्यारोपण करने वाला हो।
विदेशियों के लिए यह नियम : अगर अंग देने वाला और अंग लेने वाला दोनों ही विदेशी हो तो भी यही अधिकृत टीम मंजूरी देगी। इसके लिए संबंधित देश के दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी को दोनों के बीच के रिश्ते का प्रमाणपत्र देना होगा। अगर उस देश का दूतावास भारत में नहीं है तो उस देश के किसी वरिष्ठ अधिकारी को दोनों के रिश्ते के बारे में प्रमाणपत्र देना होगा। अगर अंग देने वाला भारतीय हो और अंग लेने वाला विदेशी हो तो उनके अनुरोध को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक दोनों करीबी रिश्तेदार न हों।
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