मोदी राज में गरीबी, बेरोजगारी चरम पर पहुंची: आजाद
राज्य ब्यूरो जम्मू राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि मोदी राज में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। इस दौरान ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों को लगातार नजरअंदाज किया गया। मोदी सरकार की नीतियां गरीब विरोधी और अमीरों को फायदा पहुंचाने वाली रही हैं। महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आम लोगों को जीना मुहाल हो गया है। किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि मोदी राज में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। इस दौरान ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों को लगातार नजरअंदाज किया गया। मोदी सरकार की नीतियां गरीब विरोधी और अमीरों को फायदा पहुंचाने वाली रही हैं। महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आम लोगों को जीना मुहाल हो गया है। किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। सत्ता में आने पर कांग्रेस न्याय योजना को लागू करेगी, जिसमें हर गरीब परिवार को 72 हजार रुपये साल के मिलेंगे।
ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह के पक्ष में प्रचार करते हुए आजाद ने रविवार को रामबन के काश्तीगढ़, राजगढ़, गांदरी, डोडा के चिराला और रियासी के अरनास में जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया। जवाहर लाल नेहरू से लेकर देश में बनी सरकारों ने हमेशा ही लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए आजाद ने कहा कि लोकतंत्र की नींव हमारे लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाएं ही हैं। मोदी सरकार ने किसी न किसी तरीके से इन संस्थाओं को कमजोर किया। देश में गरीबी बढ़ रही है और कई लोग देश का पैसा लेकर भाग गए है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में न्याय योजना को शामिल किया है। आजाद ने कहा कि मोदी सरकार के समय में देश में बेरोजगारों की संख्या में निरंतर इजाफा हुआ है। लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र देना शुरू किया है। धर्म और जाति-पांति के आधार पर लोगों से राष्ट्रवाद के सवाल खड़े किए जा रहे है। वोट बैंक की राजनीति के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है। राष्ट्र के लिए धु्रवीकरण की राजनीति बहुत ही नुकसानदेह है।