ट्रैफिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त, कर्मी चालान काटने में मस्त
सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है कि पांच मिनट का सफर पूरा करने में घंटा लग जाए। शहर की कोई सड़क या इलाका ऐसा नहीं है जहां ट्रैफिक समस्या न हो।
जागरण संवाददाता, जम्मू : शहर की सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है कि पांच मिनट का सफर पूरा करने में घंटा लग जाए। शहर की कोई सड़क या इलाका ऐसा नहीं है जहां ट्रैफिक समस्या न हो। यह समस्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। जम्मू शहर में पिछले कुछ वर्ष में गाड़ियों की संख्या हजारों से बढ़कर लाखों में पहुंच गई है। इसके मुकाबले सड़कों का उतना विकास नहीं हो पाया। शहर में पिछले कुछ वर्ष से बीसी रोड और बिक्रम चौक फ्लाईओवर को छोड़ दिया जाए तो सड़कों की स्थिति जस की तस है। ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी सुबह और शाम को होती है। इस दौरान लोगों का अपने काम पर आने-जाने का समय होता है। इस दौरान लोग अपनी गाड़ियों, दोपहिया वाहनों को लेकर निकलते हैं और इस दौरान ही ट्रैफिक पुलिस नाकों को लगाकर अपने चालान काटने के कोटे को पूरा करने में जुट जाती है। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस को यातायात व्यवस्था सुधारने का काम करना चाहिए, उस समय वह चालान काटने में व्यस्त हो जाती है। इस कारण सड़कों पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। शहर के अखनूर रोड, डोगरा चौक, गुम्मट रोड, इंदिरा चौक आदि कई ऐसे इलाके हैं जहां सुबह और शाम के वक्त ट्रैफिक व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
डीटीआइ को 60, एसओ को 40 चालान का कोटा ट्रैफिक पुलिस में तैनात डिस्ट्रिक्ट ट्रैफिक इंस्पेक्टर को दिन में 60 और सेक्शन ऑफिसर को 40 चालान काटने का कोटा मिला है। इस संदर्भ में बाकायदा आदेश जारी कर विभाग ने इन अधिकारियों को इस लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने को कहा है। ट्रैफिक पुलिस में तैनात एक कर्मी ने बताया कि इस लक्ष्य को पूरा करना जरूरी है। अगर ऐसा न हो तो उनको जवाब देना मुश्किल हो जाता है। चालान काटने के बाद उसका लेखा-जोखा भी जमा करवाने के लिए भी हर एक प्वाइंट से एक कर्मी की ड्यूटी लगाई जाती है जिसमें कभी कभी पूरा दिन निकल जाता है।
ट्रैफिक पुलिस के लिए यातायात को सुचारु बनाए रखना प्राथमिकता है। ट्रैफिक कर्मी यातायात को सुचारु करने में लगे रहते हैं। चालान उन्हीं लोगों के काटे जाते हैं जो नियमों का पालन नहीं करते। सुबह-शाम ज्यादा यातायात होने के कारण जाम लग जाता है और उस दौरान हमारे जवान ज्यादा मुस्तैद रहते हैं। -जो¨गद्र ¨सह, एसएसपी ट्रैफिक