विक्रमादित्य के इस्तीफे से गरमाई सियासत
राज्य ब्यूरो, जम्मू : महाराज हरि सिंह के पौत्र एमएलसी विक्रमादित्य सिंह के सत्ताधारी पीपुल्स डे
राज्य ब्यूरो, जम्मू : महाराज हरि सिंह के पौत्र एमएलसी विक्रमादित्य सिंह के सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से इस्तीफा देने से जम्मू की सियासत गर्मा गई है। जम्मू से भेदभाव के मुद्दे पर काम कर रही पार्टियों की अब विक्रमादित्य से उम्मीदें बढ़ गई हैं।
पीडीपी नेतृत्व वाली राज्य सरकार के जम्मू केंद्रित मुद्दों को नजरअंदाज करने से क्षेत्र में सरकार के खिलाफ पहले से माहौल गर्म था। उस पर विलय दिवस से ठीक पहले विक्रमादित्य के पीडीपी व एमएलसी पद से त्यागपत्र देने से विपक्ष को बल मिला है।
नेशनल पैंथर्स पार्टी ने विक्रमादित्य सिंह को जम्मू को अलग राज्य बनाने की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ आने का खुला न्योता दिया है। जम्मू के मुद्दों को उजागर कर रही पार्टियों ने भी विक्रमादित्य के फैसले को सही करार दिया है। विक्रमादित्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह के पुत्र और भाजपा के एमएलसी अजातशत्रु सिंह के भाई हैं।
विक्रमादित्य के भाजपा-पीडीपी सरकार के कामकाज पर प्रश्नचिन्ह लगाकर त्यागपत्र देने से कांग्रेस की उम्मीदों को भी बल मिला है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता का कहना है कि इस त्यागपत्र से साबित होता है कि उनकी पार्टी का यह कहना बिलकुल सही है कि उसने जम्मू के हितों को दांव पर लगा दिया है।
ऐसे हालात में सोमवार को चेयरमैन जोरावर सिंह की अध्यक्षता में हुई जम्मू की आपात बैठक में विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे को बड़ा राजनीतिक बदलाव करार दिया गया।
जोरावर सिंह ने कहा कि यह इस्तीफा भाजपा-पीडीपी सरकार के जम्मू के हितों को दांव पर लगाने का पुख्ता सुबूत है। इससे जम्मू को उसका हक दिलाने के खोखले दावे करने वाली पार्टियों को गहरा आघात लगा है।
भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि इस पार्टी ने महाराजा के जन्मदिन पर छुट्टी करवाने के मामले में लोगों को गुमराह करने के अलावा कुछ नहीं किया। सत्ता की खातिर यह पार्टी पीडीपी की हां में हां मिला रही है।
ऐसे हालात में विक्रमादित्य कुछ दिन खामोश रहने के बाद लोगों को मूड भांपने की कार्रवाई शुरू करेंगे। सूत्रों के अनुसार, वह नवंबर के आरंभ से जम्मू संभाग के विभिन्न इलाकों के दौरे कर क्षेत्रवासियों की आकांक्षाएं जानने की कोशिश करेंगे।
विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए दिया है कि मौजूदा सरकार ने जम्मू की आकांक्षाओं को नजरअंदाज कर दिया है। ऐसे में उनका मिशन अब जम्मू को सशक्तबनाना होगा। लोगों को विश्वास में लेकर आगे की कार्रवाई होगी।