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जम्मू कश्मीरः फारूक अब्दुल्ला के पंचायत चुनाव बहिष्कार से गरमाई राजनीति

जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला के निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा से राजनीति गरमा गई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 07:35 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 12:56 PM (IST)
जम्मू कश्मीरः फारूक अब्दुल्ला के पंचायत चुनाव बहिष्कार से गरमाई राजनीति
जम्मू कश्मीरः फारूक अब्दुल्ला के पंचायत चुनाव बहिष्कार से गरमाई राजनीति

राज्य ब्यूरो, जम्मू। नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख व सांसद फारूक अब्दुल्ला के निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा से राजनीति गरमा गई है। चुनावी तैयारियों के बीच बहिष्कार की नेशनल कांफ्रेंस की घोषणा पर जम्मू में आधार रखने वाली भाजपा व कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा ने नेकां पर बिना चुनाव लड़े हार मान लेने का आरोप लगाया है। चुनाव बहिष्कार का विरोध कर चुकी कांग्रेस सोमवार को श्रीनगर में होने वाली बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा करेगी।

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वहीं, पूर्व पंचों और सरपंचों ने भी नेशनल कांफ्रेंस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फारूक के बयान से सबसे अधिक नाराज वे पूर्व सरपंच, पंच हैं जो बेसब्री से पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। पंचायत चुनाव गैर राजनीतिक आधार पर होने हैं। ऐसे में नेकां नेता के पंचायत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा को ग्रामीणों के मामले में हस्तक्षेप माना जा रहा है। ऐसे में पूर्व पंचों और सरपंचों ने नेकां के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्व पंचों व सरपंचों का संगठन जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस राज्यपाल से यह मुद्दा उठाएगा कि पंचायत चुनाव में राजनीतिक दखल नहीं है। ऐसे में बहिष्कार करने वाली पार्टियों को उनके हाल पर छोड़ते हुए पंचायत चुनाव करवाया जाए।

राज्य पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अरुण शर्मा का कहना कि पंचायत चुनाव पर राजनीति कर रहे फारूक ग्रामीणों के हितैषी नहीं हैं। अगर वह 35-ए के मुद्दे पर इतने ही गंभीर हैं तो उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देकर विरोध जताना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव गैर राजनीतिक है। ऐसे में कोई भी पार्टी इस चुनाव पर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश न करे। हम ग्रामीणों को चुनाव बहिष्कार की स्वार्थपरक राजनीति के बारे में जागरूक करेंगे।

भाजपा के प्रवक्ता ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस ने चुनाव से पीछे हटकर हार मान ली है। फारूक अब्दुल्ला ने दोगली भाषा बोलते हुए पहले चुनाव का स्वागत किया फिर 48 घंटे बाद इसका बहिष्कार कर दिया। यह सीधे-सीधे आतंकियों और अलगाववादियों की हां में हां मिलाना है। अगर नेकां 35-ए पर इतनी ही गंभीर थी तो कारगिल काउंसिल चुनाव का बहिष्कार क्यों नहीं किया। फारूक राजनीतिक स्वार्थ के चलते चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं। वह भी आतंकियों और अलगाववादियों की तरह कश्मीर के बिगड़े हालात का फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शेख अब्दुल्ला की तरह ही नेशनल कांफ्रेंस भी लोगों को गुमराह करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। फारूक के चुनाव बहिष्कार का विरोध करने वाली कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा का कहना है कि कांग्रेस की सिर्फ एक ही मांग है कि चुनाव के लिए कश्मीर में सुरक्षित माहौल बनाया जाए। कांग्रेस चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। 


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