जम्मू कश्मीर में भी हुआ था महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक घटनाक्रम, तब यहां सरकार नहीं बनी थी, विधानसभा को ही भंग कर दिया गया था
महाराष्ट्र में शनिवार को जिस नाटकीय अंदाज में भाजपा और राकांपा की साझा सरकार बनी लगभग एक वर्ष पहले कुछ ऐसा ही घटनाक्रम जम्मू कश्मीर में भी देखने को मिला था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । महाराष्ट्र में शनिवार को जिस नाटकीय अंदाज में भाजपा और राकांपा की साझा सरकार बनी, लगभग एक वर्ष पहले कुछ ऐसा ही घटनाक्रम जम्मू कश्मीर में भी देखने को मिला था। तब, जम्मू कश्मीर के तत्कालिक राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को ही भंग कर दिया था।
एकीकृत जम्मू कश्मीर में जून 2018 को भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार गिर गई थी। तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने विधानसभा को भंग नहीं किया था और सत्ताच्युक्त हुई तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने भी विधानसभा को भंग करने की सिफारिश नहीं की थी। एनएन वोहरा के बाद राज्यपाल बने सत्यपाल मलिक ने भी 21 नवंबर तक विधानसभा को भंग नहीं किया और राज्य में एक चुनी हुई सरकार के गठन की संभावनाओं को तलाशते रहे। राज्य में लगातार बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता के दौर के बीच सभी राजनीतिक दल गठजोड़ के समीकरणों और विकल्पों को तलाश करते हुए अपनी-अपनी सरकार बनाने की कवायद कर रहे थे।
नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस ने अपने विधायकों को साथ बनाए रखने के लिए और भाजपा को सत्ता से बाहर रखने की कवायद के तहत आपस में गठजोड़ शुरू कर दिया। कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच सैद्धांतिक तौर पर साझा सरकार के गठन पर फैसला भी हो गया था। सिर्फ एलान बाकी रह गया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा ने 21 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पहले फोन किया, लेकिन फोन पर वह उपलब्ध नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने उनके कार्यालय में सरकार के गठन के दावे के साथ एक फैक्स भी किया। यह फैक्स भी राज्यपाल को प्राप्त नहीं हुआ। इसके बाद महबूबा ने सोशल मीडिया पर भी ट्वीट करते हुए कहा कि वह सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। राजभवन में फैक्स किया गया है, लेकिन राज्यपाल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
महबूबा द्वारा सरकार बनाए जाने के दावे के चंद ही मिनट बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमेन सज्जाद गनी लोन जो उस समय भाजपा के करीबी थे, ने भी भाजपा नेताओं की सहमति के साथ राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए अपना दावा प्रेषित कर दिया। उन्होंने अपने दावे में यह नहीं बताया कि भाजपा उनके साथ है, लेकिन यह जरूर कहा कि वह बहुमत साबित कर सकते हैं। राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से चला कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसी को भी मौका नहीं दिया और विधानसभा को ही भंग कर दिया। उनके इस फैसले पर खूब सियासत हुई थी। राज्यपाल ने बाद में कई बार इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि फैक्स खराब था, इसलिए उन्हें नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने एक बार कहा कि फैक्स शाम को आया था और उस दिन छुट्टी भी थी। इसलिए फैक्स पर जिस अधिकारी की ड्यूटी थी, वह वहां नहीं था।
यह राजभवन की फैक्स मशीनों का रहस्य है : इल्तिजा मुफ्ती
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की तरफ से उनकी बेटी इल्तिजा ने महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर ट्वीटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने लिखा, यह राजभवन की फैक्स मशीनों का रहस्य है। यह सुबह 5.27 बजे राष्ट्रपति शासन हटाकर भाजपा की सरकार बनाने के लिए क्रियाशील हो जाती हैं, लेकिन नवंबर 2018 में जम्मू कश्मीर में पीडीपी, नेकां व कांग्रेस की साझा सरकार के गठन के दावे के समय खराब हो गई थी।