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सरपंचों के कंधों पर सवार होकर संसद में पहुंचने की रणनीति बना रहे राजनीतिक दल

राजनीतिक पार्टियों ने वरिष्ठ नेताओं को पंचायत चुनाव से संसदीय चुनाव, विधानसभा चुनाव तक कामयाब होने की जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप दी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 11:32 AM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 11:32 AM (IST)
सरपंचों के कंधों पर सवार होकर संसद में पहुंचने की रणनीति बना रहे राजनीतिक दल
सरपंचों के कंधों पर सवार होकर संसद में पहुंचने की रणनीति बना रहे राजनीतिक दल

जम्मू, विवेक सिंह। आगामी लोकसभा चुनाव को देख राजनीतिक दल पंचायत से संसद तक पहुंचने की सीढ़ी तलाश रहे हैं। इसकी कुंजी राज्य के 58 लाख ग्रामीण मतदाताओं के हाथ में है। राजनीतिक पार्टियों ने वरिष्ठ नेताओं को पंचायत चुनाव से संसदीय चुनाव, विधानसभा चुनाव तक कामयाब होने की जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप दी है।

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जम्मू-कश्मीर में 18 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे। आसार हैं कि विधानसभा को भंग कर अगले साल गर्मियों में संसदीय व विधानसभा चुनाव हो जाएं। 17 नवंबर को पहले चरण के मतदान की अधिसूचना जारी होते ही भाजपा व कांग्रेस ने अपने नेताओं को स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि वे डेढ़ महीना गांवों में रहकर पार्टी को जमीनी सतह पर मजबूत बनाएं। शहरों, कस्बों के मतदाताओं के मुकाबले ग्रामीण मतदाता संसदीय चुनाव में किसी भी राजनीतिक पार्टी की तकदीर बनाने, बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। कारण है कि न सिर्फ उनकी संख्या शहरी मतदाताओं से तीन गुणा ज्यादा है। अपितु मतदान के प्रति उत्साह दुगुना है।

संसदीय सीटों के बनाई जा रही रणनीति

अगले वर्ष राज्य में छह संसदीय सीटों के लिए चुनाव होने हैं। निकाय चुनाव के 17 लाख मतदाताओं के मुकाबले गांवों में 58 लाख से भी ज्यादा मतदाता हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा व पीडीपी 3-3 संसदीय सीटें जीती थी। कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस खाता नहीं खोल पाई थी। भाजपा-पीडीपी बेहतर प्रदर्शन बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रही हैं। वहीं नेकां, कांग्रेस ये सीटें छीनने की रणनीति बना रही हैं। 17 नवंबर से 11 दिसंबर तक होने वाले चुनाव में राज्य के 316 ब्लॉकों की 4490 पंचायतों में मतदान होगा। 58,12429 मतदाता 35096 पंचों के साथ 4490 सरपंच भी चुनेंगे।

पंचायत चुनावों में भी होगी राजनीतिक दखल

चुनाव तो गैर राजनीतिक हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियां न सिर्फ अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारेंगी अपितु यह भी सुनिश्चित करेंगी उनकी जीत हो। भाजपा व कांग्रेस पंचायतों में काबिज होने के लिए खुलकर मैदान में हैं। वहीं चुनाव बहिष्कार करने वाली नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी अंदर खाने पूरी कोशिश करेगी कि संसदीय चुनाव के लिए कश्मीर में समर्थन में जमीन तैयार हो सके। निकाय चुनाव की तरह पंचायत चुनाव के प्रचार में भी सबसे आगे रहने को तैयार भाजपा ने तो पंचायत से संसद तक मुहिम भी छेड़ दी है। जम्मू संभाग में पंचायत चुनाव की तैयारियों को तेजी देने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर भी इस समय जम्मू में हैं।

नौ चरणों में होंगे मतदान

पंचायत चुनाव के नौ चरणों में मतदान 17 नवंबर, 20 नवंबर, 24 नवंबर, 27 नवंबर, 29 नवंबर, 1 दिसंबर, 4 दिसंबर, 8 दिसंबर व 11 दिसंबर को होगा। कड़ी सुरक्षा के बीच चुनाव करवाने के लिए अधिसूचनाएं 26 अक्टूबर, 29 अक्टूबर, 1 नवंबर, 3 नवंबर, 6 नवंबर, 9 नवंबर, 12 नवंबर व 14 नवंबर को जारी की जाएंगी। वहीं नौ चरणों के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथियां 30 अक्टूबर, 2 नवंबर, 5 नवंबर, 8 नवंबर, 10 नवंबर, 13 नवंबर, 16 नवंबर, 19 नवंबर व 22 नवंबर को होगी।

अच्छे लोग आगे आएं

प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि निकाय चुनाव जीतने के बाद पार्टी पंचायत चुनाव में कामयाब होकर सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में फिर से भाजपा को संसद की तीन सीटें मिलें। भाजपा के सांसद, विधायक व अन्य वरिष्ठ नेताओं को पंचायत चुनाव की जिम्मेदारियां दी गई हैं। भाजपा की पूरी कोशिश रहेगी कि अच्छे लोग पंचायतों में आगे आएं। भाजपा की विचारधारा में विश्वास रखने वाले उम्मीदवार जीत हासिल कर अपने इलाकों में विकास को बढ़ावा दें। गलत उम्मीदवार सामने आ गए तो लोगों का नुकसान होगा।

बैठकों का सिलसिला जारी

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने बताया कि पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकों का सिलसिला जारी है। भाजपा-पीडीपी लोग में विफल रहे हैं। इन पार्टियों की नाकामी के बारे में पहले लोग बोलते थे, अब वे खुद एक दूसरे को एक्सपोज कर रहे हैं। लोगों को इन पार्टियों से विश्वास उठ गया है। 


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