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Ayodhya Verdict: अयोध्या मामले के फैसले में किसी की हार-जीत नहीं, तथ्यों पर हुआ फैसला

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह भी साफ हुआ है कि उन्होंने किसी एक धर्म विशेष को प्राथमिकता नहीं दी है बल्कि दोनों पक्षा का ध्यान रखा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 02:43 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 02:55 PM (IST)
Ayodhya Verdict: अयोध्या मामले के फैसले में किसी की हार-जीत नहीं, तथ्यों पर हुआ फैसला
Ayodhya Verdict: अयोध्या मामले के फैसले में किसी की हार-जीत नहीं, तथ्यों पर हुआ फैसला

जम्मू, जेएनएन। अयोध्या मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों ने एक सुर में स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह फैसला तथ्यों के आधार पर है और यह किसी समुदाय की हार या जीत से जुड़ा नहीं है। यह तो देश की एकता-अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाला फैसला है। सभी को इस फैसले का सम्मान करना चाहिए और देश को प्रगति के पथ पर बढ़ाने के लिए मिलजुलकर काम करना चाहिए।

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कांग्रेस प्रवक्ता रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सभी को माननीय होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने देश के इतिहास में दूसरी बार इतनी लंबी सुनवाई की है। यह संवेदनशील और लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ मामला था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को उनकर, तथ्योें को ध्यान में रखकर यह फैसला सुनाया है इसलिए इस पर कोई भी राजनीति नहीं होनी चाहिए। सभी को यह फैसला मान्य होना चाहिए। यदि किसी राजनीतिक दल अथवा किसी अन्य संगठन को फैसले पर आपत्ति है तो वे अपना कानूनी तौर पर पक्ष रखे न कि धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़कार देश में सांप्रदायिक माहौल को खराब करे।

भाजपा की महिला प्रदेश प्रधान रजनी सेठी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एतिहासिक बताते हुए सभी देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला सभी पक्षों को सुनकर लिया गया है। सभी को इसका दिल से स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले की आड़ में कोई राष्ट्र विरोधी तत्व देश की एकता-अखंडता व भाइचारे को नुकसान पहुंचाने का प्रयास न करे इसके लिए सभी को सजग रहने की जरूरत है।

वहीं अंजुमन-ए-इमामिया के सचिव प्रो. सुज्जात खान का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसी की भी हार नहीं हुई है। इसमें दोनों पक्षों की जीत है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और तथ्यों के आधार पर फैसला दिया। मंदिर के लिए जगह देने के साथ-साथ मस्जिद के लिए भी जगह आवंटित करने के निर्देश दिए हैं। सभी पक्षों को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह भी साफ हुआ है कि उन्होंने किसी एक धर्म विशेष को प्राथमिकता नहीं दी है बल्कि दोनों पक्षा का ध्यान रखा है। इस फैसले का राजनीतिककरण नहीं होना चाहिए। 


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