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नाबालिगों के हाथ में हथियार थमा रहे आतंकी

आतंकी संगठनों में नाबालिग लड़कों की भर्ती रोकने के लिए राज्य पुलिस ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों और क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 09:07 AM (IST)
नाबालिगों के हाथ में हथियार थमा रहे आतंकी
नाबालिगों के हाथ में हथियार थमा रहे आतंकी

जम्मू, नवीन नवाज। आतंकी संगठनों में नाबालिग लड़कों की भर्ती रोकने के लिए राज्य पुलिस ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों और क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट में किशोरों के आतंकी बनने के कारणों, उनकी शिक्षा, पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी प्रोफाइ¨लग शामिल करने को कहा गया है।

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मुठभेड़ में मारे गए थे दो नाबालिग आतंकी गत शनिवार को श्रीनगर से सटे मुजगुंड में मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों में शामिल मुदस्सर की उम्र 14 साल थी। उसके साथ मारा गया साथी साकिब बिलाल 17 साल का बताया जाता है। दोनों जिला बांडीपोर के पर्रे मुहल्ला हाजिन के थे। 31 अगस्त को आतंकी बने थे। 15 साल में आतंकी बना था बुरहान यह कोई पहला मौका नहीं है जब कश्मीर में किसी आतंकी संगठन में नाबालिग लड़के शामिल हुए हों। वर्ष 2016 में मारा गया बुरहान वानी भी 15-16 साल की उम्र में ही आतंकी बना था। उसकी किशोर अवस्था को आतंकियों ने अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया था।

जब वह मारा गया तो उस समय वह बालिग था। सबसे कम उम्र का आतंकी था मुदस्सरमुदस्सर को कश्मीर में 30 वर्षो से जारी आतंकी हिंसा में एक दशक के दौरान मुठभेड़ में मारे जाना वाला सबसे छोटा कश्मीरी आतंकी बताया जा रहा है। उसकी मौत ने स्थानीय सामाजिक हल्कों से सोशल मीडिया पर नई बहस को जन्म दे दिया है। राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां दबाव में आ गई हैं। वह दावा कर रही थी कि तीन चार माह में सिर्फ तीन चार लड़के ही आतंकी बने हैं। कोई भी 14 साल का नहीं हैं।

सभी गैर सैन्य विकल्प अपनाने चाहिए :

लोनपूर्व समाज कल्याण मंत्री और पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने टवीट करते हुए लिखा है कि 14 वर्षीय लड़के की मौत दुखद और पीड़ादायक है। जब कोई नाबालिग किसी आतंकी ¨हसा में लिप्त हो या घेराबंदी में फंसे तो प्रशासन को पहले सभी गैर सैन्य विकल्प अपनाने चाहिए। अगर उसके यह विकल्प काम न करें तो बेहतर है कि आतंकरोधी अभियान ही रोक दिया।

किशोरों का आतंकियों में शामिल होना चिंता का विषय : हसनजुवेलाइन जस्टिस बोर्ड कश्मीर की सदस्य डॉ. आसिमा हसन ने कहा कि नाबालिग लड़कों का आतंकी हिंसा में शामिल होना गंभीर चिंता का विषय है। सिर्फ राज्य प्रशासन को ही नहीं अलगाववादी खेमे को भी इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए। बच्चे तो मासूम होते हैं,उन्हें दुनियादारी की समझ नहीं होती। कोई समाज तभी मजबूत और समृद्ध होता है जब वह आने वाली पीड़ी का समुचित संरक्षण और उचित मार्गदर्शन करते हुए उसकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाता है।

संबंधित अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी :

आइजीपीपुलिस महानिरीक्षक कश्मीर (आइजीपी) स्वयं प्रकाश पाणि ने बताया कि हम यह पता लगा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ है जिससे मुदस्सर आतंकी बना है। हमने संबंधित अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी है। भविष्य में ऐसा न हो, कोई नाबालिग तो क्या बालिग आतंकी न बने इसके लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए हैं। सभी जिला पुलिस प्रमुखों और एजेंसियां अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में उन चीजों का पता लगाएं जिनके कारण नाबालिग लड़के आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। नाबालिग लड़कों का विशेषकर 14-15 साल के बच्चों का आतंकी बनना बहुत खतरनाक है। जो रिपोर्ट तलब की गई है,उसमें 16-18 साल की आयुवर्ग के बीच में आतंकी बने युवकों या फिर आतंकी संगठनों से छुड़ाकर मुख्यधारा मे लाए गए नाबालिगों का पूरा प्रोफाइल होगा, उनकी काउंसिलिंग के दौरान निकले निष्कर्षों का ब्योरा होगा। इन युवकों के दोस्तों और परिजनों के विचार भी शामिल होंगे।

नाबालिग लड़कों को आतंकी बनने से कैसे रोका जाए इसमें सभी की राय भी होगी। इस रिपोर्ट को प्रतिष्ठित बाल मनोवैज्ञानिकों विशेषकर जो संकटग्रस्त इलाकों में सक्रिय रहे हैं,के संज्ञान में लाकर एक प्रभावशाली और व्यावहारिक रोडमैप लागू किया जाएगा ताकि दोबारा कोई दूसरा मुदस्सर न बने।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : जून में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कश्मीर घाटी में जैश ए मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन नाबालिग बच्चों जिनकी उम्र 14 से 18 के बीच है, भर्ती कर रहे हैं। 


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