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धांधली: पीएचक्यू ने 17 हजार की स्वाइप मशीन 2.39 लाख में खरीदी

पुलिस हैड क्वार्टर के वरिष्ठ अधिकारियों काे इस घोटाले का पता चला तो उन्होंने अपने तौर पर ही मामले की जांच कर कमेटी के कार्रवाई शुरू कर दी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 11:01 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 11:01 AM (IST)
धांधली: पीएचक्यू ने 17 हजार की स्वाइप मशीन 2.39 लाख में खरीदी
धांधली: पीएचक्यू ने 17 हजार की स्वाइप मशीन 2.39 लाख में खरीदी

जम्मू, अवधेश चौहान। जम्मू कश्मीर पुलिस को मॉर्डनाजेशन बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाली राशि में किस तरह धांधलियां हो रही हैं, इसका अंदाजा ट्रैफिक पुलिस की छवि सुधारने के लिए खरीदी गईं स्वाइप मशीनों से लग जाता है। हद तो तब हो गई जब 17 हजार रूपये की मशीन 2.39 लाख रूपये में खरीद ली। विभाग के लिए केवल एक दो मशीन ही नही बल्कि 45 मशीनों को खरीदने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी किए। इसके लिए बाकायदा जम्मू कश्मीर पुलिस मुख्यालय की ओर से टेंडर आंमत्रित किए गए।

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जेएडंके स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एडं कारपोरेशन एडं डवेलपमेंट ने टेंडर को आगे दिल्ली की किसी फर्म को सौंप दिया। सूत्रों के मुताबिक पीएचक्यू की परचेज टीम के सदस्यों ने 17 हजार रूपये प्रति मशीन के बदले 2.39 लाख रूपये म्रति मशीन की खरीद को लिए मंजूरी भी दे दी। कमेटी ने 10.75 करोड़ की मशीनें खरीद लीं। इसके लिए बाकी के टेंडर जिनके दाम काफी कम थे, उन्हें तरजीह नही दी गई। इस बारे में जब कारपोरेशन के एमडी अतुल शर्मा से बाता की तो उन्होंने कि उन्हें ज्वाइंन किए कुछ ही दिन हुए हैं, इस बारे में कुछ नही कह सकते।

इतना ही नही मंहगे दामों की इन मशीनों को जम्मू शहर के तमाम ट्रैफिक इंस्पेक्टरों को इ चालना काटने के लिए उपल्ब्ध करवा दी गईं। कई लोगों के स्वाइप मशीनों के जरिए चालान भी कांटे गए। लेकिन खरीद में घोटाले को देखते हुए मामला तूल पकड़ गया और परचेज कमेटी जांच के घेरे में आ गई। पुलिस हैड क्वार्टर के वरिष्ठ अधिकारियों काे इस घोटाले का पता चला तो उन्होंने अपने तौर पर ही मामले की जांच कर कमेटी के कार्रवाई शुरू कर दी। यहां तक कि सभी स्वाइप मशीने जिन्हें ट्रैफिक इंस्पेक्टरों को दिया गया था, उन्हें वापिस ले लिया गया। हालांकि खरीद में हुए इस घोटाले की जांच के बाद कमेटी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कर ली गई। इसकी पुष्टि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने की।

सूत्रों के मुताबिक पहले तो मामले की जांच मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई, लेकिन क्राइम ब्रांच ने भी यह कह कर कि मामाले की जांच से इंकार कर दिया कि मामाला भ्रष्टाचार से जुड़ा है। उन्होंनें हवाला दिया कि मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है, इसलिए इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरों से करवाई जाए। मामला ब अब एंटी करप्शन ब्यूरों के पाले में हैं। इस सर्दभ में ब्यूरों के डायरेक्टर सईद मुजतबा गिलानी का कहना है कि मामले की जांच ब्यूरों को सौंपी गई है। जांच की जा रही है।

मॉर्डनाइजेशन राशि का नही हुआ सही इस्तेमाल

आरटीआई के मुताबिक वर्ष 2014-15 से 2017-18 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2,223 करोड़ रूपये जम्मू कश्मीर सरकार को पुलिस की मॉर्डनाइजेशन योजना के तहत दिए। दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले 5 सालों में राज्य का गृह विभाग 57.48 करोड़ रूपये के यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट मंत्रालय को नही सौंप पाया। योजना की राशि को रिलीज करने के लिए वित्त वर्ष 2014-15 से 2017-18 की अवधि के यूटिलाइजेशन सटीफिकेट राज्य सरकार नही सौंप सकी। जिससे कि राज्य पुलिस की मार्डनाइजेशन योजना पर ग्रहण लग गया है। 


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