Jammu: मुजरिम फरार के मंचन से खोली पुलिस की पोल
पहले कि वह अपने लापता पति के रूप में उनमें से एक को स्वीकार करने के लिए मजबूर हो ताकि जनता के सामने पुलिस की छवि को बचाया जा सके।
जागरण संवाददाता, जम्मू : नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में नाटक मुजरिम फरार का मंचन किया गया। अशोक घई द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन नीरज कांत ने किया। नाटक के माध्यम से पुलिस कार्यप्रणाली की पोल खोलने का काम किया गया। इसमें दर्शाया गया कि कैसे पुलिस कई बार बेगुनाहों पर अत्याचार करती है। नाटक के माध्यम से पुलिस स्टेशन के खौफ को भी सफलतापूर्वक दर्शाया गया। नाटक की शुरुआत एक युवा नवविवाहित लड़की के अपने प्रोफेसर पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट के साथ एक पुलिस स्टेशन में आने से होता है। उसकी रिपोर्ट दर्ज होने से पहले उसे सामान्य उत्पीड़न, अपमान और शर्मिंदगी के अधीन किया जाता है।
उसे कहा जाता है कि साबित करे कि वह शादीशुदा है या नहीं। अगर सुबूत है तो कहां है। बाद में वह उन्हें समझा पाती है कि वह शादीशुदा है। वह पति पर घर से भागने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाती है। पुलिस द्वारा उसके पति के न मिलने तक उसे वहां रखे जाने के आदेश के साथ हिरासत में ले लिया गया है। गुमशुदा पति की पहचान हर तरफ हो जाती है और स्थिति तब और खराब हो जाती है जब विभिन्न चेक-पॉइंट्स में पुलिस लगभग समान पहचान वाले पांच व्यक्तियों को पकड़ लेती है। इससे पहले कि वह अपने लापता पति के रूप में उनमें से एक को स्वीकार करने के लिए मजबूर हो ताकि जनता के सामने पुलिस की छवि को बचाया जा सके।
असली पति दिखाई देता है जो पुलिस प्रमुख का करीबी दोस्त होता है। यहां कर्तव्य पर पुलिस ने अपना रंग बदल दिया और पांच गिरफ्तारियों को इस कथन के साथ सही ठहराया कि वे गिरफ्तार व्यक्ति, अपने पति की अनुपस्थिति में अकेली महिला को परेशान करने की कोशिश कर रहे थे।
नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में सुशांत सिंह चाढ़क, मनोज लालोत्रा, चिराग आनंद, उदित सागर, उमंग शर्मा, कुलदीप अंगराल, सिमरन, आदिल खान, आकाश वर्धन, सुमित रैना और चाहत कात्याल शामिल थे। रोशनी का संचालन नीरज कांत द्वारा किया गया था जबकि ध्वनि का संचालन बृजेश अवतार शर्मा ने किया। कानन प्रीत कौर ने दर्शकों के सामने शो प्रस्तुत किया और शो का समन्वय सुमीत शर्मा ने किया।
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