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भाग्य विधाता में दंपती की नोकझोंक पर लगे ठहाके

डोगरी हास्य नाटक भाग्यविधाता ने दर्शाया कोई जोड़ी नहीं है संतुष्ट जागरण संवाददाता जम्मू नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला और जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित डोगरी नाट्योत्सव में रविवार को लक्ष्य द एम की ओर से आदित्य भानु के निर्देशन में डोगरी नाटक भाग्यविधाता का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से समाज की असंतुष्टी पर जोरदार व्यंग्ब्य किया गया है। भाग्यविधाता नाटक के अंत में मानता है कि दूसरे काम तो उसने ठीक तरीके से कर लिए जोड़ियां बनाने में वह असफल रहा। यहां तक जो जोड़ियां लोगों की मर्जी से बनती हैं वह भी बाद में भाग्यश्विधाता को ही कोसती हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 02:04 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 02:04 AM (IST)
भाग्य विधाता में दंपती की नोकझोंक पर लगे ठहाके
भाग्य विधाता में दंपती की नोकझोंक पर लगे ठहाके

जागरण संवाददाता, जम्मू : नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला और जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित डोगरी नाट्योत्सव में रविवार को लक्ष्य द एम की ओर से आदित्य भानु के निर्देशन में डोगरी नाटक 'भाग्य विधाता' का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से समाज के असंतोष पर जोरदार व्यंग्य किया गया। इस दौरान बेहतरीन प्रस्तुति ने दर्शकों को खूब हंसाया। भाग्य विधाता नाटक के अंत में मानता है कि दूसरे काम तो उसने ठीक तरीके से कर लिए जोड़ियां बनाने में वह असफल रहा। यहां तक जो जोड़ियां लोगों की मर्जी से बनती हैं वह भी बाद में भाग्य विधाता को ही कोसती हैं।

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नाटक दो दंपती के इर्दगिर्द घूमता है। शुरू में तो दोनों जोड़ियां खुशी-खुशी चलती हैं लेकिन बाद में रोज लड़ाई झगडे़ शुरू हो जाते हैं। नाटक मध्यांतर तक पहुंचते-पहुंचते दोनों जोड़ियां भाग्य विधाता को कोसती दिखती हैं। भाग्य विधाता अपना खेल रचते हैं और जोड़ियों के महिला पात्र बदल दिए जाते हैं। कुछ दिन तो ठीक चलता है लेकिन देखते ही देखते फिर विवाद शुरू हो जाते हैं। एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं। भाग्य विधाता मंच पर आकर मानते हैं कि जोड़ियां बनाने में वह अपने आप को विफल मानते हैं। इतने में उनकी पत्नी आ जाती है, वह भी उनसे नाराज होकर भाग जाती है और भाग्य विधाता उन्हें मनाने के लिए दौड़ते हैं।

नाटक डोगरी संस्था में आयोजित संगीत नाटक अकादमी की कार्यशाला में तैयार किया गया था। इसे प्रो. ललित मगोत्रा, शुभम शर्मा, जितेंद्र शर्मा, राज राही, रजनीश गुप्ता, सुधीर महाजन ने रचा है। नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में आदित्य भानु, अनुरूप पठानिया, शिखा बंद्राल, रितेश सिंह, विशाल मेहता, संदीप शर्मा, अभिषेक शर्मा, वर्षा बख्शी, दृष्टि राजपूत, सोनम शर्मा शामिल थे। लाइट डिजाइनिग राहुल खत्री, संगीत सनम सूदन, कास्टयूम क्रिया बोगल, मेकअप बिदिया, प्रबंधन अमन शर्मा ने किया। शालिनी, शिलाखा सहायक निर्देशक थे।


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