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पीएचई कर्मियों का सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम, उग्र आंदोलन की चेतावनी

कर्मियों ने कहा कि वे भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में अगर वे आक्रोश में आकर सड़कों पर उतरते हैं तो सरकार इसका विरोध करती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 04:37 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 04:37 PM (IST)
पीएचई कर्मियों का सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम, उग्र आंदोलन की चेतावनी
पीएचई कर्मियों का सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम, उग्र आंदोलन की चेतावनी

जम्मू, जेएनएन। पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग में पच्चीस सालों से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे अस्थायी कर्मियों, लैंड डोनर कर्मियों ने सरकार को 72 घंटों का अल्टीमेटम दिया है। चीफ इंजीनियर कार्यालय का घेराव कर रहे इन कर्मियों ने यह स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस दौरान उनकी स्थायी नियुक्ति, बकाया वेतन जारी करने, पेबैंड लागू कर नियमित वेतन जारी करने की व्यवस्था न की गई तो वे एक बार फिर उग्र आंदोलन का मार्ग अपनाने को मजबूर हो जाएंगे। पीएचई प्रबंधन के समक्ष अपनी समस्याओं को उजागर करने के लिए जम्मू संभाग के विभिन्न जिलों से सैकड़ों कर्मी पहुंचे हुए थे।

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अपने हक के लिए नारे बुलंद कर रहे इन कर्मियों ने बताया कि उन्हें संघर्ष करते हुए चार माह से अधिक समय बीत चुका है। अधिकारी कोरे आश्वासन देकर टाल रहे हैं। उनकी मांगे कब पूरी होंगी, इसको लेकर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे रहा है। राजौरी, पुंछ, ऊधमपुर आदि जिलों के दूरदराज इलाकों से आए कर्मियों ने कहा कि विभागीय प्रबंधन ही नहीं राज्यपाल प्रशासन भी उनकी परेशानियों के हल के लिए गंभीर नहीं है। वास्तविकता यह है कि अब उन्हें वेतन न मिले हुए साठ महीनें पूरा होने को है। मार्च के बाद से बच्चों की स्कूल एडमिशन शुरू हो जाएंगी। आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया है। उन्हें पेट भर खिलाना तो पहले से ही मुहाल हो गया है।

कर्मियों ने कहा कि वे भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में अगर वे आक्रोश में आकर सड़कों पर उतरते हैं तो सरकार इसका विरोध करती है। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे आल जेएंडके पीएचई आईटीआई ट्रेंड एंड सीपी वर्कर्स यूनियन के प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि अब कर्मियों के सब्र का बांध टूट रहा है। पहले ही इस बदहाली से तंग आ चुके कई कर्मचारी खुदकुशी कर चुके हैं। सरकार को परेशानी समझनी होगी और इसके हल के लिए जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे। धरना-प्रदर्शन का यह सिलसिला दोपहर दो बजे तक जारी रहा।

वित्त विभाग में फाइल पहुंचते ही तीन दिनों में पूरी होंगी मांगे

स्थायी नियुक्ति, बकाया वेतन जारी करने की मांग को लेकर चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे अस्थायी कर्मियों के नेताओं को फाइनेंस सेक्रेटरी रोहित कंसल ने बातचीत के लिए सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में बुलाया। यूनियन के प्रधान तनवीर हुसैन सहित अन्य सदस्य कर्मियों की समस्याओं को रखने के लिए सचिवालय पहुंचे। रोहित कंसल जो सरकार द्वारा अस्थायी कर्मियों की सुनवाई के लिए गठित हाई पावर कमेटी के चेयरमैन भी हैं ने अस्थायी कर्मियों की समस्याओं को जायज बताते हुए इस बात का यकीन दिलाया कि उनकी फाइलें वित्त विभाग में आते ही वे तीन दिनों के भीतर उसका निपटारा कर देंगे। सरकार उनकी परेशानियों को समझती है और उन्हें हल करने के लिए हर संभव प्रयास होगा। इस अवसर पर चीफ इंजीनियर पीएचई अशोक गंडोत्रा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। तनवीर ने कहा कि उन्हें सरकार पर विश्वास है। यदि तीन दिनों के भीतर उनकी समस्याएं हल हो जाती है तो वे आंदोलन समाप्त कर देंगे। अन्यथा इसके बाद उग्र आंदोलन की शुरूआत होगी। कर्मी टालमटोल की नीति से परेशान हो चुके हैं और अब उनके पास सड़कों पर उतरने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं रह गया है। यूनियन पदाधिकारियों की वित्त सचिव के साथ यह बैठक करीब बीस मिनट तक चली। वित्त सचिव रोहित कंसल ने चीफ इंजीनियर पीएचई, कमिश्नर सेक्रेटरी पीएचई से जल्द से जल्द कर्मियों की फाइलें उन तक पहुंचाने के लिए कहा।


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