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बच्चों ने राज्य प्रशासन से पूछा, कब मिलेगी पापा को तनख्वाह

सभी कर्मियों की एक ही कहानी है। हरेक परेशान है। अफसोस इस बात का है कि सरकार व पीएचई प्रबंधन को इससे कोई सरोकार नहीं है। अब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई है।

By Edited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 03:08 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 03:09 AM (IST)
बच्चों ने राज्य प्रशासन से पूछा, कब मिलेगी पापा को तनख्वाह
बच्चों ने राज्य प्रशासन से पूछा, कब मिलेगी पापा को तनख्वाह

जागरण संवाददाता, जम्मू : हमें स्कूल से निकालने की धमकी दी जा रही है। त्योहारों पर दूसरे बच्चों की तरह न तो हमारे पास अच्छे कपड़े हैं और न ही मिठाइयां। जब भी पापा से रुपये मांगते हैं तो वह कहते हैं कि अभी तक तनख्वाह नहीं मिली है। सरकार कब देगी मेरे पापा को तनख्वाह। प्रदर्शनी मैदान में अपने पापा के साथ धरने में शामिल हुए बच्चे राज्य प्रशासन से यही प्रश्न पूछ रहे थे। प्रदर्शन में कुछ कर्मियों की पत्नियां भी शामिल थीं, जो आर्थिक तंगी के कारण परिवार के पालन-पोषण में आ रही परेशानियों को बयां कर रही थीं। उनके चेहरे का भाव उनकी परेशानियों को उजागर कर रहा था। उनका बस यही प्रश्न था कि राज्य प्रशासन उनकी कब सुनेगा और दूसरे कर्मचारियों की तरह वह भी बेहतर जीवन कब जीना शुरू करेंगे।

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35 महीनों का बकाया वेतन जारी करने, एसआरओ-520 को लागू कर नौकरी में नियमित करने व वेजहैड बनाकर हर माह नियमित वेतन देने की मांग को लेकर सोमवार को सैकड़ों कर्मी बीवी-बच्चों के साथ प्रदर्शनी मैदान पहुंचे। इन कर्मियों का कहना था कि सरकार शायद उनकी दिक्कतों को गंभीरता से नहीं ले रही है, इसीलिए वे अपने बच्चों को प्रदर्शन में लेकर आए हैं, ताकि वे नन्हे बच्चों की जुबानी सुन सकें। डोडा से आए रफीक अहमद के बेटे आठ वर्षीय बेटे सलीम ने बताया कि वह निजी मिडिल स्कूल में पढ़ते हैं और अब स्कूल वालों ने उसे निकाल की चेतावनी दी है। उसके पापा तीन महीनों से स्कूल फीस जमा नहीं करवा पाए हैं। रफीक ने कहा कि वह अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं ताकि भविष्य में वह उनकी तरह नौकरी के लिए दरबदर न हो, परंतु अब लगता है कि उसका यह सपना पूरी नहीं हो पाएगा। वह न तो अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा दे पा रहा है और न ही अपने परिवार को बेहतर जीवन। यही व्यवस्था ऊधमपुर के दूरदराज गांव पंचैरी से आए दीपक कुमार, जिब थाथी से आए सुभाष की भी है।

परिवार चलाने के लिए उनकी बीवी को भी मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे आल जेएंडके पीएचई आइटीआइ ट्रेंड सीपी वर्कर्स यूनियन के प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि सभी कर्मियों की एक ही कहानी है। हरेक परेशान है। अफसोस इस बात का है कि सरकार व पीएचई प्रबंधन को इससे कोई सरोकार नहीं है। अब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई है। यही वजह है कि कर्मियों को बीवी बच्चों के साथ सड़कों पर उतरना पड़ा।

प्रदर्शनी मैदान से चीफ इंजीनियर कार्यालय तक निकाली रैली

सरकार की उदासीनता और पीएचई प्रबंधन की अनदेखी से तंग आए कर्मियों ने सोमवार को बीवी-बच्चों को साथ लेकर प्रदर्शनी मैदान से चीफ इंजीनियर कार्यालय तक रैली निकाली। हाथों में मांगों के समर्थन में बैनर लिए बच्चे सरकार से उनके बेहतर जीवन के लिए पापा को स्थायी करने और बकाया वेतन जारी करने की मांग कर रहे थे। डोगरा चौक, एमए स्टेडियम, ज्यूल चौक, बस स्टेंड से होते हुए बीसी रोड स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय पहुंचने पर कर्मियों व उनके परिजनों ने मुख्य सड़क पर करीब दो घंटे तक धरना देकर अपनी मांगों के समर्थन में नारे भी लगाए। कर्मियों के प्रदर्शन के कारण बीसी रोड पर वाहनों का लंबा जाम लग गया।

रैली पहुंचने से पहले ही कार्यालय से निकल गए चीफ इंजीनियर

इससे पहले की पीएचई विभाग में कार्यरत कैजुअल कर्मियों के बीवी-बच्चे चीफ इंजीनियर का घेराव कर उनसे इंसाफ की गुहार लगाते वह अपने कार्यालय से निकल गए। यही वजह रही कि कर्मियों में गुस्सा फूट पड़ा और वे सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करने लगे। ऐसे में बीसी रोड पर जाम की स्थिति पैदा हो गई। ऐसे में मौके पर मौजूद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने विभाग में मौजूदा सुप¨रटें¨डग इंजीनियर से कर्मियों से बात कर उन्हें शांत करने को कहा। करीब दो घंटे बाद एसई ने कर्मियों को बताया कि सीएसी की बैठक में चीफ इंजीनियर उनका मामला उठा रहे हैं, उम्मीद है कि पंद्रह दिनों के भीतर इस पर निर्णय ले लिया जाएगा। अधिकारी के इस आश्वासन पर कर्मी शांत हुए और उन्होंने धरना उठा लिया।


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