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पीएचई अस्थायी कर्मियों ने सरकार को कोसा, कहा अनदेखी से परेशान कर्मी आत्महत्या का रास्ता अपना रहे

प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि जम्मू पीएचई विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मियों की संख्या 23 हजार के करीब है जबकि कश्मीर में 9000 कर्मी काम कर रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:29 PM (IST)
पीएचई अस्थायी कर्मियों ने सरकार को कोसा, कहा अनदेखी से परेशान कर्मी आत्महत्या का रास्ता अपना रहे
पीएचई अस्थायी कर्मियों ने सरकार को कोसा, कहा अनदेखी से परेशान कर्मी आत्महत्या का रास्ता अपना रहे

जम्मू, जागरण संवाददाता। पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मियों ने सोमवार को प्रदर्शनी मैदान में धरना-प्रदर्शन कर सरकार से सवाल किया कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे कर्मियों को आत्महत्या करने को आखिरकार क्यों मजबूर होना पड़ रहा है? पीएचई प्रबंधन व सरकार की अनदेखी से तंग आ चुके इन कर्मियों को इंतजार लंबा और मौत आसान रास्ता नजर आ रही है। उन्होंने राज्यपाल से अपील की कि वह इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को सामने लाएं और उनके खिलाफ सख्त कारवाई करें।

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प्रदर्शन में शामिल कर्मियों ने यह आरोप भी लगाए कि बीस सालों से भी अधिक समय से काम कर रहे इन कर्मियों को जब इंसाफ की उम्मीद हुई तो उनकी नियुक्ति पर सवालिया निशान लगाते हुए प्रक्रिया को टालना शुरू कर दिया है। धीमी गति से हो रही कार्रवाई के दौरान इन कर्मियों को 60 महीनों से वेतन भी नहीं दिया गया है। पिछले छह महीनों की बात करें तो आधा दर्जन से अधिक कर्मी अपनी जान चुके हैं जबकि इतने ही आत्महत्या का असफल प्रयास कर चुके हैं। हद तो यह है कि इन सबके बावजूद प्रबंधन ने एसआरओ-520 को लागू करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।

आल जेएंडके पीएचई आईटीआई ट्रेंड, सीपी एंड लैंड डोनर वर्कर्स एसोसिएशन के प्रधान तनवीर हुसैन ने शनिवार को रावी तवी इरीगेशन के हरि की पोहड़ी स्थित पंपिंग स्टेशन में फंदा लगाकर आत्महत्या करने वाले राजू पठानिया का हवाला देते हुए कहा कि इस मौत का जिम्मेदार पीएचइ प्रबंधन है। जम्मू पीएचई विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मियों की संख्या 23 हजार के करीब है जबकि कश्मीर में 9000 कर्मी काम कर रहे हैं। ये कर्मी आर्थिक तौर पर इस कदर कमजोर हो चुके हैं कि उनके लिए परिवार को पालना ही नहीं बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया है। अधिकारी व सरकारी तंत्र हमेशा टालमटोल कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ देता है। भीख मांगने की नौबत आ चुकी है। इन कर्मियों को राज्यपाल शासन से काफी उम्मीदें थी।

कर्मियों को लगा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक गरीब कर्मियों की परेशानियों को समझेंगे और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ। कर्मी एक बार फिर सड़कों पर उतरने का विचार कर रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल दीपक गुप्ता, सुभाष चंद्र, मंजीत सिंह, विजय कुमार ने राज्यपाल से अपील की कि वह कर्मियों की दशा को समझें और उन्हें उनका हक दें।

यह हैं मुख्य मांगे

- एसआरओ-520 को सख्ती से लागू कर सभी कर्मियों को स्थायी किया जाए

- 60 महीनों से बकाया वेतन कर्मियों को एक मुश्त में दिया जाए

- स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने तक पे-बैंड बनाकर कर्मियों को नियमित वेतन दिया जाए


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