संसद पहुंचे पीएचई अस्थायी कर्मी, मार्च निकालने का किया प्रयास, पुलिस ने रोका
हाथों में मांगों के बैनर लिए पहले तो इन कर्मियों ने जंतर-मंतर में धरना दिया। बाद में उन्होंने संसद भवन के सामने पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
जम्मू, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने दिल्ली पहुंचे पीएचई अस्थायी कर्मियों ने आंदोलन के अंतिम दिन संसद भवन के बाहर नारे लगाए। इस दौरान उन्होंने मार्च निकालने का प्रयास भी किया परंतु वहां तैनात पुलिस जवानों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। पीएचई अस्थायी कर्मियों ने कहा कि अब वे आंदोलन की अगली रणनीति जम्मू पहुंचकर तय करेंगे। हालांकि उन्होंने इस दौरान ये चेतावनी भी दे डाली कि यदि केंद्र सरकार ने भी उनकी पुकार नहीं सुनी तो अगली बार वे अपने बीवी-बच्चों के साथ जंतर-मंतर के बाहर धरना देंगे।
हाथों में मांगों के बैनर लिए पहले तो इन कर्मियों ने जंतर-मंतर में धरना दिया। बाद में उन्होंने संसद भवन के सामने पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। जब इन कर्मियों ने संसद की ओर मार्च निकालने का प्रयास भी किया परंतु वहां तैनात पुलिस जवानों ने उन्हें वहां से हटा दिया। हालांकि वहां मौजूद तेलंगाना के सांसद यह सब देख रहे थे और उन्होंने कर्मियों पास पहुंचकर उनकी परेशानी को सुना। इन कर्मियों ने अपना दुखड़ा बयां करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार की अनदेखी के कारण विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे एक लाख से अधिक कर्मी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। पीएचई विभाग में इन कर्मियों की संख्या 29 हजार के करीब है, जो अन्य विभागों के मुकाबले सबसे अधिक है। पच्चीस सालों से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे इन कर्मियों को पचास महीनों से अधिक समय से वेतन नहीं दिया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे आल जेएंडके पीएचई आईटीआई ट्रेंड एंड सीपी वर्कर्स यूनियन के प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि दूरदराज व पहाड़ी इलाकों में इस समय बारिश व बर्फबारी हो रही है। ऐसी स्थिति में पीएचई विभाग का अधिकार उन इलाकों का रूख भी नहीं करता। खराब मौसम में भी वहां के इलाकों में पानी की सप्लाई सुचारू रूप से हो रही है। यह पीएचई अधिकारियों की बदौलत नहीं बल्कि इन्हीं अस्थायी कर्मियों के कारण है। बर्फ व बारिश के बीच भी ये कर्मी पूरी निष्ठा के साथ अपना काम कर रहे हैं। इस पर जब ये कर्मी बकाया वेतन जारी करने की मांग करते हैं तो उन्हें टाल दिया जाता है। इन कर्मियों ने यह भी बताया कि नियमित वेतन न मिलने के कारण उनके लिए अपने बच्चों का पढ़ावा भी मुश्किल हो गया है। त्यौहारों के दौरान भी वेतन नहीं मिलता। अपने हक के लिए जब वे सड़कों पर उतरते हैं तो अधिकारी ड्यूटी से गैर हाजिर होने पर निकालने की धमकी देते हैं।
इस पर सांसद ने कर्मियों से मांगों का ज्ञापन लिया और यह विश्वास जताया कि वह उनकी आवाज संसद में पहुंचाएंगे। उनका प्रयास रहेगा कि दिल्ली सरकार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से कहकर उनकी मांगों को हल करवाए। कर्मियों ने कहा कि वे सरकार से यही चाहते हैं कि वह एसआरओ-520 को लागू करने में तेजी लाएं। इसके अलावा बकाया वेतन जारी करें और पैबेंड बनाकर स्थायी होने तक उन्हें नियमित वेतन देने की व्यवस्था करें ताकि उनकी परेशानी कम हो। तनवीर ने कहा कि अगली रणनीति वे जम्मू पहुंचकर तय करेंगे। इसकी घोषणा प्रदर्शनी मैदान से की जाएगी।