दिल्ली में गूंजी पीएचई कैजुअल कर्मियों की आवाज, कर्मियों ने जंतर-मंतर में दिया धरना
हाथों में मांगों और साथियों द्वारा मांगे हल न होने की सूरत में किए गए आत्मदाह के बैनर तले इन कर्मियों ने जम्मू-कश्मीर सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर सरकार के समक्ष बार-बार अपनी समस्याओं को उजागर कर थक चुके पीएचई कैजुअल कर्मी केंद्र के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। जंतर-मंतर में धरने पर बैठे इन कर्मियों ने न सिर्फ उनके साथ हो रही अनदेखी को उजागर किया बल्कि केंद्र सरकार तक यह बात भी पहुंचाई कि विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे उन जैसे हजारों अस्थायी कर्मी पचास महीनों से भी अधिक समय से वेतन न मिलने के कारण दर-बदर हो रहे हैं। अपनी समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए दिल्ली पहुंचे ये कर्मी मंगलवार को भी इसी तरह जंतर-मंतर में धरना-प्रदर्शन करेंगे।
जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों से दिल्ली गए इन कर्मियों के जंतर-मंतर धरना स्थल के पास से गुजर रहे लोगों ने भी जब इनकी व्यथा सुनी तो उनके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें दिखाई दी। लोग इस बात से हैरान दे कि जम्मू-कश्मीर सरकार इन कर्मियों के साथ ऐसा कैसे कर सकती है। हाथों में मांगों और साथियों द्वारा मांगे हल न होने की सूरत में किए गए आत्मदाह के बैनर तले इन कर्मियों ने जम्मू-कश्मीर सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों में शामिल आल जेएंडके पीएचई आईटीआई ट्रेंड एंड सीपी वर्कर्स यूनियन के प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि अपने हक के लिए वे चार महीनों से आंदोलन कर रहे हैं।
इस दौरान वे प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर प्रबंधन के समक्ष कई बार गुहार लगा चुके हैं। सड़कों पर उतरकर भी देख लिया। पुलिस की लाठियां, गिरफ्तारियां भी दी परंतु अफसोस इस बात है कि इस दौरान आश्वासन तो कई मिले परंतु हल कोई नहीं निकला। अपना दुखड़ा सुनाने के लिए उन्हें दिल्ली आना पड़ा। तनवीर ने कहा कि वे इस दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी अर्जी पहुंचाने का प्रयास भी करेंगे। धरने पर बैठे कर्मियों ने कहा कि वे बड़ी उम्मीदों के साथ दिल्ली आए हैं। यदि उन्हें यहां से भी इंसाफ नहीं मिला तो वे कहा जाएंगे।