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कई बीमारियों की जकड़ में जम्मू-कश्मीर के लोग, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले अधिक बढ़े

कश्मीर में चिकन पाक्स के मामले भी अधिक हैं। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के आंकड़ों के अनुसार साल 2017 में जम्मू संभाग में चिकन पाक्स के 144 मामले ही दर्ज हुए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 11:17 AM (IST)
कई बीमारियों की जकड़ में जम्मू-कश्मीर के लोग, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले अधिक बढ़े
कई बीमारियों की जकड़ में जम्मू-कश्मीर के लोग, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले अधिक बढ़े

जम्मू, रोहित जंडियाल। कश्मीर में सर्दियों में दूषित हवा, धूम्रपान और अन्य कारणों से रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यही नहीं जम्मू-कश्मीर में डायरिया, टायफायड, चिकन पाक्स सहित कई बीमारियों के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। इसका खुलासा नेशनल हेल्थ प्रोफाइल से हुआ। इसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य आंकड़ों की जानकारी दी है।

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नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक मामले रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और डायरिया के आते हैं। जम्मू संभाग में डायरिया और कश्मीर में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले आते हैं। इस सर्वे के अनुसार कश्मीर में साल 2017 में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के कुल 6,87,278 मामले आए। जम्मू संभाग में तीन लाख 618 लोग किसी ने किसी प्रकार की रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से पीडि़त हुए। साल 2018 में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के कुल 6,36,910 मामले सामने आए। जम्मू संभाग में दो लाख 71 हजार मामले दर्ज किए। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल में इसका कारण तो नहीं बताया गया है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों में यह मामले अधिक आते हैं। कश्मीर में विशेषकर लोग कांगड़ी का इस्तेमाल करते हैं। कोयले और लकड़ी जलाते हैं। इस कारण सांस संबंधी रोगों में समस्या होती है।

चिकन पाक्स के मामले भी अधिक

कश्मीर में चिकन पाक्स के मामले भी अधिक हैं। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के आंकड़ों के अनुसार साल 2017 में जम्मू संभाग में चिकन पाक्स के 144 मामले ही दर्ज हुए। कश्मीर संभाग में 2327 लोगों में यह बीमारी दर्ज की गई। इसी तरह साल 2018 में जम्मू संभाग में चिक्न पाक्स के 32 मामले ही दर्ज हुए। कश्मीर संभाग में 2562 मामले दर्ज किए गए। कश्मीर में कई बार चिक्न पाक्स स्कूली बच्चों में फैला है। यह बीमारी इंफेक्शन के कारण होती है। जिन लोगों ने टीकाकरण नहीं करवाया होता है। उनमें होने की अधिक आशंका रहती है।

कश्मीर में खसरा भी अधिक

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के अनुसार कश्मीर में खसरे के मामले भी अधिक हैं। 2017 में जम्मू संभाग में खसरे के मामले जहां सिर्फ 30 ही आए वहीं कश्मीर में 1488 मामले दर्ज किए। साल 2018 में जम्मू संभाग में खसरे के मामले बढ़े और 120 लोगों में यह बीमारी हुई। कश्मीर में 2039 लोगों में खसरे की पुष्टि हुई।

निमोनिया से मौतें

सर्वे में यह भी सामने आया है कि जम्मू कश्मीर में दो साल में 20 लोगों की निमोनिया के कारण मौत हो गई। निमोनिया के मामले हालांकि पहले के मुकाबले कम हो रहे हैं, लेकिन इससे होने वाली मौतों ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। साल 2017 में जम्मू संभाग में निमोनिया से 11 लोगों की मौत हो गई। साल 2018 में नौ लोगों की निमोनिया से जान गई।

साल 2018 में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामले

  • जम्मू संभाग: 2,70,847
  • कश्मीर संभाग: 6,36,910

साल 2018 में चिकन पाक्स के मामले

  • जम्मू संभाग: 32
  • कश्मीर संभाग: 2562

साल 2018 में खसरे के मामले

  • जम्मू संभाग: 110
  • कश्मीर संभाग: 2039

साल 2018 में टायफायड के मामले

  • जम्मू संभाग: 27,355
  • कश्मीर संभाग: 12,645

साल 2018 में निमोनिया के मामले

  • जम्मू संभाग: 8,478
  • कश्मीर संभाग: 4840

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