Udhampur Blast : पाकिस्तान परस्त आतंकियों की आंखों की किरकिरी रही है ऊधमपुर की शांति
यह विस्फोट जम्मू कश्मीर के उन शहरों और कस्बों को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा है माना जा रहा है जो आतंक के भयावह दौर में भी अपेक्षाकृत शांत रहे पर सांंप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील है। ऊधमपुर में ही सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : आतंकी संगठनों ने एक बार फिर शांत ऊधमपुर का दहलाने की साजिश रची है। बुधवार रात और वीरवार सुबह हुए आइईडी धमाके इसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। स्पष्ट है कि इसमें मैग्नेटिक बम का इस्तेमाल किया गया। एडीजीपी मुकेश सिंह भी इससे इन्कार नहीं कर रहे हैं। इन धमाकों से सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता पर सवाल उठना भी लाजिमी है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि अब आतंकियों का नेटवर्क क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय है।
यह विस्फोट जम्मू कश्मीर के उन शहरों और कस्बों को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा है माना जा रहा है जो आतंक के भयावह दौर में भी अपेक्षाकृत शांत रहे पर सांंप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील है। ऊधमपुर में ही सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय है। ऐसे में सुरक्षा परिदृश्य के हिसाब से यह क्षेत्र काफी अहम है। चूंकि आतंकी संगठन कश्मीर में बड़ी वारदात को अंजाम देने में विफल रहे हैं, ऐसे में जम्मू और उसके साथ जुड़े महत्वपूर्ण कस्बों को निशाना बनाने की साजिश रचते रहते हैं।
ऊधमपुर के आसपास आतंकी बुनते रहे हैं साजिश : जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का अहम पड़ाव होने के साथ ही सामरिक नजरिये से अत्यंत महत्वपूर्ण है। थल सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय इसी शहर में है। यहां महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान और सेना के आयुध डिपो भी हैं। आतंकी संगठनों ने बार-बार ऊधमपुर को अपनी साजिशों का केंद्र बनाने की कोशिश है, लेकिन ऊधमपुर की जनता ने ज्यादातर साजिशों को विफल कर दिया।
इससे हताश आतंकियों ने ऊधमपुर जिले के दूरदराज के पहाड़ी इलाकों और नेशनल हाईवे पर जरूर गतिविधियों को अंजाम दिया। पंचैरी, लाट्टी, बसंतगढ़ जैसे इलाकों में आज भी आतंकियों के जुल्मों के निशान मिलते हैं। कभी ऊधमपुर का ही हिस्सा रहे रियासी, माहौर, गूल- गुलाबगढ़ में आतंकी और उनके सहयोगियों की सक्रियता लगातार सामने आ रही है।
11 साल पहले मेजर जनरल की जान लेने की हुई थी कोशिश : ऊधमपुर शहर में आतंकियों ने कई बार दहशत फैलाने की साजिश रची। राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी कई हमले हुए हैं। पत्नीटाप के पास दो बार आइईडी धमाके में सैन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया है।
कब-कब रची गई साजिश
- लगभग 11 वर्ष पूर्व दो मई 2011 को आतंकियों ने उत्तरी कमान के पास सड़क पर धमाका कर तत्कालीन मेजर जनरल डीएस पठानिया की जान लेने का प्रयास किया था। इस हमले में एक नागरिक मारा गया था। हमले को अंजाम देने वाला पाकिस्तानी आतंकी हैदर जम्मू के निकट सिद्दड़ा में किराये के मकान में रह रहा था।
- सात वर्ष पूर्व ऊधमपुर के समरोली के पास हाईवे पर लश्कर आतंकियों ने बीएसएफ के काफिले पर हमला किया था। मुठभेड़ में एक आतंकी मौके पर मारा गया, जबकि दूसरा आतंकी नावेद ङ्क्षजदा पकड़ा गया। नावेद पाकिस्तानी था। इस हमले का मास्टरमाइंड अबु कासिम हमले के कुछ माह बाद कुलगाम में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
- इसी वर्ष नौ मार्च को ऊधमपुर के सलाथिया चौक पर आइईडी धमाका हुआ था। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी। 16 अन्य घायल हुए थे।