JK: चीन में कोरोनावायरस तो कश्मीर में है पीएसए वायरस, दोनों ही मुद्दों पर बात करने से डरते हैं लोग
मीर ने कहा कि संसद का सदस्य होने के बावजूद मुझे पीएसए से डर लगता है। कौन जानता है कि पुलिस कब आकर मुझे भी पीएसए के तहत गिरफ्तार कर ले।
श्रीनगर, जेएनएन। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता और राज्यसभा सांसद फैयाज अहमद मीर ने जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) की तुलना चीन में फैले कोरोनोवायरस से करते हुए कहा कि लोग दोनों ही मुद्दों पर बात करने से डरते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश में लोकतंत्र है, लेकिन अगर आप कुछ भी कहते हैं तो वे आप पर पीएसए वायरस लगाते हैं। चीन में कोरोनावायरस है और हमारे पास पीएसए है। यही कारण है कि लोग कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर बात करने से डरते हैं। दरअसल उन्हें यह डर सताने लगता है कि कहीं उन्हें पीएसए के तहत हिरासत में न ले लिया जाए।
मीर ने कहा कि संसद का सदस्य होने के बावजूद मुझे पीएसए से डर लगता है। कौन जानता है कि पुलिस कब आकर मुझे भी पीएसए के तहत गिरफ्तार कर ले। उन्होंने मार्च में जम्मू-कश्मीर में होने वाले पंचायत उपचुनावों की घोषणा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले साल ही केंद्र सरकार ने शहरी निकाय और पंचायत चुनाव करवाए हैं। यही नहीं उस दौरान यह दावा भी किया गया कि लोगों ने इन चुनावों में बढ़-चढ़कर भाग लिया और मतदान प्रतिशत शत-प्रतिशत रहा। परंतु अब पंच-सरपंचों के रिक्त पदों पर एक बार फिर उपचुनाव कराने की घोषणा कर सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है।
मीर ने कहा कि वैसे तो चुनाव आमतौर पर हर पांच साल में एक बार होते हैं। लेकिन कश्मीर में हर तीन महीने में चुनाव हो रहे हैं। इससे कश्मीर की स्थिति का पता चलता है। सरकार ने यह साबित कर दिया है कि पिछले साल हुए चुनावों में किसी ने भी हिस्सा नहीं लिया था। मीर ने यह भी कहा कि क्षेत्र में विदेशी दूतों का प्रतिनिधिमंडल सरकार द्वारा किया जा रहा एक प्रकार का राजनयिक पर्यटन है। इससे लोगों की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।