पीडीडी कैजुअल कर्मियों ने किया सचिवालय घेराव का प्रयास
जम्मू के मुलाजिम अपना हक पाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं जबकि कश्मीर के कर्मियों को हर सुविधा का लाभ देते हुए नियमित वेतन मिल रहा है।
जम्मू, जेएनएन। सरकार की दोहरी नीति से तंग आ चुके बिजली विभाग में कार्यरत कैजुअल कर्मियों ने बुधवार को सचिवालय घेराव का प्रयास किया। प्रदर्शनी मैदान में एकत्र हुए कर्मियों ने अपनी आवाज राज्यपाल के कानों तक पहुंचाने के लिए शहर में रोष रैली निकालते हुए सचिवालय की ओर रूख किया। इन कर्मियों का कहना था कि जम्मू-कश्मीर को एक राज्य तो कहा जाता है परंतु यहां कानून संभागीय तौर पर लागू किए जाते हैं। प्रांतीय स्तर पर भेदभाव हो रहा है। जम्मू के मुलाजिम अपना हक पाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं जबकि कश्मीर के कर्मियों को हर सुविधा का लाभ देते हुए नियमित वेतन मिल रहा है। सरकार की इसी अनदेखी के कारण उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा है।
प्रदर्शन में शामिल होने के लिए जम्मू से ही नहीं बल्कि राजौरी, पुंछ, डोडा, ऊधमपुर, कठुआ, रामबन आदि जिलों से भी सैकड़ों कर्मी पहुंचे हुए थे। आल जेएंडके पीडीडी कैजुअल इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले पहले तो ये कर्मी सुबह प्रदर्शनी मैदान के बाहर एकत्र हुए, उसके बाद वे सचिवालय घेराव करने के लिए सड़कों पर उतरे। ये कर्मी बकाया वेतन जारी करने की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से दिन-रात कैनाल रोड स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय के नीचे डेरा डाले हुए हैं। सरकार विरोधी नारे लगाते हुए जैसे ही ये कर्मी इंदिरा चौक पहुंचे वहां पहले से तैनात पुलिस जवानों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। कर्मियों ने भी शांतिपूर्वक ढंग से वहीं धरना डाल प्रदर्शन जारी रखा।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए यूनियन राज्य महासिचव कुलबीर चौधरी ने कहा कि बिजली विभाग में फील्ड स्टाफ की कमी है। ऐसे में यही कर्मी पिछले कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अफसोस इस बात का है कि इतना करने के बाद भी उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। सरकार ने उनके लिए बजट में जो 27 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा था, उसमें से कश्मीर का बजट तो पास कर दिया गया परंतु वित्त विभाग ने जम्मू में कार्यरत अस्थायी कर्मियों का बकाया वेतन जारी करने के लिए राशि जारी नहीं की। यही वजह है कि उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा। धरने पर बैठे कर्मियों ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की ताकि गरीब कर्मियों को उनका अधिकार मिल सके। करीब एक घंटा धरना देरे के बाद सभी एक बार फिर चीफ इंजीनियर कार्यालय पहुंचे और आंदोलन को जारी रखा।