जम्मू : समझौते के एक माह बाद भी पूरी नहीं हुई मांगें, पीडीडी कर्मचारियों ने दिया 15 दिन का अल्टीमेटम
सरकार ने इस मांग को पूरा करते हुए पदोन्नतियां करने का विश्वास दिलाया था लेकिन इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया गया। टिक्कू ने कहा कि सरकार का उदासीन रवैये उन्हें एक बार फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर कर रहा है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : डेलीवेजरों को स्थायी करने, उनका पुराना भुगतान करने, पदोन्नतियां करने, मूल विभाग से वेतन जारी करने तथा बिजली ढांचे के निजीकरण के विरोध में पिछले महीने कामछोड़ हड़ताल पर जाने वाले बिजली विभाग के कर्मचारियों ने सरकार पर समझौते के बावजूद मांगें पूरी न करने का आरोप लगाया है।
इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने उनके साथ लिखित समझौता किया था, इसके बावजूद उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में सरकार उन्हें एक बार फिर से आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर कर रही है।
जेएंडके पावर इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव सचिन टिक्कू ने अन्य पदाधिकारियों के साथ शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 21 दिसंबर 2021 की मध्यरात्रि उनका सरकार के प्रतिनिधियों के साथ लिखित समझौता हुआ था लेकिन एक महीने का समय बीतने के बाद भी सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
सरकार ने माना था कि वह नीड बेस्ड कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने के साथ उनका पोर्टल पर पंजीकरण करेगी लेकिन न भुगतान हुआ और न पंजीकरण। टिक्कू ने कहा कि असिस्टेंट इंजीनियर्स से लेकर सुपरींटेंडेंट इंजीनियर तक के सैकड़ों पद रिक्त पड़े है। दो साल पहले इनके लिए डीपीसी हुई थी लेकिन आज तक पदोन्नतियां नहीं हुई।
समझौते में सरकार ने इस मांग को पूरा करते हुए पदोन्नतियां करने का विश्वास दिलाया था लेकिन इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया गया। टिक्कू ने कहा कि सरकार का उदासीन रवैये उन्हें एक बार फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर कर रहा है। टिक्कू ने कहा कि विभागीय कर्मचारी नहीं चाहते कि प्रदेश की जनता को किसी तरह की कोई परेशानी उठानी पड़े लेकिन अगर सरकार का यह रवैया रहा तो उनके पास फिर हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए टिक्कू ने कहा कि 15 दिन के बाद वह फिर से समीक्षा करेंगे और अगर उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो वे हड़ताल पर जाने का फैसला भी ले सकते हैं।