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Jammu Kashmir: बिना लक्षण वाले मरीजों का घर में ही होगा इलाज, कोरोना को लेकर प्रशासन ने किया बदलाव

जम्मू-कश्मीर के 7 अस्पतालों को रेफरल अस्पताल बनाने को मंजूरीरेल हवाई मार्ग से आने वाले भी होंगे घरों में क्वारंटाइनस्वास्थ्य विभाग की टीमें गठित होंगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 04:46 PM (IST)
Jammu Kashmir: बिना लक्षण वाले मरीजों का घर में ही होगा इलाज, कोरोना को लेकर प्रशासन ने किया बदलाव
Jammu Kashmir: बिना लक्षण वाले मरीजों का घर में ही होगा इलाज, कोरोना को लेकर प्रशासन ने किया बदलाव

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू- कश्मीर प्रशासन ने कोरोना संक्रमण मामलों पर बड़ा बदलाव किया है। अब बिना लक्षण और बिना किसी बीमारी के संक्रमित घर पर ही क्वारंटाइन हो सकते हैं। उन्हें पल्स आक्सीमीटर दिया जाएगा। वहीं प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर के सात अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों के लिए रेफरल अस्पताल बना दिया है। इससे मरीजों को लाभ होगा और उन्हें इलाज के लिए दरबदर नहीं होना पड़ेगा।

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मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रहृमण्यम की अध्यक्षता में सोमवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में फैसला किया। इसमें यह तय किया कि तृतीय देखभाल वाले अस्पतालों में मरीजों को इलाज में परेशानी न हो और उन्हें आराम के साथ बिस्तर मिल जाए, इसके लिए कुछ बदलाव करने की जरूरत है। यह तय किया गया कि शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेस सौरा, बेमिना, सीडी अस्पताल श्रीनगर और श्री महाराजा हरि ¨सह अस्पताल श्रीनगर सिर्फ कोविड-19 के मरीजों के लिए रेफरल अस्पताल होंगे।

जम्मू में राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू, सीडी अस्पताल जम्मू और आचार्य श्री चंद्र मेडिकल कॉलेज रेफरल अस्पताल होंगे। इन अस्पतालों में सिर्फ कोविड-19 के मरीज भर्ती होंगे जिन्हें जम्मू संभाग के अन्य अस्पताल रेफर करेंगे। जम्मू में गांधीनगर अस्पताल और कोविड केयर सेंटर भगवती नगर कोविड-19 के मरीजों को भर्ती करने वाले मुख्य अस्पताल होंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि अभी तक जो प्रक्रिया चल रही है, उसे नियमित करने की जरूरत है ताकि स्वास्थ्य कर्मियों पर बिना वजह का बोझ न बने। तृतीय देखभाल के इन अस्पतालों के बिस्तरों को गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए रखने की जरूरत है ताकि उनका यहां इलाज हो सके। कोविड-19 के मरीजों के प्रबंधन में बदलाव किया है। सभी बिना लक्षण वाले मरीज और जिन्हें अन्य कोई बीमारी नहीं होगी, उन्हें घर पर क्वारंटाइन किया जाएगा। इसके लिए उनके घर में अलग से कमरा होना चाहिए। यही नहीं उक्त मरीज के पास आरोग्य सेतु एप होनी चाहिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसे सभी मरीजों को पल्स आक्सीमीटर दिया जाएगा ताकि वह आक्सीजन के स्तर को देख सकें। अगर आक्सीजन का स्तर 90 फीसद से कम होता है तो उसे तुरंत अस्पताल में भेजा जाएगा। ऐसे मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाया जाएगा जिसमें उनके क्वारंटाइन होने की जानकारी दी जाएगी। मरीजों पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीमें गठित होंगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि इस समय कोविड-19 के मरीजों के संपर्क में आने वालों को प्रशासनिक क्वारंटाइन केंद्रों में रखा जाता है। लेकिन अब इसे भी बंद किया जा रहा है। अगर संपर्क में आने वाले को कोई भी लक्षण नहीं हैं तो उसे घर में क्वारंटाइन किया जाएगा। सभी के सैंपल लेकर जांच की जाएगी। अगर कोई पाजिटिव आता है तो उसके साथ पहले जैसा ही इलाज होगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि हवाई मार्ग और रेल मार्ग से आने वाले लोगों में सिर्फ 0.9 फीसद संक्रमण दर को देखते हुए अब यह फैसला किया जा रहा है कि सैंपल लेने के बाद इन्हें घरों में क्वारंटाइन किया जाएगा। उनके पास नंबर होने के साथ आरोग्य सेतु एप होना भी जरूरी होगा। अगर यह पॉजिटिव आते हैं तो पहले जैसा प्रोटोकाल ही होगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलेगा :

मुख्य सचिव ने कहा कि पंचायती राज संस्थान कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पंचायती राज संस्थानों को शामिल कर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण को रोकने और संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। पंचायत राज संस्थानों को पल्स आक्सीमीटर और थर्मोमीटर दिए जाएंगे। 


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