बसोहली के कई इलाकों में आज भी बदहाली का जीवन जी रहे लोग, 15 किमी दूर पालकी में ले जाते है मरीज
अगर रास्ते में कोई प्राकृतिक जलस्रोत भी होता तो लोग अपनी प्यास बुझा लेते लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। सड़क का कहीं नामोनिशान नहीं है।
बसोहली । डिजिटल इंडिया के लोग अब चांद पर बसने का सपना संयोज रहे हैं। सब कुछ आधुनिक हो चुका है, लोगों के जीवन स्तर में भी काफी बदलाव आया है। लेकिन आज भी पहाड़ी तहसील बसोहली की दन्ना जानु पंचायत के लोग बाबा आदम के जमाने की तरह जीवन यापन करने को मजबूर हैं। सरकार व विभागीय अनदेखी के कारण यहां के लोगों को आज तक पक्की सड़क नसीब नहीं हो सकी। यही वजह है कि जब इस पंचायत के लोग बीमार पड़ते है तो उन्हें पालकी में बिठाकर गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित जंदरैली प्राइमरी हेल्थ सेंटर में ले जाना पड़ता है। ऐसे में बीच में ही मरीज की हालत बिगड़ गई तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि घर में कोई बीमार होता है तो पहले करीब आठ दस लोगों को बुलाना पड़ता है उसके बाद उसे पालकी में बिठाकर प्राइमरी हेल्थ सेंटर पहुंचाया जाता है। कई बार बीच में ही मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है, जिससे तीमारदारों की परेशानी बढ़ जाती है। गांव के पूर्व सरपंच परमानंद, स्थानीय निवासी खेम राज, कुलदीप कुमार का कहना था कि चार जून को भी गांव में एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई तो उसे पालकी में बिठाकर करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित प्राइमरी हेल्थ सेंटर में ले जाया गया। उसके बाद मरीज को उपचार मिल पाया। उन्होंने बताया कि एक माह में चौथी बार वीरवार को मरीज को पालकी में बिठाकर उपचार के लिए जंदरैली पीएचसी में ले जाया गया।
उनका कहना था कि सरकारें बदली, निजाम भी बदला, लेकिन दन्ना गांव की दुर्दशा नहीं बदली। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, इसके बावजूद इस गांव से प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक जाने वाली सड़क के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। ऊबड़ खाबड़ मार्ग से कब मिलेगी छुटकारा पहाड़ी तहसील बसोहली की पंचायत दन्ना जानु के लोगों का कहना है कि उन्हें आखिर कब तक सड़क सुविधा नसीब होगी और कब तक यहां के लोग अपने घरों के बीमार सदस्यों को पालकी में बिठा कर स्वास्थ्य केंद्र ले जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि एक ही माह में आज चौथी बारी पालकी के माध्यम से गांव के युवाओं ने रोगी को 15 किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र जंदरैली पहुंचाया। इस भीषण गर्मी में 15 किलोमीटर पैदल सफर करना खुद की जान खतरे में डालने के समान है। मार्ग में नहीं पेयजल की व्यवस्था स्थानीय युवाओं को कहना है कि इस मार्ग में कहीं पर भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। अगर रास्ते में कोई प्राकृतिक जलस्रोत भी होता तो लोग अपनी प्यास बुझा लेते, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। सड़क का कहीं नामोनिशान नहीं है।
पगडंडियों से होते हुए युवा रोगी को लगभग तीन घंटे का सफर तयकर स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचे। अगर ऐसे में रोगी की जान पर बन ही आएगी। सड़क सुविधा न होने के कारण गांव में युवाओं की अहम भूमिका रहती है जो किसी के बीमार होने पर बिना किसी आर्थिक सहायता के आगे आते हैं और रोगी को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाते हैं। हर साल प्लान में शामिल होती है सड़क गांव के पूर्व सरपंच परमानंद का कहना है कि उनके गांव में सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। हर बार सड़क प्लान में होती है और बाद में उनके गांव का नाम काट दिया जाता है। उन्होंने माननीय राज्यपाल से गांव को सड़क सुविधा प्रदान करने की गुहार लगाई है।
- दन्ना जानु गांव से लेकर जंदरैली प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक 15 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए सर्व किया गया है। प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत इस सड़क का निर्माण जल्द ही शुरू किया जाएगा। उसके बाद लोगों को मरीजों को पालकी में बिठाकर स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की समस्या दूर हो जाएगी। - किरण बाला, सरपंच, पंचायत जानु
- दन्ना गांव से जिंदरैली प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक मार्ग के निर्माण के लिए प्लान बनाकर कर भेज दिया गया। उम्मीद है कि जल्द ही प्लान मंजूर हो जाएगा। उसके बाद मार्ग का निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। - राजेश कुमार, एईई, पीडब्ल्यूडी
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