सरकारी अस्पतालों में छह माह से रुटीन के ऑपरेशन बंद, कब शुरू होंगे पता नहीं
जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक सर्जरी राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) और उनके सहायक अस्पतालों में होरी हैं। यहां हर दिन छोटी-बड़ी औसतन सौ सर्जरी होती होते हैं।
रोहित जंडियाल, जम्मू
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जम्मू कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में गत छह माह से रुटीन में होने वाले ऑपरेशन बंद होने से मरीजों की तकलीफें बर्दाश्त से बाहर हो रही हैं। दर्द से कराह रहे मरीज जब निजी अस्पतालों में पहुंचते हैं तो वहां उनकी जेब कटना तय है। ओपीडी फीस से लेकर ऑपरेशन का खर्चा जीभर कर बढ़ा दिया गया है। मरीजों को हैरानी तब और होती है जब कुछ अस्पतालों में ऑपरेशन टीम में सरकारी डॉक्टर नजर आ जाते हैं। कोरोना के नाम पर डॉक्टरों का सरकारी अस्पतालों से दूरी और जेब भरने के लिए निजी अस्पतालों में सर्जरी के लिए तैयारी.. जान बचाने के लिए चाहकर भी मरीज उफ नहीं कर पाते। हालांकि, ऐसे सरकारी डॉक्टरों का राज्य सरकार ने रिकॉर्ड मंगवाया है, ताकि कार्रवाई की जा सके।
दरअसल, राजकीय मेडिकल कॉलेजों व सहायक अस्पतालों सहित स्वास्थ्य विभाग के अधीन सभी अस्पतालों में गत छह माह से कोई रुटीन में होने वाली कोई सर्जरी नहीं हुई है। यह सुविधा कब से मिलेगी, इसके बारे में अभी कुछ भी तय नहीं है। हालांकि, इमरजेंसी में होने वाले ऑपरेशन जरूर हो रहे हैं। प्रशासन का भी कहना है कि अभी रुटीन के ऑपरेशन शुरू करने पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक सर्जरी राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) और उनके सहायक अस्पतालों में होरी हैं। यहां हर दिन छोटी-बड़ी औसतन सौ सर्जरी होती होते हैं। इनमें सर्जरी विभाग के अलावा ईएनटी, आप्थालमिक, गायनोकॉलोजी, आर्थोपैडिक्स, कार्डियो वैस्क्यूलर थोरेसिक सर्जरी विभाग शामिल हैं। सप्ताह में एक दिन डेंटल की सर्जरी होती हैं। इसी तरह श्रीनगर मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों, शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में भी इन विभागों में सर्जरी होती है। स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू और कश्मीर के अधीन आने वाले जिला, उप जिला अस्पतालों और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों में भी यह सुविधा है। प्रदेश के इन सभी अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन चार सौ सर्जरी होती हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले छह माह से रुटीन के ये ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं। ऐसे मरीज पूरी तरह से निजी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं।
निजी अस्पतालों में जाते हैं तो सरकारी में सुविधा क्यों नहीं: हैरानगी की बात यह है कि सरकारी अस्पतालों में ही सर्जरी करने वाले कुछ डॉक्टर निजी अस्पतालों में धड़ल्ले से सर्जरी कर रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन सरकारी अस्पतालों में रुटीन की सर्जरी शुरू करने पर अभी कोई भी विचार नहीं कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इमरजेंसी में आने वाले मरीज तो सरकारी अस्पतालों में आ रहे हैं और सर्जरी भी हो रही है, लेकिन कई मरीज ऐसे हैं जो कि अभी इंतजार कर रहे हैं कि वह हालात सामान्य होने के बाद ही सरकारी अस्पतालों में सर्जरी करवाएंगे। मगर कुछ ऐसे भी हैं मजबूरी में निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।
--- निजी अस्पतालों ने बढ़ा दी फीस, ओपीडी चार्ज भी बढ़ाया
सरकारी अस्पतालों में रुटीन के ऑपरेशन बंद होने से निजी अस्पतालों की पौ बारह है। दर्द को बर्दाश्त नहीं होने पर मरीज मजबूरी में निजी अस्पतालों में पहुंचते हैं। इन अस्पताल वालों ने कोरोना काल में भी सर्जरी की फीस बढ़ा दी है। पचास हजार रुपये में होने वाली सर्जरी के अब 70 से 80 हजार रुपये लिए जा रहे हैं। कुछ डॉक्टरों ने तो ओपीडी फीस तक बढ़ा दी है। मरीजों का कहना है कि किसी भी निजी अस्पताल पर कोई रोक नहीं है। अपनी मर्जी से सब फीस वूसूल रहे हैं।
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उच्च अधिकारियों तक पहुंची शिकायत, रिकॉर्ड मंगाया
सरकारी अस्पतालों के स्थान पर निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के दौरान सर्जरी होने की शिकायतें उच्च अधिकारियों तक पहुंची है। इसके बाद अधिकारियों ने इसका रिकार्ड मंगवाया है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार रिकार्ड जुटाने के बाद इस मामले पर कार्रवाई भी सकती है। फिलहाल, अधिकारी यह पता कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण काल में सरकारी अस्पतालों में कितना काम हुआ है। इन अस्पतालों के डॉक्टर निजी अस्पतालों में कितना काम कर रहे हैं। ----
अभी कोरोना वायरस के चलते रुटीन की सर्जरी शुरू नहीं हो पाई है, लेकिन इमरजेंसी सर्जरी जारी है। यही नहीं, कैंसर सहित कई बीमारियों के मरीज जो कि न तो रुटीन में आते हैं और न ही इमरजेंसी में, उनकी सर्जरी भी की जा रही है। रुटीन में होने वाली सर्जरी शुरू करने का अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
-डॉ. नसीब ढींगरा, प्रिसिपल, राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू