Lok Sabha Election 2019: वोट दिलाओ ‘टिकट’ पाओ, सियासी दलों का बंपर ऑफर
आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट व खाली विधान परिषद की 14 सीटों के दावेदार वे नेता होंगे जो कड़ी मेहनत से राज्य की छह संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करेंगे।
जम्मू, विवेक सिंह। जम्मू कश्मीर में चुनावी माहौल में संसदीय चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की जीत के नायक विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकटों व विधान परिषद के सदस्य के रूप में नवाजे जाएंगे। ये बंपर ऑफर सियासी दल अपने कार्यकर्ता को दे रहे हैं। आतंकवाद का सामना कर रहे राज्य में विधायक, एमएलसी बनकर सुरक्षा, सरकारी गाड़ी और बंगला की चाह रखने वाले नेताओं की भरमार है।
आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट व खाली विधान परिषद की 14 सीटों के दावेदार वे नेता होंगे जो कड़ी मेहनत से राज्य की छह संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करेंगे। सत्ता में आने के बाद पार्टियां बाद में सरकार के निगमों, बोर्ड के वाइस चेयरमैन बनाएंगी।
पंचायतों-स्थानीय निकायों के कोटे की छह सीटें खाली
इस समय पंचायतों व स्थानीय निकायों के कोटे वाली छह विधान परिषद की सीटें खाली हैं। परिषद में पंचायत के कोटे वाली चार व स्थानीय निकाय के कोटे वाली दो सीटें को भरने का मुद्दा राज्यपाल प्रशासन जल्द ही चुनाव आयोग से उठाएगा। भले ही ये सीटें विधानसभा के गठन से पहले भरी जा सकती हैं। इन सीटों के उम्मीदवारों का फैसला राजनीतिक पार्टियों को करना है। छह सीटों के लिए पंच, सरपंच, कॉरपोरेटर व काउंसिलर वोट डालेंगे। ये सभी जनप्रतिनिधि किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े हैं।
16 मार्च को 8 एमएलसी होंगे सेवानिवृत्त
परिषद की आठ सीटें 16 मार्च को विधान परिषद के सदस्यों के सेवानिवृत होने से खाली हो जाएंगी। ये सीटें इसी साल भरी जानी हैं। अधिकतर सरकार बनाने वाली पार्टियां ही जीतेंगी। 16 मार्च को विधान परिषद के आठ सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनमें जम्मू के कोटे से चुने गए यशपाल शर्मा, रानी गार्गी बलोरिया, कश्मीर के कोटे से सईद नसीम अख्तर अंद्राबी, मोहम्मद मुजफ्फर पर्रे, शौकत हुसैन गनई व डोडा के नरेश गुप्ता शामिल हैं। विधान परिषद की सीटों की कुल संख्या 36 है। ऐसे में 14 सीटें खाली होने के बाद पीछे रहने वाली 22 सीटों में से भी 2021 में 15 सीटें खाली हो जाएंगी। यह लगभग तय है कि संसदीय चुनाव में कामयाबी हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टियां, विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने की स्थिति में होंगी।
वोट दिलाएगा वहीं होगा एमएलसी पद का दावेदार
वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में भाजपा व पीडीपी छह संसदीय सीटों में से 3-3 सीटें जीतकर एक राजनीति ताकत बनकर उभरी थीं। बाद में विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने यह प्रदर्शन रखा व उनकी सरकार बनी। दोनों पार्टियों की जीत में प्रमुख भूमिका निभाने वाले युवा नेताओं को ही बाद में भाजपा व पीडीपी ने टिकटें दी व इन पार्टियों से अधिकतर नए चेहरे जीतकर सामने आए। इसके बाद दोनों पार्टियों ने मिलकर विधान परिषद की सीटें जीतीं। इस बार भी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस ने अपने नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि जो अपने अपने इलाकों में सबसे अधिक वोट दिलवाएंगे, बाद में उन्हीं को फायदा होगा। ऐसे में तय है कि टिकट की दौड़ में रहने वाले पार्टी नेताओं को जमीनी सतह पर खुद को साबित करना होगा। इस समय भाजपा व पीडीपी यहां संसदीय व उसके बाद विधानसभा में वर्ष 2014 के प्रदर्शन को दोहराने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस इन दोनों चुनावों में हार का बदला लेकर सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही हैं।
हकदार वही नेता होते हैं जो जमीन पर पैठ रखते
भाजपा के वरिष्ठ नेता व एमएलसी विक्रम रंधावा भी मानते हैं कि विधानसभा व विधान परिषद की सीटों के हकदार वही नेता होते हैं जो जमीन पर पैठ रखते हैं। भाजपा ऐसे ही नेताओं को विधान परिषद व विधानसभा तक पहुंचाने में विश्वास रखती है जो सही मायनों में जनप्रतिनिधि होते हैं। भाजपा ऐसे ही कार्यकर्ताओं की मेहनत के बदौलत संसदीय चुनाव जीतकर उन्हें आगे लाएगी।