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जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पांच एसपीओ ने दिया इस्तीफा, गृह मंत्रालय का इनकार

जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर मौत के घाट उतारे जाने के बाद छह पुलिसकर्मियों ने नौकरी से इस्तीफे का एलान कर दिया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 02:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 05:26 PM (IST)
जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पांच एसपीओ ने दिया इस्तीफा, गृह मंत्रालय का इनकार
जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पांच एसपीओ ने दिया इस्तीफा, गृह मंत्रालय का इनकार

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकियों द्वारा तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर मौत के घाट उतारे जाने के बाद शुक्रवार को छह पुलिसकर्मियों ने नौकरी से इस्तीफे का एलान किया है। इनमें पांच विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) हैं। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इस बीच, गृह मंत्रालय ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में किसी विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) ने इस्तीफा नहीं दिया है।

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गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों द्वारा की गई तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में अफवाह फैलाई जा रही है कि जम्मू कश्मीर के पुलिस अफसरों ने इस्तीफा दे दिया है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि यह जानकारी गलत है। 

सुबह आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर में शोपियां के बटगुंड व कापरिन में दो एसपीओ और एक पुलिस कांस्टेबल को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया। बीते अप्रैल माह से अब तक कश्मीर में आतंकियों के डर से पुलिस की नौकरी से इस्तीफे का एलान करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग 30 से ऊपर हो गई है।

अप्रैल माह के दौरान सिर्फ त्राल में ही करीब 13 एसपीओ ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दिया था, जबकि अगस्त माह में 11 एसपीओ ने और इसी माह की शुरुआत में सात एसपीओ ने आतंकियों के डर से नौकरी छोड़ी है। हालांकि आतंकियों की धमकियों पर इस्तीफा देने वाले पुलिस एसपीओ और कांस्टेबलाें द्वारा इस्तीफा देने की घटनाएं बीते दस दिनों में लगभग समाप्त हो गई थी। लेकिन चार दिन पहले हिज्ब कमांडर रियाज नायकू द्वारा वीडियो संदेश जारी कर पुलिसकर्मियों व एसपीओ को इस्तीफे देने या मरने को तैयार रहने का फरमान सुनाने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि आतंकी गत 31 अगस्त की तरह फिर से पुलिसकर्मियों को निशाना बनाएंगे। लेकिन उच्चाधिकारियों ने आतंकी धमकियों को महज प्रचार का जरिया बताकर खारिज करने का प्रयास किया।

चार दिन का अल्टिमेटम समाप्त होने के बाद आज सुुुुबह आतंकियों ने शोपियां के बटगुंड और कापरिन में चार पुलिसकर्मियों का अगवा कर उनमें से तीन फिरदौस अहमद कूचे, कुलवंत सिंह और निसार अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी।

पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद आतंकी कमांडर रियाज नायकू ने ट्वीट कर हत्याओं की जिम्मेदारी ली और कहा कि हम उन एसपीआे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो हमारे हुक्म के मुताबिक नौकरी छोड़ घर नहीं बैठेंगे। हम किसी भी जगह किसी भी एसपीओ काे अगवा कर मौत के घाट उतार सकते हैं।

आतंकियों द्वारा तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर मौत के घाट उतारने और हिज्ब कमांडर द्वारा अपनी धमकी को दोबारा दोहराए जाने के बाद छह पुलिसकर्मियों ने जिनमें पांच एसपीओ हैं, ने इस्तीफे का एलान किया है। इनकी पहचान नवाज अहमद लोन निवासी टेंगन कुलगाम, शब्बीर अहमद ठोकर निवासी समनू कुलगाम, ताजल्लाह हुसैन निवासी हीरपोरा बटगुंड शोपियां, उमर बशीर निवासी कापरिन शोपियां, नसीर अहमद निवासी वहीबुग पुलवामा और इरशाद अहमद बाबा निवासी दानगाम शोपियां के रूप में हुई है। इनमें इरशाद अहमद एक नियमित पुलिसकर्मी है। इस्तीफा देने वाले अधिकांश पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए पुलिस की नौकरी छोड़ने का एलान किया है। इस समय राज्य पुलिस में 32 हजार से ज्यादा एसपीओ कार्यरत हैं।

एसपीओ पुलिस संगठन के नियमित कर्मी नहीं होते और इन्हें एक निश्चित मासिक मानदेय प्रदान किया जाता है। यह आतंकरोधी अभियानों से लेकर सामान्य पुलिस गतिविधियों में आवश्यक्ता रुप एक पुलिसकर्मी की तरह ही सहयोग करते हैं। एसपीओ की भर्ती स्थान विशेष की आवश्यक्तानुरूप भी होती रही है। लेकिन बीते कुछ सालों से इनकी भर्ती को पूरी तरह नियमित किया गया और एसपीओ के लिए बाकायदगी से आवेदन आमंत्रित कर, उनकी लिखित परीक्षा, शारीरिक दम खम का भी इम्तिहान लिया जाता है।

कई बार आतंकवाद से पीड़ित परिवारों से जुड़े लोगों को भी एसपीओ भर्ती किया जाता है। पुलिस संगठन में कांस्टेबल पद की नियमित भर्ती में भी एसपीओ के लिए कई पद आरक्षित रखे जाते हैं और आतंकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले एसपीओ को पुलिस संगठना में नियमित कर लिया जाता है।  


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