भारत के सुरक्षातंत्र के आगे बेबस पाकिस्तान ने अब नारको टेररिज्म को बनाया हथियार
नशा तस्करी और आतंक के नापाक गठजोड़ को तोड़ने में सुरक्षा एजेंसियों ने गतिविधियां तेज कर दी हैं। अधिकतर नशे की खेप फलों से लदे ट्रकों में पकड़ी गई।
जम्मू, दिनेश महाजन। कश्मीर में आतंकियों के सफाये से हताश पाकिस्तान ने आतंकवाद को जीवित रखने के लिए मादक पदार्थों की तस्करी को हथियार बना लिया है। ऐसे में आतंकवाद का और भी खूंखार रूप सामने आ रहा है, जिसे नारको टेररिज्म या जहरीला आतंकवाद कहते हैं। पुलिस ने वर्ष 2018 में मादक तस्करी के 26 हजार मामले दर्ज किए, जो 2017 की तुलना में बहुत अधिक हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर के एंट्री प्वाइंट पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत बताई है।
कश्मीरी युवाओं को कुरियर के तौर पर किया जा रहा इस्तेमाल
कश्मीरी युवाओं को कुरियर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, युवाओं को इस धंधे में धकेलने के लिए उन्हें नशे की लत भी लगाई जा रही है, जिसे पूरा करने के लिए वे आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। पुलिस और समाजसेवी संगठनों की मानें तो कश्मीर में एक तिहाई से अधिक युवा नशे की गिरफ्त में हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ बेरोजगार युवाओं को निशाना बना रही है। ऐसे युवाओं की पहचान की जाती है जिनका आपराधिक रिकार्ड नहीं है,। फिर इन्हें कुरियर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एक बार जाल में फंस जाने के बाद कश्मीरी युवाओं को तस्करी के लिए मजबूर कर दिया जाता है।
नशा तस्करी, आतंक के गठजोड़ को तोड़ने तेज हुई कार्रवाई
नशा तस्करी और आतंक के नापाक गठजोड़ को तोड़ने में सुरक्षा एजेंसियों ने गतिविधियां तेज कर दी हैं। अधिकतर नशे की खेप फलों से लदे ट्रकों में पकड़ी गई। अभी तक स्थानीय युवक ही पकड़े जा रहे थे, लेकिन अब उत्तर प्रदेश, पंजाब और दूसरे राज्यों के युवक पकड़े जा रहे हैं। इससे साबित हो रहा है कि यहां से यह पूरा धंधा देश के अन्य भागों तक पैठ बना रहा है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आधुनिक उपकरण लगाए जाने के बाद घुसपैठ में तो कमी आई है, लेकिन पाकिस्तानी एजेंसियां ने नशे की तस्करी का पैंतरा अपनाया है, जिसका हम पूरी सक्षमता से मुकाबला कर रहे हैं। पुलिस महानिरीक्षक एमके सिन्हा का कहना है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर वाहनों का दबाव अधिक है। हर वाहन की जांच संभव नहीं है। खुफिया सूचना पर धरपकड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है। कश्मीर से देश के विभिन्न हिस्सों में जाने वाले वाहनों में मादक पदार्थ के अलावा हथियार बरामद होते रहते हैं। एलओसी ट्रेड से नशे की खेप चोरी छुपे राज्य में पहुंच रही थी। केंद्रीय सरकार ने एलओसी ट्रेड बंद कर दिया था।
पाकिस्तान ने बदली चाल
जम्मू कश्मीर पुलिस ने वर्ष 2018 में मादक तस्करी के 26 हजार मामले दर्ज किए, जो 2017 की तुलना में बहुत अधिक हैं। 1291 लोगों को नशे की खेप के साथ दबोचा गया। उनके कब्जे से 28 किलो हेरोइन, 362 किलो चरस, 19,873 किलो डोडा चूरा बरामद हुआ। 56 तस्करों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया। तेजी से बढ़ती इन गतिविधियों ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब नारको टेररिज्म पर जोर दे रहा है।
- आतंकियों की घुसपैठ बंद होने के बाद अब पाकिस्तानी एजेंसियां ने नशे की तस्करी का पैंतरा अपनाया है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं। नशे के खिलाफ सख्ती जारी है। -दिलबाग सिंह, पुलिस महानिदेशक, जम्मू कश्मीर
- पाकिस्तान के रास्ते हर वर्ष जम्मू कश्मीर में हजारों करोड़ रुपये का मादक पदार्थ भेजा रहा है। देश के बड़े शहरों तक यहां से सप्लाई हो रही है। -जोरावर सिंह जम्वाल, स्टेट ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर, जम्मू कश्मीर
- कश्मीर के प्रवेश द्वार लोअर मुंडा और जम्मू के प्रवेश द्वार लखनपुर में वाहन स्केनर लगाए जाने की मांग की गई है। कई सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है, जिस पर निर्णय लिया जाना शेष है। -एमके सिन्हा, पुलिस महानिरीक्षक, जम्मू जोन
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