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अब घुसपैठ के लिए बंद रास्तों पर पाक की निगाहें, सिंधु घाटी के रास्ते घुसपैठ की साजिश बेनकाब

सिंधु घाटी से इस इलाके में आने तक आतंकियों को कम से कम चार दिन लगते हैं। इस इलाके में अंतिम बार घुसपैठ का प्रयास अगस्त 2013 के दौरान हुआ था और उसे नाकाम बना दिया गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 11:58 AM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 11:58 AM (IST)
अब घुसपैठ के लिए बंद रास्तों पर पाक की निगाहें, सिंधु घाटी के रास्ते घुसपैठ की साजिश बेनकाब
अब घुसपैठ के लिए बंद रास्तों पर पाक की निगाहें, सिंधु घाटी के रास्ते घुसपैठ की साजिश बेनकाब

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में खून-खराबे की तमाम साजिशें नाकाम होने से हताश पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ बड़े पैमाने पर आतंकियों की घुसपैठ की साजिश रच रही है। एलओसी और आइबी पर चौकस भारतीय जवानों की निगाह से बचने के लिए उन रास्तों को भी आजमाया जा रहा है, यहां कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के चलते जिनका प्रयोग वर्षो पहले बंद हो चुका था। पाकिस्तान की इस नापाक साजिश का खुलासा गांदरबल में गत सप्ताह मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकियों के पास मिले दस्तावेजों से हुआ है। यह आतंकी कथित तौर पर द्रास में सिंधु घाटी के रास्ते घुसपैठ में कामयाब रहे। यह इलाका गुरेज से सटा है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में छह साल बाद कोई घुसपैठ हुई है। सुरक्षा एजेंसियों को पहले से ही सुराग था कि पाक खुफिया एजेंसी जम्मू कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ के लिए नए रास्तों के अलावा बंद हुए पुराने रास्तों का भी इस्तेमाल कर रही है। अलबत्ता, रक्षा मंत्रलय ने गुरेज या द्रास सेक्टर में घुसपैठ की पुष्टि नहीं की है।

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गांदरबल में मारे गए थे दो घुसपैठिए : गांदरबल के खौड़पथर इलाके में 10 दिन पहले सुरक्षाबलों ने घुसपैठियों के एक दल को घेरा था। इस दल में शामिल दो आतंकी मारे गए हैं जबकि अन्य को मार गिराने के लिए अभियान चल रहा है। इस अभियान में सेना के पैरा कमांडो भी हिस्सा ले रहे हैं। यह क्षेत्र करगिल से सटा है। मारे गए दोनों आतंकी आरपीजी (राकेट लांचर) से लैस थे। इनके बाल भी फौजियों की तरह कटे थे। मुठभेड़स्थल से कुछ ही दूरी पर गंगबल झील भी है।

छह साल बाद क्षेत्र में मुठभेड़ : एसएसपी गांदरबल खलील पोस्वाल ने कहा कि खौड़पथर इलाके में करीब छह साल बाद मुठभेड़ हुई है। उन्होंने बताया कि हम पता लगा रहे हैं कि आतंकी किस रास्ते से घु़सपैठ कर आए हैं। अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह गुरेज और द्रास के बीच कहीं से दाखिल हुए हो सकते हैं। सुरक्षाबलों के साथ इनकी मुठभेड़ 27 सितंबर को आरंभ हुई थी। सिंधु घाटी से इस इलाके में आने तक आतंकियों को कम से कम चार दिन लगते हैं। उन्होंने बताया कि इस इलाके में अंतिम बार घुसपैठ का प्रयास अगस्त 2013 के दौरान हुआ था और उसे नाकाम बना दिया गया था। एसएसपी गांदरबल के मुताबिक, वर्ष 2014 में अंतिम बार इस क्षेत्र में घु़सपैठ हुई थी। यह आतंकी श्रीनगर और त्रल की तरफ जा रहे हैं, इसके आधार पर हमने एक व्यापक अभियान चला रखा है।

हथियारों के साथ आतंकियों को धकेल रही पाक सेना: सूत्रों ने बताया कि पाक से ड्रोन से हथियारों की तस्करी के खुलासे के बाद गुरेज और द्रास के बीच सिंधु घाटी से आतंकियों की कथित घुसपैठ बता रही है कि कश्मीर में आतंकियों का मनोबल गिरा हुआ है। पाक सेना आतंकियों को हथियारों के जखीरे के साथ सर्दियों से पहले कश्मीर में घुसपैठ करा रही है। सूत्रों ने बताया कि एलओसी पर सेना ने गुरेज, द्रास और करगिल सेक्टर के सभी अग्रिम इलाकों में तलाशी अभियान चलाया है। घुसपैठरोधी तंत्र और मजबूत बनाया है। एलओसी के साथ सटे इलाकों में रहने वालों के अलावा अग्रिम इलाकों में मवेशियों के साथ चरवाहों को संदिग्ध को देखे जाने पर सुरक्षा चौकी में सूचित करने के लिए कहा गया है।

सऊदी अरब से फेसबुक पर अपलोड हुई थी जानकारी: गांदरबल में मारे गए दो आतंकियों में से एक स्थानीय है। वह सोपोर का रहने वाला है और उसका नाम कमरुदीन है। उसके परिजनों ने शव प्राप्त करने के लिए पुलिस से संपर्क किया। पुलिस हैरान है कि दूरदराज पहाड़ी इलाके में आतंकी की मौत के बारे में सोपोर में कैसे पता चला। पुलिस के मुताबिक परिवार का दावा है कि उनका एक रिश्तेदार दिल्ली में है। उसने सऊदी अरब के एक व्यक्ति के फेसबुक पेज पर कमरुदीन की मौत के बारे में सूचित किया। कमरुदीन 2018 में घर से नेपाल के लिए निकला था, लेकिन वह पासपोर्ट के आधार पर वाघा बार्डर के जरिए पाक चला गया था। पुलिस ने उसे सी श्रेणी के आतंकियों में सूचीबद्ध किया था। एसएसपी गांदरबल खलील ने बताया कि मारे गए दोनों आतंकियों के शवों के डीएनए नमूने लिए गए हैं। कमरुदीन के परिजनों के डीएनए नमूने भी लिए जाएंगे। 


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