Move to Jagran APP

Drone Seen In Jammu: पाकिस्तानी पोस्टों से ड्रोन संचालित करने में आतंकियों की मदद कर रही आईएसआई

जम्मू ड्रोन हमले के बाद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड व राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीमों ने जम्मू में ही डेरा डाल रखा है। एनएसजी की टीमें पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं तो वहीं एनआईए की टीमें हमले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 10:32 AM (IST)
Drone Seen In Jammu: पाकिस्तानी पोस्टों से ड्रोन संचालित करने में आतंकियों की मदद कर रही आईएसआई
अब प्रदेश में सेना ड्रोन भेजने के मामले में पाकिस्तानी रेंजर्स का हाथ होने के सबूत जुटा रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: सीमा पार पाकिस्तानी चौकियों पर मौजूद खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी आतंकवादी संगठनों को ड्रोन ने आतंकवाद को शह देने में मदद कर रहे हैं। भारत विरोधी इस साजिश को अंजाम देने के लिए चीन भी मदद कर रहा है।

loksabha election banner

सूत्रों के अनुसार वीरवार देर रात को पुलिस द्वारा अखनूर के कानाचक्क सेक्टर में मार गिराया गया ड्रोन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित गढ़खाल के रास्ते आया था। इसे ठीक सामने पाकिस्तान की आजम पोस्ट या साथ लगती खैरी पोस्ट से संचालित किया जा रहा था। खुफिया एजेंसी आईएसआई की कमान पाकिस्तान सेना के हाथ में है व पाकिस्तानी रेंजर्स की अग्रिम चौकियों पर आईएसआई के भी अधिकारी रहते हैं। बिना मदद के आतंकवादी पाकिस्तानी चौकियों के पास से ड्रोन चलाने जैसी गतिविधियां संचालित नही कर पाते हैं।

इसके पुख्ता सबूत हैं कि चीन, पाकिस्तान को ड्रोन से आतंकवाद को शह देने में मदद कर रहा है। कठुआ के हीरानगर में गत वर्ष गिराए गए हेक्साकाप्टर की तरह ही कानाचक्क सेक्टर में भी मार गिराए गए हेक्साकाप्टर में चीन की तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। सात महीने पहले पाकिस्तान ने चीन से 50 आधुनिक ड्रोन भी खरीदे थे। अब प्रदेश में सेना व अन्य सुरक्षबल ड्रोन भेजने के मामले में पाकिस्तानी रेंजर्स व आईएसआई का हाथ होने के सबूत जुटा रहे हैं।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड व राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीमों ने जम्मू में ही डेरा डाल रखा है। एनएसजी की टीमें यहां पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं तो वहीं एनआईए की टीमें हमले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है।

सेवानिवृत कर्नल विरेन्द्र साही का कहना है कि पाकिस्तानी सेना की मदद के बिना आतंकवाद को शह देना संभव नही है। यह जगजाहिर है कि सुरंगें खोदने, आतंकवादियों को घुसपैठ में मदद देने के लिए पाकिस्तानी सेना सक्रिय भूमिका निभाती है। उसकी मदद के बिना सीमा के पास आतंकवादियों को आना संभव नही है।

नई तकनीक से होगा नई चुनौती का सामना:  जम्मू-कश्मीर में जमीन के बाद अब आसमान से पाकिस्तान के आतंकवाद को शह देने की चुनौती का सामना नई तकनीक से होगा। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर एंटी ड्रोन तकनीक स्थापित करने के बाद अब सेना, सुरक्षाबलों भी बेहतर तकनीक से इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मौजूदा हालात में सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरतों को लेकर रक्षा मंत्रालय व गृह मंत्रालय को बताया गया है। अब नई तकनीक मिलने के लिए इंतजार हो रहा है। प्रदेश में आतंकवाद को शह देने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल होने के बाद अब सेना व सीमा सुरक्षाबल को ग्रांउड राडार, ड्रोन को दूर से पिघलाने मे सक्षम लेसर गन व बेहतर जैमरों की जरूरत है तो ड्रोन के सीमा के पार आते ही उनका ग्राउंड से सिग्नल जैम कर दे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.