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Jammu Kashmir: PAGD का जम्मू मिशन 7 नवंबर से, डॉ फारूक-महबूबा खुद संभालेंगे कमान

नेशनल कांफ्रेंस पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी पीपुल्स कांफ्रेंस अवामी नेशनल कांफ्रेंस माकपा भाकपा और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेेंट ने मिलकर अनुच्छेद-370 व अनुच्छेद-35ए की बहाली समेत जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 के पूर्व की संवैधानिक स्थिति की बहाली के लिए पीएजीडी का गठन किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 02:04 PM (IST)
Jammu Kashmir: PAGD का जम्मू मिशन 7 नवंबर से, डॉ फारूक-महबूबा खुद संभालेंगे कमान
कांग्रेस भी इस मुद्दे पर इन दलों के साथ है, लेकिन वह औपचारिक रूप से पीएजीडी में शामिल नहीं है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। लद्दाख मिशन के बाद पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) का जम्मू मिशन सात नवंबर को शुरु होने जा रहा है। परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर पीएजीडी के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती खुद जम्मू में इस मिशन की कमान संभालेंगी। पीएजीडी का प्रतिनिधिमंडल जम्मू प्रांत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करते हुए स्थानीय नागरिक समाज और समान विचारधारा वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलकर अपनी अगली रणनीति को तय करेगा। महबूबा मुफ्ती अगले दो दिनों में जम्मू पहुंचने वाली हैं।

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उल्लेखनीय है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, माकपा, भाकपा और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेेंट ने मिलकर अनुच्छेद-370 व अनुच्छेद-35ए की बहाली समेत जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 के पूर्व की संवैधानिक स्थिति की बहाली के लिए पीएजीडी का गठन किया है। कांग्रेस भी इस मुद्दे पर इन दलों के साथ है, लेकिन वह औपचारिक रूप से पीएजीडी में शामिल नहीं है। 

पीएजीडी ने लोगों को लामबंद करना शुरू किया: अक्तूबर में गठित पीएजीडी ने अपनी गतिविधियों को धीरे-धीरे बढ़ाने के साथ लोगों काे लामबंद करना शुरू कर दिया है। पीएजीडी पर कश्मीर केंद्रित और एक वर्ग विशेष तक सीमित न होने का आरोप न लगे, इसलिए इसके नेता केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अपने प्रभाव, संपर्क व कैडर का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसी मकसद के साथ नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में पीएजीडी के एक प्रतिनिधिमंडल ने गत सप्ताह लद्दाख प्रांत का दौरा किया है। पीएजीडी की द्रास और करगिल में बैठकें काफी प्रभावशाली रही हैं।

पीएजीडी को जम्मू से भी समर्थन मिलने की उम्मीद: पीएजीडी के नेताओं को पूरी उम्मीद है कि उन्हें जम्मू प्रांत के कुछेक हिस्सों के अलावा अधिकांश जगहों पर समर्थन मिल सकता है। अगर वह अपेक्षित समर्थक जुटा लेते हैं तो उन्हें अपने एजेंडे काे आगे बढ़ाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। इसलिए पीएजीडी के प्रमुख घटकों में शामिल नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी के शीर्ष नेतृत्व ने खुद जम्मू प्रांत में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ लोगों के साथ संवाद-संपर्क के जरिए उन्हें लामबंद करने का फैसला किया है। पीडीपी और नेकां नेताओं ने जम्मू प्रांत में अपने कैडर को भी इस विषय में पूरी तरह तैयार रहने और माेहल्ला बैठकों की रूपरेखा तय करने के लिए कहा है। मोहल्ला बैठकों का जिम्मा स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं को साैैंपा जाएगा।

जम्मू में सात नवंबर को होगी बैठक: सात नवंबर को प्रस्तावित पीएजीडी की बैठक की तैयारियों से जुड़े नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नताओं ने बताया कि इसमें घटक दलों के सभी वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। जम्मू प्रांत क नागरिक समाज के कई लोगों के साथ भी अलग-अलग बैठकें आयोजित की जाएंगी। इसके साथ ही दो से तीन प्रतिनिधिमंडल तैयार किए जा सकते हैं, जिन्हें डोडा, राजौरी, पुंछ और कठुआ में इस विषय में लोगों को जागरुक बनाने व उनका फीडबैक प्राप्त किया जाएगा। इसके आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। इसका एलान श्रीनगर में होने वाले महासम्मेलन में किया जाएगा। यह सम्मेलन 15 नवंबर के आसपास हो सकता है।


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