Move to Jagran APP

Jammu Kashmir DDC Election : पीपुल्‍स एलायंस से जनता के कड़वे सवाल - पहले सियासत से थी क्‍यों दूरी, अब कौन सी है मजबूरी

नेशनल कांफ्रेंस पीपुल्स कांफ्रेंस पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरीखे कश्मीर केंद्रित दल जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के खिलाफ चुनावी सियासत से दूर रहने के नारे लगाते रहे। जब जनाधार खिसकते देखा तो चुपचाप जिला विकास परिषद चुनाव में कूद पड़े। यही उनका असली चेहरा है।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 07:10 AM (IST)
Jammu Kashmir DDC Election : पीपुल्‍स एलायंस से जनता के कड़वे सवाल - पहले सियासत से थी क्‍यों दूरी, अब कौन सी है मजबूरी
पीपुल्‍स एलायंस ने डीडीसी चुनाव में पहले चरण के लिए 27 उम्‍मीदवारों की सूची जारी कर दी है।

नवीन नवाज, जम्मू। पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD)। नाम बताता है कि गठजोड़ आमजन के लिए हुआ है पर हकीकत का दूसरा चेहरा है। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरीखे कश्मीर केंद्रित दल जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के खिलाफ चुनावी सियासत से दूर रहने के नारे लगाते रहे। जब जनाधार खिसकते देखा तो चुपचाप जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव में कूद पड़े। ऐेसे में बड़ा सवाल है कि पीपुल्स एलायंस अब कैसे आम कश्मीरियों के सवालों का सामना कैसे कर पाएगा।

loksabha election banner

जम्मू कश्मीर में पहली बार डीडीसी चुनाव हो रहे हैं। पीएजीडी में शामिल दल भाजपा विरोध के नाम पर मिलकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर चुके हैं। कांग्रेस औपचारिक रूप से गठबंधन में शामिल नहीं है, लेकिन नेकां से सीटों का तालमेल कर चुकी है।

नामांकन का पहला चरण पूरा भी हो चुका है और इन दलों के प्रत्याशी प्रचार में कूद भी पड़े हैं। पीपुल्स एलायंस के घटक चुनाव लडऩे फैसले को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि भाजपा को रोकने और कश्मीरियों के हित के लिए यह आवश्यक था। इससे पहले नेकां और पीडीपी के नेता पांच अगस्त 2019 से पूर्व की संवैधानिक स्थिति की बहाली तक चुनावी सियासत से दूर रहने की कसम खा रहे थे।

जनता पूछेगी यह सवाल : विशेषज्ञों के अनुसार सेल्फ रूल, रायशुमारी जैसे फार्मूलों के नाम पर कश्मीरियों को मूर्ख बनाकर सत्ता पर काबिज रहे कश्मीरी दल अब नए कश्मीर की नए जमाने की सियासत में अपनी हिस्सेदारी के लिए फडफ़ड़ा रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद गनी लोन जैसे नेता अब आम कश्मीरी को क्या कहकर वोट मांगेंगे।

अगर भाजपा के नाम डराने का प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर यह सवाल उठेगा कि उनके घटक एनडीए की सरकारों में कैसे शामिल होते रहे। उमर से लेकर फारूक और महबूबा को बताना पड़ेगा कि अगर भाजपा कश्मीरियों की दुश्मन थी तो उन्होंने उसके साथ हाथ क्यों मिलाया। लोन को बताना पड़ेगा कि आखिर जिस नरेंद्र मोदी को वह अपना बड़ा भाई बताते रहे हैं, वह क्यों आज उनका दुश्मन है।

आम कश्मीरियों में बेनकाब हो चुके यह दल: कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि पीएजीडी नेताओं के चुनाव में शामिल होने से उनकी अवसरवादिता और सत्ता लोलुप मानसिकता की पुष्टि होती है। यह नेता कैसे आम कश्मीरी मतदाता को समझाएंगे कि अगर आज चुनाव में भाग लेना जरूरी है तो फिर दो साल पहले पंच-संरपच और निकाय चुनावों का बहिष्कार क्यों किया। वह इस सवाल का जवाब क्या देंगे कि राष्ट्रीय ध्वज न उठाने का एलान करने के बाद उन्हें फिर तिरंगे की छांव में ही आना पड़ रहा है।

पहले चरण में 27 प्रत्याशियों की सूची जारी : पीपुल्स एलायंस ने डीडीसी चुनावों के पहले चरण के लिए वीरवार को 27 प्रत्याशियों की सूची जारी की। इनमें से 21 प्रत्याशी नेकां, चार पीडीपी और दो पीपुल्स कांफ्रेंस के हैं। यह सभी प्रत्‍याशी आवेदन भी दाखिल कर चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.