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जम्मू शहर में 300 कोचिंग सेंटर, पंजीकरण सिर्फ 30 का ही

जम्मू शहर में तीन सौ से ज्यादा कोचिंग सेंटर चल रहे हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक भी कोचिंग सेंटर ऐसा नहीं है जिसके पास फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस विभाग की एनओसी हो।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 10:55 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 10:55 AM (IST)
जम्मू शहर में 300 कोचिंग सेंटर, पंजीकरण सिर्फ 30 का ही
जम्मू शहर में 300 कोचिंग सेंटर, पंजीकरण सिर्फ 30 का ही

जम्मू, [ सुरेंद्र सिंह ]। बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने दिखाकर अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करने वाले काेचिंग सेंटरों में बच्चे बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं। गली-गली में खुले इन कोचिंग सेंटरों में बच्चे भगवान भरोसे हैं और अगर वहां कोई आपात स्थिति उत्पन्न हो जाए तो बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए एग्जिट प्वाइंट भी नहीं मिलेगा। गुजरात के सूरत में शुक्रवार को पेश आए अग्निकांड में भी जिन बीस बच्चों की जान गई है, वे आग में फंस गए थे और उन्हें बाहर निकलने के लिए रास्ता ही नहीं मिला था। अगर बच्चों को आपात स्थिति में निकलने का रास्ता मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी।

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काेचिंग सेंटर में आग से निपटने के कोई बंदोबस्त नहीं हैं

जम्मू में जगह जगह खुले काेचिंग सेंटरों की हालत भी कुछ ऐसी ही हैं। कहीं किराए की इमारतों के तंग कमरों तो कहीं बड़े हाल को फाइबर की शीटों से बांट कर खोले गए काेचिंग सेंटर में आग से निपटने के कोई बंदोबस्त नहीं हैं। इन सेंटरों में न तो अग्निशमन यंत्र हैं और न ही वहां पर पानी की कोई ऐसी टंकी जहां से जरूरत पड़ने पर आग पर काबू पाने के प्रयास किए जा सकें। किराए के मकानों व हालों में चल रहे इन सेंटरों में सैंकड़ाें की संख्या में बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। छोटे छोटे कमरों में ठूंस ठूंस कर भर कर इन बच्चों को पढ़ाया जाता है। इन काेचिंग सेंटर में आने जाने का एक ही रास्ता दिखता है। अगर जल्दबाजी में यहां से बच्चों को बाहर निकालने की नौबत आ जाए तो बच्चे या तो भगदड़ में दब जाएंगे या फिर समय पर बाहर ही नहीं निकल पाएंगे। हद तो यह है कि काेचिंग सेंटरों में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों के अभिभावकों से मोटी फीसें वसूल की जाती हैं लेकिन सुविधा व सुरक्षा के नाम पर बच्चों को यहां पर कुछ नहीं मिल रहा।

बिना पंजीकरण के चल रहे हैं शहर में काेचिंगसेंटर

जम्मू शहर में तीन सौ से ज्यादा काेचिंग सेंटर चल रहे हैं जिनमें से तीस काेचिंग सेंटर को ही शिक्षा विभाग से अस्थायी पंजीकरण मिला है। राज्य में पीडीपी-भाजपा सरकार के दौरान जनवरी, 2018 में सरकार ने आदेश जारी कर सभी कोचिंग सेंटरों को निर्देश जारी किए थे कि वे शिक्षा विभाग से पंजीकरण करवाने के बाद ही सेंटर खोलें लेकिन आज तक अधिकतर कोचिंग सेंटरों ने इन आदेश का पालन नहीं किया। इन कोचिंग सेंटर को निर्देश दिए गए थे कि वे अपना फीस ढांचा, सेंटरों में बिजली व्यवस्था, गर्मी-सर्दी से बचाव के साधन, लड़के व लड़कियों के लिए अलग शौचालयों की सुविधाएं दें। इनके अलावा सेंटरों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाएं और वहां पर दस प्रतिशत कोटा दिव्यांग व अनाथ बच्चों को निशुल्क शिक्षा का भी रखें। इन निर्देशों के बाद मात्र तीस कोचिंग सेंटर ही ऐसे थे जिनको अस्थायी पंजीकरण शिक्षा विभाग ओर से अब तक दिया गया है।

सरकार के निर्देश में भी फायर फाइटिंग नदारद

कोचिंग सेंटरों में शौचालयों व सीसीटीवी कैमरों की सुविधा को लेकर तो सरकार ने जरूर निर्देश दिए लेकिन अग्निकांड होने पर फायर फाइटिंग सिस्टम को सरकार ने भी नजरअंदाज किया है। वहीं कोचिंग सेंटर चलाने वाले लोगों ने भी सेंटरों में अग्निशमन यंत्र रखना जरूरी नहीं समझा है। यही कारण है कि अभी तक किसी भी कोचिंग सेंटर ने अपनी ओर से अग्निकांड होने पर बचाव के बंदोबस्त नहीं किए हैं।

एक भी कोचिंग सेंटर के पास नहीं फायर विभाग की एनओसी

जम्मू शहर में तीन सौ से ज्यादा कोचिंग सेंटर चल रहे हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक भी कोचिंग सेंटर ऐसा नहीं है जिसके पास फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस विभाग की एनओसी हो। किसी भी व्यसायिक केंद्र को शुरू करने से पहले पीएचई, पीडीडी, म्यूनिसिपल कमेटी और फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है लेकिन काेचिंगसेंटर इन सबसे ऊपर हैं। एक भी काेचिंग सेंटर ऐसा नहीं है जिसके पास फायर एंड इमरजेंसी विभाग से अनुमति ली है। फायर एंड इमरजेंसी विभाग अग्निशमन यंत्रों की सुविधा, आग बुझाने के लिए रेत, पानी का बंदोबस्त और इमरजेंसी एग्जिट की जांच के बाद ही एनओसी देता है लेकिन काेचिंग सेंटर इनमें से एक भी औपचारिकता को पूरा नहीं कर पाते।

जम्मू कश्मीर में फायर एक्ट लागू नहीं, कार्रवाई नहीं कर सकता फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस विभाग

जम्मू कश्मीर में फायर एक्ट लागू नहीं है जिस कारण फायर विभाग उन संस्थानों पर कार्रवाई नहीं कर सकता जिनके पास फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। किसी भी संस्थान या कर्मिश्यल सेटअप को शुरू करने से पहले फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है। इसके बाद ही संबंधित विभाग संस्थान को काम करने की इजाजत देता है। हमारे पास आज तक एक भी कोचिंग सेंटर एनओसी के लिए नहीं आया है। हम चाह कर भी फायर फाइटिंग सिस्टम को नजरअंदाज करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि राज्य में फायर एक्ट लागू नहीं हैं और हम इस एक्ट के बिना खुद कार्रवाई नहीं कर सकते। 

- डिवीजनल फायर आफिसर डेविड जांगपू

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