बाबा बर्फानी के भक्तों के सुरक्षा कवच को मजबूत बनाएगा ऑपरेशन शिवा
आपरेशन शिवा के दौरान श्रद्धालुओं की निगरानी के लिए ही नहीं आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सेना द्वारा संबंधित इलाकों में ड्रोन की मदद ली जाएगी।
श्रीनगर, नवीन नवाज। इस बार आतंकग्रस्त कश्मीर घाटी में पवित्र अमरनाथ गुफा की वार्षकि तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें सुरक्षाबलों का 'ऑपरेशन शिवा' मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेगा और उनकी जान-माल की सुरक्षा को यकीनी बनाएगा। इससे वादी में शांति व विश्वास का माहौल बनाने में भी मदद मिलेगी। आपरेशन शिवा को अंतिम रूप दे दिया गया है और अगले चंद दिनों में इस पर अमल शुरू हो जाएगा। आपरेशन शिवा महज यात्रा मार्ग तक सीमित नहीं है, यह यात्रा मार्ग से सटे आवासीय इलाकों, पहाड़ों व जंगलों तक विस्तृत है।
सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के मंसूबों को भांपते हुए और अतीत के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए इस बार सेना, पुलिस, सीआरपीएफ व केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित और शांत वातावरण में संपन्न कराने के लिए जो रणनीति लागू करने का फैसला किया है, उसे ऑपरेशन शिवा का नाम दिया गया है। इस ऑपरेशन के तहत चलाए जाने वाले अन्य अभियानों को उनके स्थान विशेष व समय के मुताबिक नाम दिया गया है। ऑपरेशन शिवा के तहत अगले सप्ताह यात्रा के सुरक्षा कवच को तैयार करते हुए सेना व अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
तीन हजार जवान-अधिकारी संभालेंगे यात्रा मार्ग की सुरक्षा का जिम्मा
करीब 3000 जवान और अधिकारी सिर्फ यात्रा मार्ग की सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे। 1000 जवान यात्र शिविरों और पवित्र गुफा की सुरक्षा करेंगे। इन सबके बीच सेना आतंकरोधी अभियानों और यात्रा मार्ग के आसपास स्थित जंगलों, पहाड़ों, यात्रा मार्ग के आसपास स्थित बस्तियों में भी तलाशी अभियान चलाएंगे। यात्र एक जुलाई से शुरू हो रही है।
पुलिस और सीआरपीएफ का खतरे से इंकार
अधिकारिक तौर पर पुलिस और सीआरपीएफ खतरे से इंकार कर रही है, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बार आतंकी हमले की आशंका बीते वर्षो की तुलना में ज्यादा है। वे वर्ष 2000 की तरह किसी इलाके में एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने या फिर किसी अन्य सनसनीखेज वारदात को अंजाम दे सकते हैं। आतंकियों की इस साजिश का पता बीते कुछ दिनों के दौरान जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों और गुलाम कश्मीर स्थित उनके हैंडलरों के बीच हुई बातचीत के पकड़े जाने से हुआ है। इसके अलावा हाल ही में मारे गए आतंकियों से मिले कुछ दस्तावेज भी इस साजिश की तरफ संकेत दे रहे हैं।
अलग-अलग जोन में बांटा गया यात्रा मार्ग, ड्रोन से होगी निगरानी
आपरेशन शिवा के दौरान श्रद्धालुओं की निगरानी के लिए ही नहीं, आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सेना द्वारा संबंधित इलाकों में ड्रोन की मदद ली जाएगी। यात्रा मार्ग को अलग अलग सेक्टर व जोन में बांटा गया है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में सक्रिय आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्करों की प्रोफाइलिंग कर उसके आधार पर उनके खिलाफ अभियान चलाए जाएंगे।
राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पहाड़ियों पर बनाई जाएंगी सेना की अस्थायी चौकियां
आपरेशन शिवा, हालांकि जवाहर सुरंग से लेकर अनंतनाग, पहलगाम और बाल्टाल के इलाके में मुख्य रूप से केंद्रित रखा गया है, लेकिन इसे जम्मू संभाग के रामबन जिले से शुरू किया जाएगा। इस अभियान के तहत रामबन-बनिहाल-जवाहर सुरंग तक यात्रा मार्ग के साथ सटे सभी जंगलों में विशेष तलाशी अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा हाईवे पर स्थित सभी पहाड़ियों पर सेना के जवानों की अस्थायी चौकियां भी स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा गूल, डोडा और किश्तवाड़ में इस दौरान अल्पसंख्यकों की बस्तियों के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध रहेंगे। इन इलाकों में ग्राम सुऱक्षा समितियों के सदस्यों को भी यात्र के दौरान पूरी तरह से सक्रिय किया जाएगा।
यात्रा मार्ग पर तैनात होंगे बमरोधी और क्यूआरटी दस्ते
जवाहर सुरंग से अनंतनाग, काजीगुंड, खन्नाबल, बिजबेहाड़ा, पांपोर, श्रीनगर, गांदरबल, कंगन, सोनमर्ग तक हाईवे पर और उसके साथ सटी आवासीय बस्तियों और जंगलों में भी सेना द्वारा विशेष अभियान चलाए जाएंगे। इसके अलावा बिजबेहाड़ा से पहलगाम और खन्नाबल-पहलगाम, कंगन-सोनमर्ग-बालटाल और बालटाल से आगे पवित्र गुफा के आसपास भी सेना के जवान मौजूद रहेंगे। सेना इन इलाकों में तलाशी अभियान चलाएगी। इसके अलावा यात्रा मार्ग पर सेना के बमरोधी दस्ते और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्यूआरटी दस्ते भी तैनात रहेंगे। ये दस्ते सीआरपीएफ और पुलिस के दस्तों के अलावा होंगे।
यात्रियों के लिए बारकोड यात्रा पर्ची की व्यवस्था
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यात्रियों के लिए इस बार बारकोड यात्र पर्ची की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा बीते साल की तरह इस साल भी श्रद्धालुओं के वाहनों की निगरानी के लिए आरईएफडी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह काम सीआरपीएफ अंजाम देगी। उन्होंने बताया कि साधुओं, मजदूरों या किसी अन्य वेष में आतंकी यात्रा मार्ग पर यात्रा शिविर में दाखिल न हों, इसके लिए विभिन्न जगहों पर स्पॉटर भी तैनात किए जा रहे हैं।
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