50 साल की महिला के घर गूंजी किलकारियां
पचास साल की उम्र में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक से गर्भवती बनी महिला का सैन्य अस्पताल में डॉक्टरों ने सफल प्रसव करवा कर उसकी आंचल खुशियों से भर दी।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : मां बनने से निराश हो चुकी एक महिला के लिए सेना के डॉक्टर संकटमोचक साबित हुए। पचास साल की उम्र में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक से गर्भवती बनी महिला का सैन्य अस्पताल में डॉक्टरों ने सफल प्रसव करवा कर उसकी आंचल खुशियों से भर दी। महिला और उसके जुड़वां बच्चे अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर देवेंद्र अरोड़ा का कहना है कि सीमित संसाधन होने के कारण यह सब चुनौतीपूर्ण था। एक्स सर्विसमैन की पत्नी ने शादी के तीस साल बाद आइवीएफ से गर्भ धारण किया। महिला पति के साथ एंटीनेटल चेकअप के लिए आई थी। उनका कहना था कि उन्हें कई अस्पतालों ने भर्ती करने से इन्कार कर दिया, लेकिन 166 मिलिट्री अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञों ने महिला का प्रसव करवाने का फैसला किया। उसे मधुमेह, तनाव और हाइपोथायरोडाइजम की समस्या थी।
ब्रिगेडियर अरोड़ा के अनुसार महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया और डॉक्टर उसकी निगरानी करने लगे। जब महिला अस्पताल आई तो उसका ब्लड प्रेशर अधिक था और प्लेटलेट काउंट भी कम था। आठ महीने के प्रसव के दौरान उसे ब्लीडिग होने लगी। खून की कमी होने के कारण उसकी सर्जरी करना भी मुश्किल था। लीवर में भी समस्या थी, जिस कारण महिला व उसका पति भी काफी परेशान था। उनके लिए माता-पिता बनने का यह आखिरी मौका था। महिला और उसके दोनों बच्चों की जिदगी खतरे में थी, लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञों ने हार नहीं मानी। उन्होंने उपचार करके न सिर्फ महिला को सही किया बल्कि उसकी काउंसलिग भी की। एक दिन पहले शनिवार को महिला का ऑपरेशन हुआ। उसने बेबी गर्ल और एक बच्चे को जन्म दिया। बेबी का वजन 1.740 ग्राम है, जबकि बच्चे का 1.815 ग्राम। ब्रिगेडियर अरोड़ा का कहना है कि अब बच्चे और मां पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनका कहना है कि अधिक उम्र में गर्भ धारण करना हमेशा रिस्क भरा होता है। 80 फीसद मामलों में मां और बच्चे दोनों की जिदगी पर खतरा बना रहता है।