जम्मू-कश्मीर में बेटियों की सुरक्षा को सिर्फ तीन फीसद महिला पुलिसकर्मी
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 20 जिले में से मात्र दो जिलों में ही महिला सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसएसपी) के पद पर तैनात हैं।
जम्मू, दिनेश महाजन। दिल्ली में निर्भया के बाद अब हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ जिस तरह की हैवानियत की गई, उससे देश भर की महिलाओं में डर है। वह सवाल उठाती हैं कि आखिर उन्हें कब सुरक्षित माहौल मिलेगा। उनके साथ ज्यादती पर इंसाफ त्वरित कब होगा। ऐसी घटनाओं से जम्मू कश्मीर भी अछूता नहीं है। सवाल है कि राज्य प्रशासन बेटियों को सुरक्षित कैसे रख सकेगी, जब राज्य पुलिस में सिर्फ तीन फीसद महिला कर्मचारी ही हैं। आखिर महिलाएं कैसे अपने मन की बात थानों में जाकर कह सकेंगी। यह तब जब राज्य में भी महिलाओं का अपहरण, दुष्कर्म और उन पर ङ्क्षहसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की संख्या करीब साठ लाख से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी से जुड़े कानूनी मसलों के लिए महिला पुलिस कर्मियों की संख्या बहुत कम है। करीब एक लाख कर्मचारियों वाली जम्मू-कश्मीर पुलिस में करीब तीन हजार ही महिला अधिकारी व कर्मचारी हैं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 20 जिले में से मात्र दो जिलों में ही महिला सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसएसपी) के पद पर तैनात हैं। इनमें रियासी और रामबन जिले शामिल हैं। अन्य किसी भी महिला अधिकारी को अहम पद पर तैनात नहीं किया गया।
श्रीनगर में महिला हिंसा के सबसे अधिक मामले : जम्मू संभाग की तुलना में कश्मीर संभाग के जिलों में महिला अपराध के मामले अधिक हुए। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में वर्ष 2018 में महिला अपराधों के 500 मामले सामने आए हैं। जम्मू जिले में 357, बडगाम में 324, बारामुला में 245, अनंतनाग में महिला हिंसा से जुड़े 233 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2018 में ही राजौरी जिले में 182 महिलाओं ने हिंसा की शिकायत दर्ज कराई। इनमें छेड़छाड़ के 62, 29 दुष्कर्म के मामले, 47 अपहरण और पति द्वारा क्रूरता के 35 मामले शामिल हैं। जिला कुलगाम में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 215 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें दुष्कर्म के 15, अपहरण के 49 और छेड़छाड़ के 94 मामले दर्ज किए हैं। इसी तरह सोपोर में 172, कुपवाड़ा जिले में 171 और ऊधमपुर जिले में 156 मामले दर्ज हुए थे। जिला कठुआ में 117, जिला गांदरबल में 108 और पुंछ में महिला प्रताड़ना से जुड़े 105 मामले दर्ज हुए थे।
बच्चियों से दुष्कर्म व हत्या के ताजा मामले
- 13 नवंबर को जिला सांबा में छह वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई।
- 14 मई बांदीपोरा में तीन वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद जम कर प्रदर्शन हुए थे।
- 8 जून को जिला रामबन में पीर ने छह वर्ष बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था।
चिंतित करते हैं हिंसा और दुष्कर्म के आंकड़े
जम्मू-कश्मीर में पिछले दो वर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में वृद्धि देखी गई है। राज्य अपराध शाखा की रिपोर्ट में यह खुलासा होता है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 3363 मामले दर्ज किए। इनमें अपहरण, दुष्कर्म, छेड़छाड़, दहेज प्रताड़ना, पति द्वारा क्रूरता आदि शामिल थे। वर्ष 2018 में यह मामले बढ़कर 3623 हो गए। 2017 की तुलना में 260 मामलों की वृद्धि हुई। वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में पुलिस द्वारा छेड़छाड़ के 1602 मामले और दुष्कर्म के 354 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2017 में दुष्कर्म के मामलों की संख्या 314 थी। चिंताजनक बात यह है कि वर्ष 2018 में महिलाओं के अपहरण के 1079 मामले दर्ज हुए थे जो वर्ष 2017 की तुलना में 119 ज्यादा थे।
सिर्फ रियासी और रामबन में ही महिला एसएसपी नियुक्त
- राज्य पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए एक और महिला बटालियन का गठन किया जा रहा है। मौजूदा समय में राज्य पुलिस के पास एक महिला बटालियन है। इसके अलावा अन्य विंग की भर्ती में भी महिलाओं को प्रेरित किया जा रहा है। - दिलबाग सिंह, डीजीपी, जम्मू कश्मीर