जम्मू-कश्मीर: दीनू भाई पंत की जयंती पर आनलाइन साहित्यिक गोष्ठी आयोजित, डोगरी के उत्थान का संकल्प लिया
डोगरी संस्था के संस्थापक सदस्य पंडित दीनू भाई पंत की जयंती पर आनलाइन साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन कर उनके डोगरी के उत्थान के लिए किए कार्यों को याद कर डोगरी की मजबूती के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।
जम्मू, जागरण संवाददाता : डोगरी संस्था के संस्थापक सदस्य पंडित दीनू भाई पंत की जयंती पर आनलाइन साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन कर उनके डोगरी के उत्थान के लिए किए कार्यों को याद कर डोगरी की मजबूती के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।
साहित्य अकादमी नई दिल्ली के युवा पुरस्कार से पुरस्कृत सहायक प्रो. डोगरी गंगा शर्मा ने पंडित दीनू भाई पंत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार पूर्वक पेपर पढ़ा। जो अपने आप में बहुत प्रेरणादायक हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सभी उतार-चढ़ाव का सामना किया था और फिर भी डुग्गर प्रदेश के सर्वकालिक पसंदीदा कवि के रूप में उभरे।
अंग्रेजी, हिंदी और डोगरी लेखक तथा कला समीक्षक राजेश्वर सिंह राजू ने डोगरी लेखक के काव्य संसार पर पेपर प्रस्तुत किया। जो डोगरी को मातृभाषा भाषा के तौर पर उसका आत्मसम्मान दिलवाने के लिए सदैव अग्रणी रहे। उनसे पहले डोगरे भी अपने डोगरा साथियों के साथ अपनी मातृभाषा में बातचीत करने में झिझक महसूस करते थे। अपने विचारोत्तेजक पत्र में अपने बचपन के संदर्भों के साथ राजू ने यह साबित किया कि क्यों पंडित दीनू भाई पंत को सबसे लोकप्रिय डोगरी कवि जन कवि के रूप में याद किया जाता है। जो अपनी मार्मिक और मनोरम कविताओं तथा गीतों से सभी की अंतरात्मा को झकझोरते हुए आज भी मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्रसिद्ध नाटककार और लघु कथाकार जगदीप दुबे ने एक नाटककार के रूप में पंडित दीनू भाई पंत के नाटकों जैसे ‘सरपंच’ और ‘अयोध्या’ आदि की प्रासंगिकता और महत्व का विस्तृत विवरण दिया। जिन्होंने डोगरी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने साहित्यकारों को उनके अच्छी तरह से शोध किए गए और रचनात्मक पत्रों के लिए बधाई देते हुए महान कवि और नाटककार के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बातें सांझा कीं। उन्होंने उन के बहुमुखी व्यक्तित्व के विभिन्न रंगों के बारे में विस्तार से बात की और आश्वासन दिया कि डोगरी संस्था जम्मू, पंडित दीनू भाई पंत सरीखे महान साहित्यकारों से प्रेरणा लेते हुए उनके पद चिन्हों पर चलते हुए डोगरी भाषा को एक मातृभाषा के रूप में पूरा सम्मान दिलवाने के लिए हर कार्य करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाती रहेगी।
प्रख्यात रंगमंच कार्यकर्ता राजकुमार बहुरूपिया ने ना केवल इस वर्चुअल कार्यक्रम का रचनात्मक तरीके से संचालन किया बल्कि पंडित दीनू भाई पंत द्वारा लिखित कुछ कविताओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए जाने-माने रंगमंच कार्यकर्ता और कवि संस्था के कोषाध्यक्ष पवन वर्मा ने तकनीकी सहायता प्रदान की।