Jammu Kashmir : विलय दिवस पर आज महाराजा हरि सिंह, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को नमन करेगा जम्मू कश्मीर
Jammu Kashmir Accession Day 2022 जम्मू में प्रदेश भाजपा के साथ अन्य कई संगठनों द्वारा भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में देश से विलय में महाराजा हरि सिंह की भूमिका व कश्मीर के रक्षक ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के बलिदान पर भी प्रकाश डाला जाएगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : देश से जम्मू कश्मीर का विलय करने वाले महाराजा हरि सिंह व भारतीय सेना के आने तक उड़ी में दुश्मन को रोकरकर बलिदान देने वाले ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को बुधवार विलय दिवस पर जम्मू कश्मीर नमन करेगा।
प्रदेश भाजपा बुधवार को जम्मू के विभिन्न चौक, रोटरियों पर दिये व मोमबत्तियां जलाकर विलय दिवस को दिवाली की तरह मनाएगी। मुख्य कार्यक्रम जम्मू के महाराजा हरि सिंह पार्क में होगा। जम्मू में प्रदेश भाजपा के साथ अन्य कई संगठनों द्वारा भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में देश से विलय में महाराजा हरि सिंह की भूमिका व कश्मीर के रक्षक ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के बलिदान पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जम्मू कश्मीर एक्स सर्विस लीग का मुख्य कार्यक्रम जम्मू में सचिवालय के निकट ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह चौक में होगा। इस कार्यक्रम में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उपराज्यपाल प्रशासन के अधिकारी भी शामिल होंगे। इस दौरान ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग भी उठेगी।
जम्मू एक्स सर्विस लीग के पूर्व अध्यक्ष मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल का कहना है कि जब वीरता के लिए किसी नागरिक को गैलेंटरी मेडल मिल सकता है तो जान देकर पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जे की साजिश को नकारने वाले ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह को भारत रत्न क्यों नही मिल सकता है। ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह एक कुशल सैन्य रणनीतिकार थे, जिन्होंने 76 साल पहले अपने चंद साथियों के साथ कई गुणा अधिक दुश्मन को रोककर देश से विलय को संभव किया था।
ऐसे पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जे की साजिश हुई थी नाकाम :
जम्मू कश्मीर के इतिहास में 22 अक्टूबर 1947 काला दिवस था। इस दिन कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान ने आपरेशन गुलमर्ग छेड़ा था। इस आपरेशन की कमान पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अकबर खान के हाथ थी। आपरेशन गुलमर्ग के तहत कबायलियों की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने हमला बोल दिया था। दुश्मन की संख्या बीस हजार से अधिक थी और उनका सामना महाराजा हरि सिंह की सेना के मुट्ठी भर जवानों के साथ था।
ऐसे हालात में महाराजा ने अंतिम गोली, अंतिम सैनिक के आदेश के साथ अपनी फौज के चीफ आफ स्टाफ बिग्रेडियर राजेंद्र सिंह को 100 सैनिकों के साथ पांच हजार दुश्मन सैनिकों को उड़ी सेक्टर में रोकने के लिए भेजा था। पांच दिन तक दुश्मन को रोकने वाले ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने दुश्मन को यह यकीन दिलाया कि उसे रोकने के लिए सामने बहुत बड़ी फौज है। उड़ी में 26 अक्टूबर को साथियों के साथ ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने बलिदान देकर देश से विलय व भारतीय सेना को पहुंचने के लिए समय दिया।
इधर 26 अक्टूबर की रात को ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह बलिदान हुए, उधर अगले दिन सुबह पांच बजे सेना की एक सिख बटालियन की दो कंपनियां वायुसेना के विमान से लेफ्टिनेंट कर्नल दीवान रंजीत के नेतृत्व में श्रीनगर पहुंच गईं। उन्होंने श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा सुनिश्चित की। इसके बाद दुश्मन को खदेड़ने के लिए सेना की अन्य कंपनियां भी श्रीनगर पहुंच गई। इसके बाद कश्मीर पर कब्जा करने की पाकिस्तान की साजिश नाकाम बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी थी।

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