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उमर अब्दुल्ला ने कहा-जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक नहीं लड़ेंगे चुनाव

उमर अब्दुल्ला ने घोषणा की कि वह तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे जब तक कि जम्मू-कश्मीर और लद्​दाख को फिर से राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 03:35 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 03:58 PM (IST)
उमर अब्दुल्ला ने कहा-जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक नहीं लड़ेंगे चुनाव
उमर अब्दुल्ला ने कहा-जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक नहीं लड़ेंगे चुनाव

जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के प्रदेश उपप्रधान उमर अब्दुल्ला ने कसल ली है कि जब जममू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी, जिसने पिछले साल केंद्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, वह इसका हमेशा विरोध करती रहेगी। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना लोगों के हित में लिया गया फैसला नहीं बल्कि यह यहां के लोगों का अपमान है।

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उन्होंने घोषणा की कि वह तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे जब तक कि जम्मू-कश्मीर और लद्​दाख को फिर से राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता। सोमवार को अंग्रेजी अखबार के लिए लिखे गए एक लेख में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रिहाई के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के कारणों का बिंदुवार खंडन करते हुए कहा कि एक साल बाद भी उनमें से कोई बदलाव नहीं आया है।

केंद्र सरकार राज्य के खराब हालात की वजह अनुच्छेद 370 को बताती है। ऐसा भी कहा गया कि यही आतंकवाद का मुख्य कारण है परंतु एक साल बाद केंद्र सरकार स्वीकार करती है कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा बढ़ी है? उमर ने कहा कि यह भी आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 की आड़ में यहां के लोगों को गरीबी में रखा गया। लेकिन एक साल बाद भी बहुत से लोगों में कोई बदलाव नहीं आया है। यही नहीं राज्य में निवेशकों के न आने का कारण भी अनुच्छेद 370 को बताया गया परंतु सच यह है कि इसका कारण यहां सुरक्षा वातावरण और सैन्यीकरण है जिसने पिछले एक साल के दौरान किसी भी निवेश को रोका है।

यह भी दावा किया गया था कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर दूसरे राज्यों के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। लेकिन कई मानव विकास सूचकांकों में जम्मू-कश्मीर ने गुजरात जैसे विकसित राज्य से बेहतर करके दिखाया है।

उमर ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब किसी राज्य के स्तर को कम करते हुए उसे केंद्र शासित प्रदेश में तबदील कर दिया गया। लोकतंत्र और न्यायपालिका में अपनी पार्टी के विश्वास को दोहराते हुए उमर ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेताओं की रिहाई और अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण सहित मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। अहिंसक तरीकों के जरिए केंद्र सरकार के खिलाफ उनका विरोध जारी है और आगे भी जारी रहेगा।


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