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Jammu Kashmir: छह माह में वापस होगी कब्जाई भूमि, जाने- क्या है रोशनी एक्ट

वर्ष 2001 में नेकांने रोशनी एक्ट बनाया था और इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली क्षेत्र के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही। एक्ट में प्रावधान था कि केवल उन्हीं लोगों को जमीनों का मालिकाना अधिकार दिया जाएगा जिनके पास 1999 के पहले से सरकारी जमीन पर कब्जा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 09:36 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 09:36 AM (IST)
Jammu Kashmir: छह माह में वापस होगी कब्जाई भूमि, जाने- क्या है रोशनी एक्ट
रोशनी एक्ट के तहत हुए सभी इंतकाल रद करने के निर्देश-प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को किया लागू-

जम्मू, राज्य ब्यूरो। रोशनी एक्ट के तहत हुए घोटाले की सीबीआइ से जांच करवाने के हाईकोर्ट के फैसले के तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने इसके तहत हुई सभी म्यूटेशन (इंतकाल) को रद कर छह महीने के भीतर कब्जाई भूमि को खाली करवाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत 20.55 लाख कनाल भूमि पर मालिकाना अधिकार दिए गए थे। सरकार ने इस भूमि से जितने राजस्व की उम्मीद की थी, उसके मुकाबले बहुत कम राजस्व आया था। इसका जो मकसद था, वह ही पूरा नहीं हो पाया था।

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मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को इस योजना के तहत हुई अनियमितताओं की जांच सीबीआइ से करवाने के निर्देश जारी किए थे। उन्होंने एजेंसी से हर आठ सप्ताह बाद इसकी स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के भी निर्देश दिए थे। अब जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने का फैसला किया है। इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिनियम 2001 (जिसे समय-समय पर कई बार संशोधित किया गया है) को असंवैधानिक करार दिया।

जम्मू-कश्मीर के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद कहा कि सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करना जरूरी समझा है। इसीलिए यह आदेश दिया जाता है कि राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव यह निर्देश जारी करें कि जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिनियम 2001 के तहत जो भी कार्रवाई की गई है, उसे रद समझा जाए। इसके तहत जितनी भी म्यूटेशन राजस्व विभाग ने की हैं, वह सभी रद की जाती हैं।

भूमि खाली करवाने को बनाएं योजना :

कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग ने निर्देश दिया कि प्रमुख सचिव एक्ट के तहत दी गई जमीन को वापस हासिल करने के लिए एक योजना बनाएं। इसे चरणबद्ध तरीके से वापस लें। सचिव यह भी योजना बनाएं कि छह महीने के भीतर कब्जाई गई जमीन को किस तरह से खाली किया जाएगा। इन लोगों से लिए गए रुपयों का मुद्दा हल करने के लिए भी योजना बनाएं।

वेबसाइट पर डालें जानकारी :

प्रमुख सचिव सुनिश्चित बनाएं कि जिला स्तर पर एक जनवरी 2001 में राज्य की भूमि की क्या स्थिति थी, इसके बारे में विस्तार से जानकारी मिले। इसका संकलन कर इसे सरकारी वेबसाइट पर डालें। यह भी बताएं कि किसने कितनी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। रोशनी एक्ट के तहत दिया गया प्रार्थनापत्र, जमीन की कीमत, लाभार्थी द्वारा दी गई राशि के बारे में भी जानकारी हो। इसमें सभी प्रभावशाली लोग, चाहे वह मंत्री, विधायक हों, व्यापारी, अधिकारी या पुलिस अधिकारी, उनके बारे में भी जानकारी हो। यह कार्रवाई एक महीने के भीतर पूरी होनी चाहिए।


क्या है रोशनी एक्ट

वर्ष 2001 में तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया था और इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली क्षेत्र के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही। एक्ट में प्रावधान था कि केवल उन्हीं लोगों को जमीनों का मालिकाना अधिकार दिया जाएगा, जिनके पास 1999 के पहले से सरकारी जमीन पर कब्जा है, लेकिन वर्ष 2004 में रोशनी एक्ट में संशोधन किया गया। नया प्रावधान शामिल किया गया और व्यवस्था बनी कि जिसके भी कब्जे में सरकारी जमीन है, वह योजना के तहत आवेदन कर सकता है। इससे जमीन का अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ।

रोशनी एक्ट के तहत कमेटियां बनाई गईं, जिन्हें भूमि का मार्केट रेट निर्धारित करना था, लेकिन नियमों को ताक रख दिया गया। संशोधित योजना के नियमों के तहत 31 मार्च 2007 के बाद सरकारी भूमि के मालिकाना अधिकारों के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता था। ऐसे में यह योजना हालांकि 2007 में आप्रासंगिक हो जाती, लेकिन इसमें संशोधन जारी रहे और राजनेता व नौकरशाह इसका फायदा उठाकर सरकारी जमीनों के मालिक बनते गए।


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