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World Hindi Day : अब हिंदी की कायल होने लगी है दुनिया, विदेशों में गाए जा रहे हिंदी गाने

दुनिया हिंदी की कायल हो चुकी है। अमेरिका समेत अन्य मुल्कों में लोग हिंदी साहित्य चाव से पढ़ते हैं। हमें अपने बच्चों को भी हिंदी बोलने और लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमारे देश के रवींद्र नाथ टैगोर फणीश्वरनाथ रेणु प्रेमचंद जैसे बड़े साहित्यकार विदेशों में पढ़े जाते हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 07:10 AM (IST)
World Hindi Day : अब हिंदी की कायल होने लगी है दुनिया, विदेशों में गाए जा रहे हिंदी गाने
10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है

जम्मू, अशोक शर्मा : हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है। इस दिन देश के विभिन्न सरकारी कार्यालयों और विदेशों में भारतीय दूतावासों में विशेष कार्यक्रम होते हैं। अब दुनिया हिंदी की कायल हो चुकी है। अमेरिका समेत अन्य मुल्कों में लोग हिंदी साहित्य बड़े चाव से पढ़ते हैं। ऐसे में हमें अपने बच्चों को भी हिंदी बोलने और लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमारे देश के रवींद्र नाथ टैगोर, फणीश्वरनाथ रेणु, प्रेमचंद, राहुल सांस्कृत्यायन समेत कई बड़े साहित्यकार विदेशों में भी बड़े चाव से पढ़े जाते हैं।

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जम्मू की प्रो. शशि पाधा ने जम्मू विश्वविद्यालय से एमए हिंदी , एमए संस्कृत और बीएड की पढ़ाई की।

इसके बाद वे यूएसए के नार्थ केरोलिना के चौपल हिल विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा की शिक्षक हो गईं। उनके काव्य संग्रह पहली किरण, मानस मंथन, अनंत की ओर आदि को काफी पसंद किया गया है। काव्य संग्रह अनंत की ओर के लिए उनको राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। हिंदी दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों में वे बढ़चढ़ भाग लेती हैं। इन दिनों शशि पाधा परिवार सहित अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में रहती हैं, जहां वे ङ्क्षहदी भाषा के प्रचार-प्रसार का काम करती हैं। 

अमेरिका और यूरोप में बढ़ी है जिज्ञासा

प्रो. शशि पाधा ने कहा कि अब अमेरिका और यूरोप के लोगों में भी हिंदी भाषा को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। अमेरिका में बसने वाले भारतीय मूल के लोग बड़े गर्व से हिंदी बोलते हैं। एशिया के अन्य मुल्कों के लोग भी वहां बड़ी संख्या में रहते हैं, जो हिंदी सीखना चाहते हैं। वहां होने वाले हिंदी के व्याख्यान सुनने अन्य मुल्कों के लोग भी पहुंचते हैं। इनमें ऐसे लोग भी हैं, जो हिंदी साहित्य पढऩे के लिए हिंदी भाषा सीखना चाहते हैं। वहां होने वाली संगोष्ठियों में दूसरे देशों के लोग भी फराटेदार हिंदी बोलते मिल जाते हैं।

भाषा के प्रसार में हिंदी फिल्मों का अहम योगदान

दक्षिण अफ्रीका में भारत के सांस्कृतिक राजनयिक पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने कहा कि आज अगर हिंदी दुनिया भर की भाषा बन रही है, तो इसमें हिंदी फिल्मों का अहम योगदान है। दूसरे मुल्कों में भी लोग हिंदी फिल्में बड़े चाव से देखते हैं और हिंदी के गाने भी गाते हैं। आइसीसीआर की ओर से हिंदी कक्षाओं का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते पहले की तरह आयोजन नहीं हो पाए। पिछले वर्ष छह दिवसीय कविता कहानी उत्सव करवाया गया था। इन दिनों स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र की ओर से हिंदी फिल्में भी दिखाई जा रही हैं।

हम हिंदी बोलने में संकोच न करें

जम्मू-कश्मीर राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के संचालक मंत्री डॉ. भारत भूषण ने कहा कि आज पूरी दुनिया में हिंदी भाषा को लोग सीखना चाहते हैं। रूस में हिंदी अनुवाद का जितना कार्य हुआ है शायद ही किसी देश में हुआ हो। आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, यूके आदि देशों में भी हिंदी में अच्छा कार्य हो रहा है। अब जरूरत इस बात की है कि हिंदी भाषा की उसके अपने घर में भी मजबूत पकड़ बने। हम हिंदी बोलने में संकोच न करें। हिंदी का विकास हमारी पहचान का विकास होगा। विश्व हिंदी दिवस मनाने का मकसद ही हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाना और इसे जन-जन तक पहुंचाना है।


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