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अब सभी दुनिया के लोग डोगरी साहित्य को जान सकेंगे

इससे जम्मू तथा डोगरी भाषा का प्रचार हो रहा है। अब सभी दुनिया के लोग डोगरी साहित्य को जान सकेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 12:20 PM (IST)
अब सभी दुनिया के लोग डोगरी साहित्य को जान सकेंगे
अब सभी दुनिया के लोग डोगरी साहित्य को जान सकेंगे
style="text-align: justify;">जम्मू,[राज्य ब्यूरो]। कथक से देशभर में अपना नाम बना चुकी संचिता अबरोल अब अपने नृत्य से डोगरी को बढ़ावा दे रही हे। इसी दिशा में उनका पहला डोगरी गजल वीडियो लांच हुआ है। संचिता का दावा है कि पहली बार देश में कहीं भी डोगरी गजल वीडियो लांच हुआ है। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कुंवर वियोगी की गजल ‘आई खुशबू’ पर आधारित वीडियो में जितेंद्र सिंह  जम्वाल ने अपनी आवाज दी है। इन दिनों आस्ट्रेलिया में रह रही संचिता ने टेलीफोन पर बताया कि वह इस वीडियो को लेकर बहुत ही उत्साहित है। डोगरी में होने के कारण उनका मकसद था कि इसमें जम्मू की खूबसूरती भी लोगों को दिखाई जा सके। इसलिए इसकी शूटिंग सुरुंइंसर झील, ऐतिहासिक क्रिमची मंदिर और राजे दी मंडी जम्मू में की गई है। कुंवर वियोगी मेमोरियल ट्रस्ट ने इसमें पूरा सहयोग दिया। संचिता ने कहा कि उनका रुझान डोगरी में परिजनों के कारण भी है। इसलिए मेरा प्रयास रहा है कि कथक को डुग्गर संस्कृति के साथ जोड़ा जाए।स्थानीय लोक कहानियों और संगीत को कथक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की भी कोशिश कर रही हूं। दिल्ली मेंपिछले साल पद्मश्री पदमा सचदेव की कविताओं पर कथक प्रस्तुत किया था। पिछले साल ही जम्मू में कुंवर वियोगी की कविता ‘घर’ पर आधारित ‘घर प्रेम की गागर’ कार्यक्रम किया था। इस कार्यक्रम से लोगों को यही संदेश दिया कि घर वहीं है जहां पर दिल हो। डोगरी और कथक के तालमेल पर संचिता ने कहा कि हर नृत्यांगना को चाहिए कि वह भारतीय साहित्य के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाकर उसे बढ़ावा दे। उन्होंने कहा कि गजल सिर्फ उर्दू भाषा में ही नहीं है बल्कि सभी भाषाओं में है। हर नृत्यांगना की अपनी सोच है और यह जरूरी है कि वे अपने नृत्य में कहानियों का चयन करते समय यह ध्यान रखें कि उसका नृत्य के साथ जुड़ाव भी हो। इससे स्थानीय लोगों का भी नृत्य के प्रति रुझान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अप्रैल में जम्मू में एक और कार्यक्रम करने जा रही हैं। संचिता द्वारा लोक कहानियों तथा संगीत को दुनिया के रू-ब-रू किया जा रहा हैं। इससे जम्मू तथा डोगरी भाषा का प्रचार हो रहा है। अब सभी दुनिया के लोग डोगरी साहित्य को जान सकेंगे।

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