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Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर में अब नानबाई के भी अच्छे दिन, सभी को पीएमएफएमई योजना के दायरे में लाया

जिला उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक नानबाई इस समय परंपरागत तंदूर ही इस्तेमाल करता है जिसमें लकड़ी और कोयले की बहुत ज्यादा खपत होती है। यह प्रदूषण पैदा करता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है। हम इसमें बदलाव के लिए मदद करेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 07:29 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 07:29 AM (IST)
Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर में अब नानबाई के भी अच्छे दिन, सभी को पीएमएफएमई योजना के दायरे में लाया
तंदूर को वह उस जगह न लगाएं, जहां ग्राहक आकर खड़े होते हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में अब नानबाई के भी अच्छे दिन आने वाले हैं। वोकल फार लोकल के तहत जम्मू कश्मीर सरकार ने उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए उन्हें भी पीएमएफएमई (सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का पीएम औपचारिकरण) योजना के दायरे में लाया है। उन्हें अपना कारोबार बढ़ाने, उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और साफ सफाई को सुनिश्चित बनाने के लिए प्रशिक्षण समेत उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय मदद भी दी जाएगी। यह परियोजना पूरे जम्मू कश्मीर में लागू की जा रही है, लेकिन पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर श्रीनगर को चुना गया है। पहले चरण में श्रीनगर के 20 नानबाई को प्रशिक्षण मिलेगा।

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कश्मीर में परंपरागत तरीके से बेकरी बनाने और बेचने वालों को नानबाई कहते हैं। नानबाई स्थानीय समाज का अभिन्न अंग हैं। सुबह नाश्ते में कश्मीर में लगभग हर घर में गिरदा और लवासा खाया जाता है। यह नानबाई की दुकान से ही आता है और सुबह ही इसे लाया जाता है। इसके अलावा कश्मीरी कुलचा, बाकरखानी, शीरमाल भी मिलते हैं, लेकिन इनका सेवन नाश्ते में कम और कार्यक्रमों व समारोहों में ज्यादातर होता है।

श्रीनगर के उपायुक्त मोहम्मद एजाज असद ने बताया कि कश्मीर में नानबाई की क्या अहमियत है, यह आप किसी कश्मीरी से पूछ सकते हैं। हम इन सभी को पीएमएफएमई के दायरे में ला रहे हैं। नानबाई की परंपरागत दुकानों को पूरी तरह बदलने के लिए हमने एक कार्य योजना तैयार कर ली है। इसके बारे में नानबाई के संगठन आल कश्मीरी लोकल ब्रेड मेकर्स एसोसिएशन (एकेएलबीएमए) के प्रतिनिधियों से भी विचार-विमर्श किया है।

उत्पादों को आकर्षक बनाने का भी मिलेगा प्रशिक्षण : जिला उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक नानबाई इस समय परंपरागत तंदूर ही इस्तेमाल करता है, जिसमें लकड़ी और कोयले की बहुत ज्यादा खपत होती है। यह प्रदूषण पैदा करता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है। हम इसमें बदलाव के लिए मदद करेंगे। इसके तहत उत्पादों को आकर्षक बनाने, पैकिंग करने और अधिक समय तक खाने योग्य बनाए रखने का प्रशिक्षण दिला जाएगा। वित्तीय मदद के लिए औपचारिकताएं भी बताई जाएंगी। उन्हें बताया जाएगा कि तंदूर को वह उस जगह न लगाएं, जहां ग्राहक आकर खड़े होते हैं।

  • पहली बार कश्मीर में नानबाई समुदाय की कोई फिक्र करता नजर आ रहा है। महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है, हम अपने उत्पाद का दाम पांच पैसे भी बढ़ाएं तो यहां हल्ला हो जाता है। सरकार की तरफ से पहले कोई मदद नहीं थी, अब एक योजना लागू की गई है। कश्मीर में लगभग 20 हजार दुकानें नानबाई की हैं। हम चाहते हैं कि इसे जल्द से जल्द अन्य सभी शहरों और गांवों में भी लागू किया जाए। -अब्दुल मजीद पांपोरी, अध्यक्ष, एकेएलबीएमए
  • नानबाई को पीएमएफएमई का लाभ लेने के लिए कहीं नहीं जाना होगा। संबंधित विभाग का एक प्रतिनिधि नानबाई की दुकान पर जाकर सत्यापन और कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करेगा। उन्हें साफ-सफाई रखने, धुआं न जमा होने के बारे में बताया जाएगा। सभी नानबाई की नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच भी सुनिश्चित की जाएगी और उन्हें ब्रांङ्क्षडग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। -जहांगीर हाशमी, पीएमएफएमई की कमेटी के सदस्य 

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