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Article 370: जम्मू-कश्मीर में इतिहास बन जाएगी विधान परिषद, घटेगा वीआइपी कल्चर

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद भी पंचायतें बरकरार रहेंगी। जम्मू कश्मीर में दो नगर निगम जम्मू व श्रीनगर और नगर परिषद एवं म्यूनिसिपल कमेटियां भी बनी रहेंगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 11:38 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 11:38 AM (IST)
Article 370: जम्मू-कश्मीर में इतिहास बन जाएगी विधान परिषद, घटेगा वीआइपी कल्चर
Article 370: जम्मू-कश्मीर में इतिहास बन जाएगी विधान परिषद, घटेगा वीआइपी कल्चर

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से राज्य में सत्तर साल पुरानी विधान परिषद इतिहास बन कर रह जाएगी। आतंकवाद के दौर में फला फुला वीआईपी कल्चर भी घटेगा। विधान परिषद के कुल 36 सदस्य होते है। इन सदस्यों को एमएलसी कहा जाता है और इनके पास विधायकों के बराबर सारे अधिकार होते है। गाड़ियां, सुरक्षा दस्ते और विधायकों के बराबर निर्वाचन क्षेत्र फंड का इस्तेमाल करने के अधिकार प्राप्त होते है। जैसे ही जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का आदेश लागू होगा तो विधान परिषद अतीत बन कर रह जाएगी।

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विधान परिषद पर खर्च होने वाले करोड़ों रूपये बच जाएगे क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में विधान परिषद नहीं होती है। विधान परिषद के इस समय 22 सदस्य है और आठ सदस्यों की सीटें खाली है। चार सीटों को पंचायत सदस्यों के साथ भरा जाता है और दो सीटों निकाय के लिए सीटों निर्धारित होती है। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के दौर में विधायकों, मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों को सुरक्षा के नाम पर बहुत अधिक सुरक्षा प्राप्त है। गाड़ियों के काफिले चलते है।

सरकारी आवास हासिल करवाए गए है। केंद्र शासित प्रदेश में गाड़ियों के काफिले सीमित हो जाएंगे। सुरक्षा का तामझाम कम हो जाएगा। कई पूर्व विधायक या पूर्व मंत्री पिछले कई सालों से सरकारी आवास में रह रहे है। अलगाववादियों की सुरक्षा का तामझाम भी काफी अधिक है। इन सब की समीक्षा होगी और खर्च में भारी कटौती की जाएगी।

राज्य में बरकरार रहेगा पंचायती राज

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद भी पंचायतें बरकरार रहेंगी। जम्मू कश्मीर में दो नगर निगम जम्मू व श्रीनगर और नगर परिषद एवं म्यूनिसिपल कमेटियां भी बनी रहेंगी। इसके अलावा लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद भी लेह और कारगिल की पहाड़ी विकास स्वायत्त काउंसिल बनी रहेगी। पिछले साल जम्मू कश्मीर में पंचायतों के चुनाव हुए थे। निकायों के चुनाव भी करवाए गए थे। सरकार इन चुनी हुई बॉडियों को भंग नहीं करेगी। पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्ष के लिए होता है। निकाय भी पांच साल के लिए बने हैं। सबसे अहम यह होगा कि जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद देश के संविधान का 73वां व 74वां संशोधन लागू हो जाएगा। इससे पंचायतें मजबूत हो जाएंगी। अनुच्छेद 370 के हट जाने के बाद अब यह संविधान सीधे ही लागू हो जाएंगे। राज्य में पिछले साल नवंबर-दिसंबर में ग्रामीणों ने जमीनी सतह पर लोकतंत्र की बुनियाद पक्की करने के लिए 35096 पंच और 4490 सरपंच चुने थे। पंचायत चुनाव के बाद कभी ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के लिए चुनाव नहीं हुए। इस समय राज्य में कुल 343 ब्लॉक हैं। इनमें जम्मू संभाग में 177 और कश्मीर में 168 ब्लॉक हैं। लद्दाख में लेह और कारगिल में पहाड़ी विकास काउंसिल का अस्तित्व बना रहेगा।

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