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Militancy in Kashmir : अब किराये पर नहीं, अपने भवनों में ही रहेंगे केंद्रीय अर्धसैनिकबल

सीआइएसएफ को जम्मू के निकट सिदड़ा में 2.725 एकड़ जमीन आबंटित की है। इसी तरह कश्मीर घाटी में दक्षिण से लेकर उत्तर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ सटे जिलों में सात जगहों पर सीआरपीएफ को 44.77 एकड़ जमीन प्रदान की गई है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 08:33 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 08:33 AM (IST)
Militancy in Kashmir : अब किराये पर नहीं, अपने भवनों में ही रहेंगे केंद्रीय अर्धसैनिकबल
सीआइएसएफ हवाई अड्डों के अलावा प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों और जल विद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने से लेकर कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध को नाकाम बनाने में जुटे केंद्रीय अर्धसैनिकबल अब जम्मू कश्मीर में किरायेदार नहीं रहेंगे। अब वह परिसंपत्तियों के मालिक होंगे।

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प्रशिक्षण शिविर हो या जवानों व अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधा, सभी यथासंभव स्थायी होंगे। केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए स्थायी तौर पर जमीन आबंटन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 और 35ए के कारण केंद्रीय अर्धसैनिकबल ही नहीं सेना भी स्थायी तौर पर जम्मू कश्मीर राज्य में अपने लिए जमीन नहीं खरीद सकती थी। उसे अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए जमीन को पट्टे के आधार पर या फिर किराए पर लेना पड़ता था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के लिए अपनी बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की राह में जो रुकावट थी, वह दूर हो चुकी है।

केंद्र के निर्देशानुसार, जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने सीआइएसएफ को जम्मू के निकट सिदड़ा में 2.725 एकड़ जमीन आबंटित की है। इसी तरह कश्मीर घाटी में दक्षिण से लेकर उत्तर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ सटे जिलों में सात जगहों पर सीआरपीएफ को 44.77 एकड़ जमीन प्रदान की गई है।

सीआइएसएफ मौजूदा समय में प्रदेश में सभी नागरिक हवाई अड्डों के अलावा प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों और जल विद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है। सीआरपीएफ कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने से लेकर आतंकरोधी अभियान में भी सक्रिय है। सीआरपीएफ के पास जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा प्रदान की गई 737 इमारतें, बाग और भूखंड हैं। इनमें कश्मीरी हिंदुओं के मकान, होटल, सिनेमाहाल, कृषि भूमि, बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयां, बाग, स्कूल भी शामिल हैं।

सीआरपीएफ द्वारा अपने शिविरों और वाहिनी मुख्यालयों व अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जा रही परिसंपत्तियों में 265 निजी इमारतें और 333 सरकारी भवन हैं। इसके अलावा 26 औद्योगिक इकाइयां, 30 होटल, आठ बाग, दो सिनेमाहाल, एक अस्पताल और एक स्कूल के अलावा कृषि भूमि के 71 भूखंड हैं। इन सभी का उसे किराया अदा करना पड़ता है, जो जम्मू कश्मीर पुलिस ही सुरक्षा संबंधी खर्च के तहत उठाती है।

शिविरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी : सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने पर बताया कि कश्मीर में अधिकांश जगहों पर हमारे अस्थायी शिविर हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा लिए फैसले के बाद हम जम्मू कश्मीर में स्थायी तौर पर बुनियादी ढांचा तैयार कर सकते हैं। इससे हमें अपने शिविरों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने और उन पर आतंकी हमले के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी। अब वादी के लगभग हर जिले में सीआरपीएफ अपने स्थायी शिविर स्थापित कर रही है। मौजूदा परिस्थितियों में सीआरपीएफ की कई वाहिनियों के शिविर और अधिकारियों व जवानों की आवासीय सुविधा किराए की जमीन और इमारतों में हैं। सीआरपीएफ किराये की इमारतों को जल्द खाली करते हुए अपनी जमीन पर अपनी इमारतों में रहेगी।

सीआइएसएफ जोनल मुख्यालय बनाने की कार्ययोजना शुरू की : सीआइएसएफ ने भी जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन द्वारा जमीन आबंटित किए जाने के बाद प्रदेश में अपना जोनल मुख्यालय बनाने की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। बीते साल नवंबर में सीआरपीएफ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखकर उसे जम्मू कश्मीर में 65.5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, ताकि वह अपने जवानों व अधिकारियों के लिए आधारभूत ढांचा विकसित कर सके। इसके बाद ही उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने सीआरपीएफ को विभिन्न कार्याें के लिए 65.5 एकड़ जमीन स्थानांतरित करने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 


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