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Jammu Kashmir: सीबीआई के पास पहुंचा रोशनी भूमि घोटाला, 25000 करोड़ की भूमि कौड़ियों के भाव दे दी गई

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट एसएस अहमद ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2013 से लेकर 2013 तक इस मामले में सिर्फ दो ही एफआईआर लगाई गई हैं जबकि दस एफआईआर लंबित हैं और दो मामले बंद कर दिए गए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 07:37 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 07:37 PM (IST)
Jammu Kashmir: सीबीआई के पास पहुंचा रोशनी भूमि घोटाला, 25000 करोड़ की भूमि कौड़ियों के भाव दे दी गई
जम्मू कश्मीर में 20 लाख कनाल सरकारी जमीन पर माफियाओं, राजनेताओं, राजस्व अधिकारियों, पुलिस अफसरों ने अतिक्रमण किया था

जम्मू, जेएनएफ: जम्मू कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा राेशनी भूमि घोटाला सीबीआई के पास पहुंच गया है। जम्मू कश्मीर की चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता में गठित डिवीजन बेंच ने इस मामले को सीबीआई के हवाले करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।जम्मू कश्मीर में बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर नेताओं, पुलिस अधिकारियों, नौकरशाहों, राजस्व अधिकारियों के अवैध कब्जे को जायज बनाने के लिए रोशनी एक्ट बनाया गया जिसमें करोड़ों रुपयों की जमीन कौड़ियों के भाव अतिक्रमणकारियों को सौंप दी गई।

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वहीं सीबीआई के हवाले इस मामले को करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने निर्देश जारी किए कि इस मामले की जांच एसपी सीबीआई करें और जम्मू कश्मीर के प्रमुख सचिव व सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर इस मामले की रिपोर्ट सीबीआई को दें। इसके अलावा डिवीजन बेंच ने इस मामले को लेकर हर आठ सप्ताह बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी जारी किए। सीबीआई को मामला सौंपने को लेकर हाईकोर्ट ने 23 सितंबर, 2020 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अब तक यह मामला जम्मू कश्मीर का एंटी क्रप्शन ब्यूरो कर रहा था जो मामले को सीबीआई को सौंपे जाने पर एतराज जता रहा था।

रोशनी घोटाले को लेकर एडवोकेट अंकुर शर्मा ने 2014 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि जम्मू कश्मीर में 20 लाख कनाल सरकारी जमीन पर माफियाओं, राजनेताओं, राजस्व अधिकारियों, पुलिस अफसरों ने अतिक्रमण किया था और रोशनी एक्ट बनाकर उस अतिक्रमण को जायज कर दिया गया। एडवोकेट अंकुर शर्मा ने रोशनी एक्ट काे समाप्त कर इस घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने क मांग कोर्ट से की थी। इस मामले को लेकर एंटी क्रप्शन ब्यूरो जांच कर रहा था जिस पर एडवोकेट अंकुर ने आपत्ति जताते हुए कहा था ब्सूरो पर राजनीतिक दबाव है। उसकी जांच में अभी तक कुछ नहीं सामने आया है लिहाजा इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए।

अतिक्रमण की गई भूमि की अनुमानित कीमत 25 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है जिसे कौड़ियों के भाव अतिक्रमणकारियों को ही सौंपा गया है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट एसएस अहमद ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2013 से लेकर 2013 तक इस मामले में सिर्फ दो ही एफआईआर लगाई गई हैं जबकि दस एफआईआर लंबित हैं और दो मामले बंद कर दिए गए हैं। उन्होंने सीबीआई जांच के दौरान भी हाईकाेर्ट की निगरानी की मांग की।


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