कोर्ट परिसर में पार्किंग शुल्क वसूलने पर बार एसोसिएशन को नोटिस जारी
जेएनएफ, जम्मू : जानीपुर स्थित हाईकोर्ट व जिला कोर्ट परिसर में पार्किंग शुल्क वसूलने पर हाईक
जेएनएफ, जम्मू : जानीपुर स्थित हाईकोर्ट व जिला कोर्ट परिसर में पार्किंग शुल्क वसूलने पर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि बताया जाए कि किस आदेश के तहत बार एसोसिएशन पार्किंग का पैसा वसूल रही है। बेंच ने आरटीआइ कार्यकर्ता बल¨वद्र ¨सह की ओर से दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
बेंच ने बार एसोसिएशन के अलावा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल तथा कानून व संसदीय मामलों के विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। बल¨वद्र ¨सह ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन बिना किसी अधिकार के हाईकोर्ट व जिला कोर्ट परिसर में पार्किंग शुल्क वसूल रही है। कोर्ट परिसर में रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं और इनसे लाखों रुपये की वसूली की जा रही है। जबकि एसोसिएशन को यह वसूली करने का कोई अधिकार नहीं मिला है। पहले चार पहिया वाहनों से प्रतिदिन के 100 रुपये पार्किंग वसूली जाती थी। चूंकि जो व्यक्ति कोर्ट आता है, उसे घंटों लग जाते हैं, लिहाजा उसे चार पहिया वाहन को पार्क करने के लिए 100 रुपये देने पड़ते थे। याची ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत चीफ जस्टिस को की थी, जिसके बाद चार पहिया वाहन के लिए पार्किंग शुल्क 30 रुपये प्रतिदिन और दो पहिया वाहनों के लिए 20 रुपये निर्धारित की गई।
बल¨वद्र ¨सह ने कहा कि 18 मई 2018 को उन्हें आरटीआइ के जवाब में रजिस्ट्रार जूडिशियल से जानकारी मिली कि बार एसोसिएशन गैर कानूनी ढंग से पार्किंग वसूल रही है। रजिस्ट्रार जूडिशियल ने रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर बार एसोसिएशन के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की। ¨सह ने कहा कि पार्किंग वसूली बार एसोसिएशन का क्षेत्राधिकार नहीं है, लेकिन एसोसिएशन ने लाखों रुपये एकत्रित किया है। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की कि बार एसोसिएश को अब तक की गई वसूली का पूरा लेखाजोखा पेश करने का निर्देश भी दिया जाए।
बल¨वद्र ¨सह की ओर से रखे गए तर्कों पर गौर करते हुए बेंच ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, कानून व संसदीय मामलों के विभाग के सचिव तथा जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में पक्ष रखने का निर्देश दिया।