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Jammu Kashmir: हाईकोर्ट ने कहा- शोपियां फर्जी मुठभेड़ पर जनहित याचिका दायर करने का तीसरे पक्ष को अधिकार नहीं

डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर मृतकों के परिजन चाहे तो वे कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं लेकिन किसी तीसरे पक्ष के पास इसे जनहित याचिका बनाए जाने का कारण नहीं है। ऐसे मामलों को वैसे भी सार्वजनिक नहीं बनाया जा सकता

By lokesh.mishraEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 11:01 PM (IST)
Jammu Kashmir: हाईकोर्ट ने कहा- शोपियां फर्जी मुठभेड़ पर जनहित याचिका दायर करने का तीसरे पक्ष को अधिकार नहीं
शोपियां फर्जी मुठभेड़ मामले को लेकर याचिकाकर्ता संदीप की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

जम्मू, जेएनएफ : शोपियां फर्जी मुठभेड़ मामले को लेकर याचिकाकर्ता संदीप की ओर से दायर जनहित याचिका को जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पुनीत गुप्ता ने खारिज कर दिया है। याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि तीसरे पक्ष की ओर से दायर याचिका के आधार पर इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता, क्योंकि उसके पास इसका कोई आधार नहीं है। ऐसे मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही निर्देश जारी हो चुके हैं। ऐसे मामलों में यह भी जरूरी नहीं है कि मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों ने इसे लेकर मुद्दा उठाया है या नहीं। इस मुठभेड़ को लेकर कोर्ट गंभीर है।

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डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर मृतकों के परिजन चाहे तो वे कोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन किसी तीसरे पक्ष के पास इसे जनहित याचिका बनाए जाने का कारण नहीं है। ऐसे मामलों को वैसे भी सार्वजनिक नहीं बनाया जा सकता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से ऐसे मामलों को लेकर पहले ही स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं। वहीं कोर्ट ने कहा कि अगर मानवाधिकार की बात की जाए तो कानून, न्याय एवं संसदीय मामलों के विभाग की ओर से सभी जिलों के प्रमुख सत्र न्यायाधीशों को मानवाधिकार कोर्ट के रूप में मान्यता दी गई है। अगर किसी को मानवाधिकारों को लेकर परेशानी हो तो वह इन कोर्ट के समक्ष जा सकता है।

कैद पर लगे पीएसए को उच्च न्यायालय ने किया रद

उच्च न्यायालय की श्रीनगर विंग की दो जजों वाली खंडपीठ ने सिंगल जज के फैसले को खारिज करते हुए जिला आयुक्त शोपियां द्वारा लगाए गए कैदी पर लगाए गए पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) को खारिज कर दिया। खंडपीठ में शामिल जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस विनोद चेटर्जी कौल के समक्ष दायर याचिका में कहा गया कि साबीर-उल-हक मल्ला पर शोपिया जिला आयुक्त ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा कर जेल में बंद कर दिया था। मल्ला के पिता मोहम्मद इकबाल मल्ला ने शोपिया जिला आयुक्त के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।

सिंगल जज ने इस मामले में मल्ला पर पीएसए बरकरार रखा था। सिंगल जज के फैसले को उच्च न्यायालय की दो जजों वाली खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहाकि सरकारी पक्ष याचिकाकर्ता पर लगा गए पीएसए को डोजियर कोर्ट में पेश नहीं कर पाया। जिसके तहत उस पर लगे पीएसए को साबित नहीं किया जा सकता। शोपिया जिला आयुक्त द्वारा मल्ला पर लगाए गए पीएसए को खंडपीठ ने रद कर दिया।


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