जम्मू-कश्मीर में कोई खेल नीति नहीं, दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे पदक विजेता
स्पोटर्स काउंसिल सिर्फ नाम की है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए काउंसिल के पास कुछ भी नहीं है। खिलाड़ी अपने दम पर प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर लाते हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता। राज्य में खेल नीति न होने खिलाड़ियों के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है। यही वजह है कि राज्य के प्रतिभाशाली पदक विजेता खिलाड़ियों को पड़ाेसी राज्यों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोटर्स काउंसिल में एसआरओ-349 के तहत हर वर्ष 25 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान है लेकिन काउंसिल की नालायकी की वजह से पिछले चार वर्षों से एसआरओ से खिलाड़ी लाभांवित नहीं हो पाए हैं। इससे खिलाड़ियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। ज्यादातर खिलाड़ियों को ओवरऐज होने की चिंता सता रही है। एसआरओ-349 का अभी पिछला कोटा क्लीयर ही नहीं हुअा है कि काउंसिल की ओर से तीन दिन पहले फिर से एसआरओ 349 से संबंधित एक नई अधिसूचना जारी की गई है। इसका कोई तुक नहीं है। जब तक पुराने मामलों का निपटारा नहीं हो जाता तब तक नई अधिसूचना जारी करना तर्कसंगत नहीं है। स्पोटर्स काउंसिल हो या फिर युवा, सेवा एवं खेल विभाग, खेलों से रुचि रखने वाले या फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य और देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को ही इसका प्रभारी नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि खिलाड़ियों के डूबती नैया को पार लगाया जा सके।
दैनिक जागरण की तरफ से आयोजित पैनल डिस्कशन में खेलों से जुड़े विशेषज्ञो ने ये विचार व्यक्त किए। 'राज्य में खेलों के विकास' विषय पर हुई पैनल डिस्कशन में मौलाना आजाद स्टेडियम के मैनेजर अशोक सिंह, अंतरराष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी एवं इंडिया की वुशु टीम के कोच शेर-ए-कश्मीर सहित स्टेट अवार्ड से सम्मानित इंस्पेक्टर कुलदीप हांडू, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, अंतरराष्ट्रीय रेफरी, स्टेट अवार्ड और शेर-ए-कश्मीर अवार्ड से सम्मानित सब इंस्पेक्टर रशीद अहमद चौधरी, जेएंडके एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन के सीईओ कुलदीप कुमार गुप्ता, जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव विकास गुप्ता, रोटरी क्लब जम्मू आस्था के सचिव सुमिल गोयल, फिजिकल एजूकेशन टीचर मुकेश शर्मा, स्ट्रैंथ लिफ्टिंग के राष्ट्रीय पदक विजेता रमण कुमार शर्मा, राकेश शर्मा सहित अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों ने भाग लिया।
नाम की है स्पोटर्स काउंसिल
स्पोटर्स काउंसिल सिर्फ नाम की है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए काउंसिल के पास कुछ भी नहीं है। खिलाड़ी अपने दम पर प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर लाते हैं और फोटो सेशन के दौरान काउंसिल के खिलाड़ी इसका श्रेय लेने आ जाते हैं। जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों के लिए न तो खेल मैदान हैं और न ही खेल संसाधन। राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता है। राष्ट्रीय खेलों में वर्ष 1997 से अब तक पदक तालिका में इजाफा है लेकिन प्रोत्साहन राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। चार वर्षों से खिलाड़ियों को एसआरओ-349 के तहत खेल कोटे के आधार पर नौकरियां नहीं मिल रही हैं। फाइलें स्पोटर्स काउंसिल के कार्यालय में धूल फांक रही हैं। वुशु, फेंसिंग और जूडो सहित अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी पड़ोसी राज्यों में पलायन को विवश हैं। स्पोटर्स काउंसिल का आज तक अपना ट्रैक सूट तक नहीं है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी।
स्टेट अवार्ड, शेर-ए-कश्मीर अवार्ड से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय फेंसिंग रेफरी सब इंस्पेक्टर रशीद अहमद चौधरी
एकेडमी खोलने के लिए भूमि देने को तैयार नहीं स्पोटर्स काउंसिल
साई राज्य में वुशु और फेंसिंग खेलों की एकेडमी खोलने को तैयार हैं। इसके लिए वे राजीमंद भी हो गए हैं। हैरानगी इस बात की है कि स्पोटर्स काउंसिल राज्य में एकेडमी खोलने के लिए जमीन तक उपलब्ध नहीं करने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। सीएसआर के तहत औद्योगिक घराने खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं लेकिन कोई भी इसको लेकर संजीदा नहीं है। वुशु में राज्य के सूर्य भानु ने विश्व प्रतियोगिता और एशियन गेम्स में पदक जीतकर राज्य और देश का नाम समूचे विश्व में रोशन किया। हमारे राज्य में भानु को 10 लाख और कोच को दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। अन्य राज्यों में पदक विजेताओं को 1.5 करोड, 65 लाख और एक करोड़ रुपए की राशि देकर सिर आंखों पर बैठाया गया लेकिन अपने यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। राज्यपाल और उनके सलाहकार के विजय कुमार खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए एसआरओ-349 के तहत कोटा 25 से बढ़ाकर 50 करना चाहिए।
स्टेट अवार्ड, शेर-ए-कश्मीर अवार्ड से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय वुशु कोच इंस्पेक्टर कुलदीप हांडू।
स्पोटर्स काउंसिल में खिलाड़ियों को नौकरी देना जरूरी
स्पोटर्स काउंसिल में कार्यरत कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों को छोड़कर ज्यादातर का खेलों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। सचिव से लेकर ग्राउंडमैन तक कोई भी खेलों से नहीं जुड़ा है। स्पोटर्स काउंसिल खिलाड़ियों के कल्याण के लिए बनी है। इसके लिए खेल नीति होना बहुत जरूरी है। फरवरी महीने में गोवा में नेशनल गेम्स शुरू होने जा रही है और अभी तक कैंप का पता नहीं है। आनन फानन में बाद में अंतिम क्षणों में कैंप लगाकर औपचारिकता निभा दी जाएगी और ऐसे में खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद करना उचित नहीं है। राज्य में एथलेटिक का ट्रैक तक नहीं है। खिलाड़ियों को रिफ्रेशमेंट तक नहीं मिल रही है।
जेएंडके एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन के सीईओ कुलदीप कुमार गुप्ता
खेल संगठनों को ग्रांट का पूरा पैसा नहीं मिल रहा है
राज्य में स्पोटर्स काउंसिल के अधीनस्थ खेल संगठनों को ग्रांट का पूरा पैसा तक नहीं मिल रहा है। एसोसिएशन अपने दम पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती है। जूडो खिलाड़ी श्वेता ठाकुर पिछले चार वर्षों से सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में पदक जीतकर राज्य का नाम राेशन कर रही है। आज तक चार वर्षों से पुरानी फाइलों का निपटारा तक नहीं किया जा रहा है। इससे खिलाड़ी काफी निराश हाे चुके हैं। मौलाना आजाद स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में परिवर्तित करने का काम जारी है लेकिन इसके बन जाने के बाद किसी भी खिलाड़ी को भीतर प्रवेश तक नहीं करने दिया जाएगा।
- जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव विकास गुप्ता